विधानसभा चुनावों को भी प्रभावित करेंगे लोकसभा चुनाव


लोकसभा के चुनावों का हरियाणा के लिए महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। लोकसभा चुनावों के नतीजे इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों पर सीधा असर डालेेंगे। जिसके चलते इस बार लोकसभा चुनाव न सिर्फ रोचक होंगे बल्कि प्रदेश में बनने वाली आगामी सरकार की नींव भी रखेंगे। लोकसभा चुनावों के चार महीने बाद प्रदेश विधानसभा के चुनाव होने हैं यानी इस बार पूरा साल हरियाणा चुनावी मोड में रहेगा। पिछली बार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 7, इनेलो ने 2 और कांग्रेस ने 1 सीट जीती थी। लोकसभा के तुरंत बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाई, इनेलो दूसरे और कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही। पिछले चुनाव और मौजूदा चुनाव के बीच प्रदेश की राजनीतिक परिस्थिति काफी बदल चुकी है। इनेलो में दरार पड़ने के बाद जहां डॉ. अजय चौटाला व सांसद दुष्यंत चौटाला ने अलग से अपनी पार्टी जननायक जनता पार्टी का गठन कर लिया है और प्रदेश विधानसभा में भी अब इनेलो दूसरे स्थान की बजाय तीसरे स्थान की पार्टी बन गई है। इधर भाजपा से बागी होकर कुरुक्षेत्र के भाजपा सांसद राज कुमार सैनी ने अपनी अलग से लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी का गठन कर लिया है और इस बार वे बीएसपी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। 
पिछले दिनों हरियाणा में हुए जींद उप-चुनाव ने प्रदेश की राजनीतिक फिजा को बदलकर रख दिया है। इस उप-चुनाव ने जहां भाजपा के पक्ष में माहौल बनाया वहीं जेजेपी के दूसरे स्थान पर आने से जेजेपी समर्थकों को भी भारी उत्साह मिला। इस चुनाव से कांग्रेस व इनेलो को गहरा झटका लगा। उप-चुनाव का यह असर रहा कि इसके परिणामों के तुरंत बाद बसपा ने इनेलो से गठबंधन तोड़कर राजकुमार सैनी की पार्टी एलएसपी से कर लिया। इतना ही नहीं इनेलो के दो विधायक नलवा से रणबीर गंगवा और हथीन से केहर सिंह रावत इनेलो छोड़कर भाजपा में चले गए।
अरविंद शर्मा को झटका 
अभी कुछ दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुए पूर्व सांसद डॉ. अरविंद शर्मा को इस बार भाजपा ने गहरा झटका दे दिया है। 1996 में पहली बार डॉ. अरविंद शर्मा सोनीपत संसदीय सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सांसद चुने गए थे और उनकी जीत ने पूरे देश को आश्चर्यचकित कर दिया था। उसके बाद 2004 और 2009 में अरविंद शर्मा कांग्रेस टिकट पर करनाल से सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में वे करनाल सीट से भाजपा के मुकाबले कांग्रेस टिकट पर चुनाव हार गए थे और दूसरे स्थान पर रहे थे। लोकसभा चुनाव के बाद वे 2014 में बसपा में शामिल हो गए और बसपा ने उन्हें पार्टी का मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर चुनाव में उतारा था। लेकिन वे विधानसभा चुनाव हार गए थे। अभी कुछ दिन पहले ही वे भाजपा में शामिल हुए और करनाल अथवा सोनीपत से वे भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ने के प्रबल दावेदार थे। भाजपा ने प्रदेश की 10 में से 8 सीटें घोषित कर दी हैं और इन 8 सीटों में सोनीपत और करनाल की सीटें भी शामिल हैं। सोनीपत से भाजपा द्वारा मौजूदा सांसद रमेश कौशिक को मैदान में उतारने से अब अरविंद शर्मा को भाजपा टिकट मिलने की सारी संभावनाएं धूमिल हो गई हैं। भाजपा ने सिर्फ रोहतक और हिसार से प्रत्याशी घोषित करने हैं। पहले उम्मीद की जा रही थी कि शायद अरविंद शर्मा को रोहतक से प्रत्याशी बनाया जाए लेकिन रोहतक और सोनीपत दोनों सीटों पर ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे जाने की संभावनाएं नाम मात्र भी नहीं है। 
कांग्रेस की परिवर्तन बस यात्रा 
हरियाणा में कांग्रेस की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और हरियाणा प्रभारी गुलाम नबी आज़ाद के नेतृत्व में परिवर्तन बस यात्रा का आयोजन किया गया है। 6 दिवसीय इस परिवर्तन बस यात्रा के माध्यम से प्रदेश के ज्यादातर कांग्रेसी नेता एक बस में सवार होकर पूरे प्रदेश के सभी लोकसभा क्षेत्रों में घूमे। इस दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भी एक दिन बस यात्रा में साथ रखा गया और तीन लोकसभा हलकों में उनकी रैली व जनसभाएं आयोजित करवाई गई। पिछले पांच साल से हरियाणा कांग्रेस पूरी तरह से गुटबाजी की शिकार रही है। बस यात्रा से पहले कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी के सभी बड़े नेताओं को शामिल करके पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में एक 15 सदस्यीय समन्वय समिति का गठन किया था। इस समिति में हुड्डा के अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर, राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा, विधायक दल की नेता श्रीमती किरण चौधरी, राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, पूर्व सांसद नवीन जिंदल, पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह, विधायक कुलदीप बिश्नोई से लेकर पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा सहित 15 बड़े नेताओं को न सिर्फ शामिल किया गया बल्कि समन्वय समिति में जातीय समीकरणों का भी पूरा ख्याल रखा गया। 
कुलदीप बिश्नोई इस परिवर्तन बस यात्रा से ज्यादातर समय दूर ही रहे और जिस दिन राहुल गांधी ने प्रदेश का दौरा किया उस दिन वे ज़रूर राहुल के साथ इस दौरे में शामिल हुए। अब कांग्रेस प्रदेश के ज्यादातर बड़े नेताओं अथवा उनके परिजनों को लोकसभा चुनाव मैदान में उतारने जा रही है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कैसा प्रदर्शन करती है और पार्टी की गुटबाजी क्या असर दिखाती है यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन एक बात साफ है कि गुटबाजी से त्रस्त कांग्रेस को एकजुट करने के लिए कांग्रेस आलाकमान निरंतर प्रयासरत है ताकि लोकसभा चुनाव में बेहतर नतीजे आ सकें।  
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