मार्च माह में 50 किसान-मज़दूरों ने की आत्महत्या

सुनाम ऊधम सिंह वाला, 3 अप्रैल (रामेश गर्ग): भारतीय किसान यूनियन एकता (उग्राहां) के नेताओं ने राज्य और केन्द्र सरकार को आड़े हाथों लेते कहा कि सरकारों की किसान-मजदूर विरोधी नीतियों के कारण पंजाब में किसान-मजदूर आत्महत्या का आंकड़ा हर महीने ही बढ़ता जा रहा है। सुनाम में किसान-मजदूर आत्महत्या की महीनावार सूची जारी करते संगठन के नेता सुखपाल सिंह माणक, राम शरन उग्राहां, गोबिन्द सिंह चट्ठे, पाल सिंह दोलेवाल आदि ने कहा कि सरकार के पास किसानों के लिए कोई योग्य नीति नहीं है। उन्होंने कहा किकिसान-मजदूर बड़ी संख्या में मृत्यु को गले लगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि गत महीने दौरान ही राज्य में दो महिलाओं के साथ 50 किसान-मजदूरों ने कर्जे का बोझ न सहते हुए मृत्यु को गले लगा लिया। उन्होंने कहा कि किसानों से कुल कर्जा माफी का वादा करके सत्ता में आई कैप्टन सरकार के शासन काल में ही इन आत्महत्याओं का आंकड़ा 1030 से पार कर गया है। इस मौके उन्होंने बताया कि पहली मार्च को चार किसान-मजदूर जिनमें निर्मल सिंह वेरोवाल (तरनतारन), गुरजीत सिंह निवासी खानपुर(पटियाला), किसान सिंह नंगल (फरीदकोट), एकत्रित सिंह भदोड़, भगत सिंह बलाचौर आदि ने मृत्यु को गले लगा लिया। इस तरह 17 मार्च को एक दिन ही में 5 किसान-मज़दूरों ने आर्थिक तंगी के कारण अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। 30 मार्च को एक दिन में 6 आत्महत्या करने वाले किसान-मजदूरों में 2 किसान महिलाए भी शामिल थीं।