चीनी रवैये में परिवर्तन के संकेत


भारत में चुनाव बुखार पूरी तरह चढ़ चुका है। हर तरफ गठित होने वाली नई सरकार के संबंध में अनुमान लग रहे हैं। दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर में हो रहे चुनावों को मिल रहे धीमे समर्थन के अनेक कारण हो सकते हैं, परन्तु वर्तमान में पाकिस्तान की सीमाओं पर आतंकवादियों की घुसपैठ कुछ कम हुई प्रतीत होती है। कश्मीर में सेना की ओर से बहुत से आतंकवादियों का सफाया होने के दावे भी किए गये हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी कई बार कहा है कि दोनों देशों के बीच बातचीत भारत में नई सरकार के गठन के बाद ही सम्भव हो सकेगी। कश्मीर के पुलवामा में इस वर्ष 14 फरवरी को हुए हमले और उसके बाद भारत की ओर से किए गए हवाई हमलों के बाद दोनों देशों में तनावपूर्ण स्थिति बनी रही है। पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने के पथ में चीन ने कई बार बाधाएं डाली हैं। इसका कारण पिछले समय में चीन का पाकिस्तान के अधिक निकटवर्ती होना है। इसका एक कारण यह भी है कि अमरीका के साथ पाकिस्तान के संबंध तनावपूर्ण बन गए हैं तथा उसने पाकिस्तान को दी जाने वाली अरबों-खरबों रुपये की सहायता भी रोक दी है। चीन ने पाकिस्तान में गवादर बंदरगाह के पूर्णतया नवीकरण का कार्य शुरू किया हुआ है। पाकिस्तान की सहायता के लिए उसके साथ उसने अपना व्यापार भी बढ़ाया है तथा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा व्यापारिक धरातल पर निर्मित की जाने वाली  विश्व भर को जोड़ती सड़क योजना का भी पाकिस्तान समर्थक रहा है। इस योजना (बैल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) के अंतर्गत चीन की ओर से पाक अधिकृत कश्मीर में से सड़क निकाली जा रही है जिसका भारत ने सदैव विरोध जताया है। चीन ने लगभग तीन दर्जन देशों के साथ इस व्यापारिक परियोजना के संबंध में समझौते करना शुरू किए हुए हैं। इस संबंध में दूसरी बैठक पिछले दिनों चीन में बुलाई गई थी। भारत ने पहली बैठक की भांति दूसरी बैठक का भी बहिष्कार किया, परन्तु इस सब कुछ के बावजूद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सोच में काफी बदलाव आया प्रतीत होता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विगत वर्ष अप्रैल में चीन के वूहान स्थान पर चीनी राष्ट्रपति के साथ ़गैर-पारम्परिक मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों के अध्यक्षों ने आपसी संबंधों को लेकर विचार-विमर्श किया था। इससे पूर्व चीन एवं भूटान की सीमा पर डोकलाम में भारत एवं चीन की सेनाएं कई सप्ताह तक एक दूसरे के सामने डट कर खड़े रही थीं। इसके बाद अब पुन: दोनों देशों के अध्यक्षों में इसी प्रकार की अनौपचारिक बातचीत संबंधी विचार-विमर्श किया जा रहा है। इस बात की सम्भावना है कि अक्तूबर के महीने में दोनों देशों के प्रमुख पुन: मिलेंगे, जहां वार्तालाप के दौरान सीमा विवाद के साथ-साथ चीन की प्रस्तावित बैल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना को लेकर तथा पाकिस्तान की धरती से भारत में प्रायोजित आतंकवाद को लेकर बातचीत किए जाने की भी सम्भावना है। इसके अतिरिक्त आपसी व्यापार के प्रसार को संतुलित करने के लिए भी बातचीत हो सकती है। चीन के दक्षिणी सागर पर दावे को लेकर भी विचार-विमर्श हो सकता है। 
पिछले दिनों पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के चीन दौरे के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उनसे कहा कि उन्हें भारत के साथ पुन: बातचीत शुरू करके आपसी संबंधों को सुधारने के लिए कदम उठाने चाहिएं। चीन की ओर से मिल रहे इस प्रकार के सुखद संकेत एशिया के इस क्षेत्र में पुन: अच्छी सम्भावनाएं उजागर करने वाले प्रतीत होते हैं। भारत में गठित होने वाली नई सरकार के लिए भी इस महत्त्वपूर्ण मामले पर इस दिशा में आगे पग बढ़ाने की आवश्यकता होगी।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द