भुखमरी का भीषण संकट

नि:संदेह दुनिया भर के अलग-अलग देशों में पैदा हुए भुखमरी के हालात ऐसे बदनुमा धब्बे हैं, जो मानवता को शर्मसार करने वाले हैं। भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देश में आज भी अनेक ही राज्यों में बने ऐसे हालात हमारी सरकारों का मुंह चिढ़ाते हैं। करोड़ों लोग गरीबी की ज़िंदगी जी रहे हैं, जो किसी न किसी तरह अपने पेट को भरने के लिए भी पूरी तरह सक्षम नहीं हैं। पिछली सदियों का इतिहास इस बात का साक्षी है कि भारत में अनेक बार ऐसे अकाल पड़े, जिनमें लाखों लोग भूख से तड़प-तड़प कर मर गए। 
अंग्रेज़ों ने भारत पर कब्ज़ा तो कर लिया और 200 वर्ष तक इस देश को गुलाम भी बनाये रखा। इन बस्तीवादियों का उद्देश्य हर तरह की आर्थिक लूट-खसोट करके माल अपने देश को भेजना था। उस समय बड़ी संख्या में लोग दयनीय हालात में विचरते रहे। ब्रिटिश सरकार ने लोगों की खाद्य ज़रूरतों की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। आज़ादी के कुछ दशकों बाद देश चाहे अनाज के मामले में तो बड़ी सीमा तक आत्मनिर्भर हो चुका है, परन्तु विशाल स्तर पर फैले गरीबी के दृश्यों को हटा सकना किसी भी सरकार के लिए अब तक चुनौती बना रहा है। दुनिया में अनेक ऐसे देश हैं, जहां भोजन का बड़ा संकट बना नज़र आ रहा है। इसके अनेक कारण हैं, कहीं सूखा, कहीं बाढ़, कहीं बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल और कहीं आपसी युद्धों ने अधिकतर स्थानों पर जीवन को दूभर कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र की भोजन और कृषि संस्था द्वारा प्रकाशित की गई गत वर्ष की विस्तृत रिपोर्ट रौंगटे खड़े करने वाली है। पिछली सदी में दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अस्तित्व में आई अंतर्राष्ट्रीय संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ की समूचे देशों के अलग-अलग पहलुओं के संबंध में बनी कमेटियों ने बड़ा कार्य किया है। यह कमेटियां पर्यावरण संबंधी सूचनाएं तैयार करती हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में समूचे विश्व के हालात पर नज़र रखती हैं। युद्धों में हुए नुक्सान का विवरण तैयार करती हैं। अनपढ़ता और गरीबी के विस्तृत खुलासे पेश करती रहती हैं। संयुक्त राष्ट्र की ऐसी संस्था फूड एण्ड एग्रीकल्चरल ऑर्गेनाइजेशन ने भी गत कुछ समय से दुनिया भर में फैली भुखमरी के बारे में रिपोर्ट तैयार करनी शुरू की है, जो दुनिया के सामने बड़े गम्भीर सवाल खड़े करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के 53 देशों में 11 करोड़ से भी अधिक ऐसे लोग हैं, जो भुखमरी का शिकार हैं। इस संबंध में इस संस्था ने यमन, सीरीया, अफगानिस्तान और कांगों के नाम भी गिनाये हैं, जहां गृह युद्धों के कारण हालात बेहद बिगड़ चुके हैं, जिनकी चपेट में आम मनुष्य आ गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार समूचे अफ्रीकी क्षेत्र के लोग इस पक्ष से ज्यादा प्रभावित हुए हैं। 
आज जबकि दुनिया आसमान को छू रही है, नित्यदिन हैरान करने वाले आविष्कार सामने आ रहे हैं। इस तरह प्रतीत होता है जैसे कम्प्यूटर ने समूची दुनिया को मुट्ठी में कर लिया है। कृषि के धंधे का भी मशीनीकरण हो चुका है। ऐसी स्थिति में यह आवश्यक हो गया है कि विकास कर चुके बड़े देश पैदा हुए इन संकटों को हल करने के लिए सहायक होने हेतु बड़ी योजनाबंदी करें। ऐसी योजनाबंदी जो दुनिया में फैली भुखमरी को मिटाने में सक्षम हो सके। नि:संदेह आज संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था को ऐसा कदम उठाने की ज़रूरत है जो इस गम्भीर समस्या का हल निकालने के लिए दुनिया के अन्य देशों के साथ तालमेल करके कोई ठोस योजना तैयार करे।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द