(भाग-1) 1996 लोकसभा चुनाव में : 224 उम्मीदवार व 1985 में 39 प्रत्याशी ज़मानत नहीं बचा सके

लुधियाना, 7 अप्रैल (पुनीत बावा): बंजाब में लोकसभा चुनावों दौरान 1996 में सबसे ज्यादा 259 प्रत्याशियों में से 224 प्रत्याशी एवं 1985 के लोकसभा चुनाव दौरान 75 प्रत्याशियों में से 39 प्रत्याशी अपनी ज़मानत भी नहीं बचा सके। पंजाब भर में विभाजित पंजाब के पश्चात अब तक हुए लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा 1996 में 36 प्रत्याशी खड़े हुए, जिनमें 34 प्रत्याशियों की ज़मानत ज़ब्त हुई। 1991 के लोकसभा चुनाव में सबसे कम 3 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा और तीन प्रत्याशी अपनी ज़मानत बचाने में कामयाब रहे। पंजाब के विभाजन के पश्चात 1977 से 2014 के लोकसभा चुनाव दौरान 1977 में 79 में से 52, 1980 में 146 में से 115, 1985 में 74 में से 39, 1989 में 227 में से 188, 1991 में 81 में से 44, 1996 में 259 में से 224, 1998 में 101 में से 75, 1999 में 120 में से 88, 2004 में 142 में से 111, 2009 में 218 में से 192, 2014 में 253 में से 217 प्रत्याशी अपनी ज़मानत नहीं बचा सके। लोकसभा के 1989 में हुए चुनाव में शिरोमणि अकाली दल अमृतसर, 1999 में जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहड़ा के नेतृत्व वाले सर्वहिन्द अकाली दल के 2014 में आम आदमी पार्टी ने पंजाब में तीसरे गुट के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई परन्तु तीनों गुटों में से जीत शिरोमणि अकाली दल अमृतसर और आप के प्रत्याशियों को ही नसीब हुई, जबकि सर्वहिन्द शिरोमणि अकाली दल ने शिरोमणि अकाली दल बादल के प्रत्याशियों का नैया डुबोने का कार्य किया। लोकसभा क्षेत्र लुधियाना से 1977 में 4 में से, गुरदासपुर में 6 में से 4, अमृतसर से 6 में से 4, तरनतारन से 5 में से 3, जालन्धर से 9 में से 7, फिल्लौर से 9 में से 7, होशियारपुर से 5 में से 3, रोपड़ में 4 में से 2, पटियाला में 8 में से 6, संगरूर में 7 में से 5, बठिंडा में 6 में से 3, फरीदकोट में 4 में से 2, फिरोज़पुर में 6 में से 4, क्षेत्र लुधियाना से 1980 में से 21 में से 19, गुरदासपुर में 10 में से 7, अमृतसर में 7 में से 5, तरनतारन में 5 में से 2, जालन्धर में 16 में से 14, फिल्लौर में 7 में से 4, होशियारपुर में 8 में से 5, रोपड़ में 9 में से 7, पटियाला में 19 में से 17, संगरूर में 10 में से 8, बठिंडा में 11 में से 8, फरीदकोट में 11 में से 9, फिरोज़पुर में 12 में से 10, क्षेत्र लुधियाना से 1985 में 5 में से 3, गुरदासपुर में 5 में से 2, अमृतसर में 10 में से 7, तरनतारन से 4 में से 2, (क्रमश:)