13 लोकसभा सीटों पर लगभग 40 फीसदी उम्मीदवार पैराशूट से उतारे

अमरगढ़, 17 अप्रैल (बलविंदर सिंह भुल्लर): लोकसभा चुनावों में पंजाब के कई राजनीतिक दलों के स्थानीय नेता बेहद दुखी हैं क्योंकि अपने-अपने लोकसभा क्षेत्रों में वह अपनी मातृ पार्टी के लिए गत लम्बे समय से राजनीतिक गतिविधियां तो खुद के बलबूते पर चला रहे होते हैं परंतु जब चुनावों का समय आता है तो पार्टी हाईकमान पैराशूट द्वारा उम्मीदवार दूसरे राज्यों या बाहरी क्षेत्रों से उनके संसदीय क्षेत्रों में उतार देते हैं जिससे स्थानीय लीडरशिप का राजनीतिक मनोबल तो टूटता ही है परंतु साथ ही साथ क्षेत्र के मतदाता भी हताश व निराश हो जाते हैं क्योंकि पैराशूट के ज़रिये उतारे उम्मीदवारों का एक सूत्रीय कार्यक्रम केवल चुनाव जीतने तक ही सीमित होता है जबकि संबंधित क्षेत्र से उनका जाति, वर्गीय या जज़्बाती सरोकार नहीं होता। इसकी मिसाल लोकसभा क्षेत्र फतेहगढ़ साहिब, आनंदपुर साहिब, संगरूर, लुधियाना, फरीदकोट, फिरोज़पुर व बठिंडा जैसे क्षेत्रों से मिलती है। इन क्षेत्रों में विभिन्न दलों द्वारा उतारे अधिकतर उम्मीदवार पैराशूटर हैं। गुरदासपुर क्षेत्र से हर बार बाहरी उम्मीदवार ही चुनाव मैदान में उतारे जाते हैं। इसलिए बाहरी उम्मीदवारों को मैदान में उतारे जाने के इस ढंग से निराश हुए पार्टी कार्यकर्ता अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल हो जाते हैं परंतु जज़्बातों में बहकर की दलबदली से उन्हें राजनीतिक मुक्ति किसी भी पार्टी में नसीब नहीं होती। 19 मई 2019 को पंजाब में लोकसभा चुनावों में 13 सीटों पर लगभग 40 फीसदी उम्मदीवार बाहरी क्षेत्रों से संबंधित हैं जिसके चलते स्थानीय मतदाता उनसे अस्थाई सांठगांठ तो कर लेते हैं परंतु यह अस्थाई सांझ दिल की गहराइयों में से नहीं पनपती जिस कारण ऐसी सांझ के नतीजे कभी भी साज़गार या इच्छा के मुताबिक नहीं निकलते। यह सच है कि प्रदेश के कुछ लोकसभा क्षेत्रों में बाहरी उम्मीदवारों का विरोध भी होना शुरू हो गया है।