जलियांवाला बाग की भूमि पर बनाई गई थी कपड़ा मार्किट बनाने की योजना

अमृतसर, 6 अप्रैल (सुरिंदर कोछड़): अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता हासिल करने वाला 6.5 एकड़ में फैले अमृतसर के जलियांवाला बाग की पहचान व खूनी दुखांत का इतिहास खत्म करने के लिए इसकी भूमि पर तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा कपड़ा मार्किट स्थापित किए जाने की योजना बनाई गई थी। राष्ट्रीय व विरासती स्मारक की हैसियत रखने वाले उक्त स्मारक की देखरेख के लिए वर्ष 1951 में गठित की गई जलियांवाला बाग नैशनल मैमोरियल ट्रस्ट के सचिव एस.के. मुखर्जी ने आज ‘अजीत समाचार’ के साथ बातचीत करते हुए बताया कि उनके दादा डा. सशति चरन मुखर्जी जोकि पेशे से होम्योपैथी डाक्टर थे, पंडित मदन मोहन मालवीया व महात्मा गांधी के निर्देशों पर गोल बाग में दिसम्बर 1919 में होने वाली इंडियन नैशनल कांग्रेस की वार्षिक बैठक की तैयारियाें के लिए यहां आए थे। उनका दावा है कि डा. मुखर्जी 13 अप्रैल 1919 को बाग में हुए खूनी नरसंहार समय बाग में ही मौजूद थे परंतु वह किसी प्रकार वहां से बच निकले। उन्होंने बताया कि ब्रिटिश सरकार  द्वारा बाग की पहचान व वजूद खत्म करने के लिए वहां कपड़ा मार्किट स्थापित किए जाने की योजना बारे जानकारी मिलने पर गोल बाग में हुई बैठक के दौरान शामिल नेताओं द्वारा संयुक्त तौर पर प्रस्ताव पारित कर बाग में शहीदी स्मारक  स्थापित किए जाने की मांग की गई जिस पर महात्मा गांधी द्वारा अमृतसरियों को स्मारक के लिए दान देने की अपील करने पर डा. मुखर्जी ने घर-घर जाकर चंदा एकत्रित किया और उनके द्वारा एकत्रित किए 9 लाख 30 हज़ार के चंदे में से बाग की भूमि पर काबिज़ 34 मालिकों से 5 लाख 65 हज़ार रुपए में बाग की भूमि व साथ लगती इमारतें खरीदी गईं। उन्होंने बताया कि जलियांवाला बाग के खूनी नरसंहार की याद को समर्पित शताब्दी समारोह की तैयारियां ज़ोर-शोर से चल रही हैं। इस अवसर पर शहीदों की याद में केन्द्र सरकार द्वारा एक डाक टिकट भी जारी की जाएगी।