फिरोजपुर का शेर कहे जाने वाले ‘घुबाया’ पड़े अकेले-क्या यहां सच में बोलता है अकालियों का डंका

फिरोजपुर 6 मई फिरोजपुर : फिरोजपुर का शेर कहे जाने वाले  शेर सिंह घुबाया कांग्रेस में शामिल होने के बाद अकेले पड़ते दिखाई दे रहे हैं । हर बार इस सीट से लोगों का दिल जीत चुके घुबाया सिर्फ अपने बेटे के साथ ही प्रचार करते दिख रहे हैं जिससे साफ जाहिर प्रतीत होता है कि उनका वजूद कहीं अकाली दल के कारण तो ही नहीं बरकरार था। 
कभी शिरोमणि अकाली दल बादल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल को फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का फैसला ले खतरा प्रतीत हो रहा था, परंतु आज राजनीतिक समीकरण कुछ अलग ही नजर आ रहे हैं,क्योंकि कांग्रेस उम्मीदवार शेर सिंह घुबाया का चुनाव अभियान सिर्फ उन पिता-पुत्रों के अपने बलबूते ही चल रहा है जबकि अकाली-भाजपा नेता एकजुट होकर सुखबीर सिंह बादल का चुनाव अभियान संभाले बैठे हैं। 
दिलचस्प बात यह है कि अकाली दल का हर कार्यकर्ता स्वयं को सुखबीर सिंह बादल समझ घर-घर चलता-फिरता अकाली दल को वोट डालने की अपील कर रहा है, जिसका सक्रिय चुनाव अभियान एक ओर प्रतीत हो रहा है। 
वर्णनीय है कि कांग्रेस की ओर टिकट प्राप्ति के लिए लोकसभा हलके के कांग्रेस के विधायक और पूर्व विधायक एकत्रित होकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के पास किसी एक पुराने नेता के लिए टिकट की मांग करते हुए शेर सिंह घुबाया को बाहरी बताकर विरोध करते रहे हैं परंतु राहुल गांधी की सर्वेक्षण  टीम द्वारा राय सिख बिरादरी वाले वोट बैंक को दोबारा कांग्रेस के साथ जोड़ने के लिए घुबाया को टिकट देकर उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतारा गया, जिससे नाराज़ हुए कांग्रेसी खुलकर नहीं चल रहे, सिर्फ दिखावे के लिए ही जुटे हैं। 
दूसरी ओर कांग्रेसी विधायक बादल  सरकार के समय सुखबीर सिंह बादल से काम लेते रहे हैं और अब उसकी नाराज़गी से डरते हुए चुनाव प्रचार में खुलकर नहीं उतर रहे । इतना ही नहीं आने वाली सरकार को लकेर सुखबीर की दहशत से डर रहे हैं। इस कारण चुनाव अभियान चला रहे घुबाया को अब सिर्फ अपनी बिरादरी से ही उम्मीद है। 
कांग्रेस को इसके अतिरिक्त पंचायत चुनावों में मनमर्जी के गांव स्तरीय नेताओं को जबरन सम्मति द्वारा पंच-सरपंच बनाने, जहां महंगा पड़ रहा है। वहीं कैप्टन अमरेन्द्र सिंह  द्वारा हाथ में गुटका साहिब पकड़ कर शपथ लेने के बावजूद भी चिट्टा गांव-गांव, गली-गली सरेआम बिक रहा है, जिस कारण गुस्साए मतदाताओं का सामना करना पड़ रहा है। 
कैप्टन के कड़े आदेशों से भी नहीं डरे कांग्रेसी
चुनाव प्रचार में न उतरकर अपना भाव बढ़ा रहे कुछ कांग्रेसी नेता आज कांग्रेस उम्मीदवार शेर सिंह घुबाया से मिन्नतें करवाकर जहां खोखला विश्वास दिलाकर भीषण गर्मी में प्रचार पर निकलने की बजाय ए.सी. वाले कमरों में बैठे ही फर्जी बयान दागने तक ही सीमित हुए बैठे हैं, वहीं कुछ कांग्रेसी नेता जलालाबाद  विधानसभा क्षेत्र की खाली होने वाली सीट पर भी कड़ी नज़र रखे हुए हैं। 
भाजपा भी डटी सुखबीर के पक्ष में 
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य कमल शर्मा द्वारा निजी रुचि दिखाए जाने के कारण फिरोज़पुर, फाज़िल्का, मुक्तसर ज़िलों के भाजपा पदाधिकारी भी देश को मजबूत व बुलंद हौसले वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रूप में देने के लिए प्रचार करते हुए सुखबीर सिंह बादल के लिए वोट मांगते हुए दिन-रात एक किए हुए हैं। 
‘आप’ का नहीं रहा पहले वाला आकर्षण
आम आदमी पार्टी द्वारा चुनाव मैदान में उतारे गए उम्मीदवार हरजिंदर सिंह काका सरां बेशक अपने साथियों सहित चुनाव अभियान में कूदे हुए हैं परंतु कुछ प्रमुख साथियों द्वारा पार्टी छोड़ जाने व पार्टी द्वारा लोगों की उम्मीदों पर खरा न उतरने और केजरीवाल की दिल्ली टीम द्वारा पिछले समय में क्षेत्र में की मनमानियों के कारण लोगों में आम आदमी पार्टी के प्रति पहले वाला आकर्षण नहीं रहा। 
राय सिख बिरादरी में भी उठ रहे हैं बागी सुर
बरगाड़ी मोर्चा व अकाली दल (अ) के उम्मीदवार जतिंदर सिंह थिंद आदि सहित कुल 22 उम्मीदवार मैदान में डटे हुए हैं, परंतु सरसरी नज़र डालें तो प्रचार करने में सबसे आगे  अकाली-भाजपा उम्मीदवार सुखबीर सिंह बादल ही नज़र आ रहे हैं, जबकि अबोहर, फाज़िल्का, जलालाबाद, फिरोज़पुर देहाती विधानसभा क्षेत्रों को छोड़ अधिकतर कांग्रेसी विधायकों व पूर्व विधायकों की नाराज़गी का सामना कर रहे शेर सिंह घुबाया की जीत वाली नज़र केवल राय सिख बिरादरी के वोट बैंक पर ही है, जिससे भी बागी सुर उठते नज़र आते दिखाई दे रहे हैं जोकि कांग्रेसी उम्मीदवार शेर सिंह घुबाया के लिए शुभ संकेत नहीं हैं।