प्रसिद्ध प्राचीन भूतनाथ मंदिर  

ब्यास नदी के बीचो-बीच सुशोभित है प्रसिद्ध प्राचीन भूतनाथ मंदिर, मंडी, हिमाचल प्रदेश। इस मंदिर का निर्माण 1526 ई. में राजा अकबर सेन ने किया था। यह शिखर शैली में निर्मित है। मांडव्य ऋषि की तपोभूमि मंडी नगर हिमाचल प्रदेश की धड़कन है। यह शिमला के पश्चात् हिमाचल प्रदेश का सबसे दीर्घ बसा नगर है। यह ब्यास नदी के दोनों किनारों पर बसा हुआ है। यहां प्राचीन मंडी राज्य की राजधानी 1527 ई. में राजा अकबर सेन के समय स्थापित हुई थी। इससे पूर्व सेन वंशीय मंडी राजाओं की राजधानी ब्यास के दाएं किनारे पर बटोहली (पुरानी मंडी), भ्यूली तथा पराशर झील के समीप सिबा वदार में थी। मंडी मंदिर बहुल नगर है। इसे मंदिरों की नगरी या छोटी काशी के नाम से पुकारा जाता है। यह नगर चारों ओर से पर्वत शिखरों से घिरा हुआ है। इस नगर में अनेक भव्य मंदिर हैं। ज़िला मंडी के इस भू-भाग का संबंध महाभारत कालीन पाण्डवों के साथ भी रहा है। यहां वे अपने बनवास काल में रहे तथा कई स्थानों पर विश्राम करते हुए उन्होंने अपने बाहुबल के चमत्कार दिखाए। आज भी इस ज़िला के विभिन्न स्थानों का संबंध पाण्डवों से माना जाता है। पाण्डव यहां पर लघु हरिद्वार की स्थापना करना चाहते थे परंतु किसी वजह से यह योजना नहीं बन पाई। ज़िला मंडी अपनी विचित्र गुफाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। मंडी ज़िले को प्रकृति ने नारंगी के आकार में बनाया है। कहीं गगनचुम्बी हिमाच्छादित पर्वत शिखर, ढलानदार हरी-भरी घाटियां तथा कहीं नदी-नालों का कलकल करता तीव्र प्रवाह इस भू-भाग को स्वर्गिक बना देता है।यह मंदिर नदी के साथ स्थित है। प्राचीन समय में यहां जंगल हुआ करता था और यहां समीप श्मशान घाट भी था। प्राचीन शिवलिंग भी था। इस स्थान का प्रसंग गाय तथा शिवलिंग से भी माना जाता है। यह मंदिर शहर के प्राचीन पुल के साथ है। बाज़ार से निकल कर नदी के छोर पर सुशोभित यह मंदिर अति सुंदर तथा शिखर शैली की अनुपम धरोहर है। मंदिर नीचे से चौड़ा तथा ऊपर को जाता हुआ छोटा होता चला जाता है। इसकी चतुर्भुज दीवारों में कई तरह की नक्काशी की हुई है। कई छोटे-छोटे मूर्तिनुमा मंदिर दीवारों में हैं। वर्गाकार जगह में एक बड़ा तथा तीन छोटे मंदिर एक ही शैली के हैं। मंदिरों में भगवत् मूर्तियां देखने को मिलती हैं। इस मंदिर से थोड़ी ही दूर एक बड़े आकार का पत्थर नदी में दिखाई देता है। विश्वास है कि यह पत्थर पाण्डवों ने यहां फैंका था। मंदिर के आंगन में स्वच्छता-सफाई नज़र आती है। मंदिर के प्रांगण के साथ-साथ फूल-पौधे लगाए गये हैं और साथ-साथ लोहे के जंगले भी हैं सुरक्षा के लिए। इस स्थान के सामने सड़क की ओर एक हनुमान मंदिर भी है। नदी के पार भी कई मंदिर हैं। यह मंदिर अपनी अद्भुत शैली का आध्यात्मिक प्रतीक है।

—बलविन्दर ‘बालम’
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