अमृतसर का चुनावी मैदान गर्माया

अमृतसर, 22 अप्रैल (सुरिन्द्र कोछड़): लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र नामांकन पत्र दाखिल करवाने के सिलसिले से केवल एक दिन पहले भाजपा द्वारा स. हरदीप सिंह पुरी को प्रत्याशी घोषित करने के पश्चात अमृतसर का चुनावी मैदान पूरी तरह से गर्मा गया है। मोदी सरकार के कार्यकाल में भवन निर्माण एवं शहरी मामलों के मंत्री और 1974 बैच के भारतीय विदेश सेवा अधिकारी रह चुके स. पुरी को टक्कर कांग्रेस के स. गुरजीत सिंह औजला, आम आदमी पार्टी के स. कुलदीप सिंह धालीवाल एवं पंजाब डैमोक्रेटिक अलायंस (पी.डी.ए.) की संयुक्त प्रत्याशी बीबी दसविन्द्र कौर से रहेगी। संभावना जताई जा रही है कि इस बार जहां भाजपा के विरोधी गुट के प्रत्याशी महंगाई, नोटबंदी, बेरोज़गारी और नशे को मुद्दा बनाकर चुनावी प्रचार करेंगे, वहीं भाजपा द्वारा विकास, पाकिस्तान पर किए हवाई हमलों एवं भारतीय सेनाओं पर पुलवामा में हुए फिदायीन हमले आदि को चुनावी मुद्दा बनाया जा रहा है। वर्णनीय है कि स. हरदीप सिंह पुरी जिनको विदेशी नीति एवं राष्ट्रीय सुरक्षा का विशेष जानकार माना जाता है, वह न्यूयार्क में इंटरनैशनल पीस इंस्टीच्यूट के उपप्रधान एवं संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी कमेटी के भी चेयरमैन रह चुके हैं। यदि विगत लोकसभा चुनावों पर दृष्टि दौड़ाई जाए तो वर्ष 2014 में भाजपा ने स. नवजोत सिंह सिद्धू की टिकट काटकर अरुण जेतली को, कै. अमरेन्द्र सिंह के विरुद्ध मैदान में उतारा था। जिस दौरान जेतली को 1,02,770 वोटों के बड़े अन्तर से हार का सामना करना पड़ा था जिसके पश्चात उपचुनावों में भी भाजपा को एक बार फिर हार का मुंह देखना पड़ा। उपचुनावों में कांग्रेस के स. गुरजीत सिंह औजला ने भाजपा के प्रत्याशी स. राजिन्द्र मोहन सिंह छीना को 1,99,189 के बड़े अन्तर से हराकर पहली बार संसद में अपना स्थान पक्का किया। इसके अतिरिक्त यदि अमृतसर लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो भारत के बंटवारे के पश्चात वर्ष 1952 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के स. गुरमुख सिंह मुसाफिर ने जीत दर्ज कराई और लगातार तीन बार इस सीट से विजयी रहे।