दूरगामी प्रभाव डालेंगे लोकसभा चुनाव

हरियाणा में इस रविवार 12 मई को होने जा रहे लोकसभा चुनाव काफी रोचक और प्रदेश की राजनीति पर दूरगामी प्रभाव डालने वाले होंगे। हरियाणा में लोकसभा की सीटें चाहे 10 हैं लेकिन दिल्ली से सटा हुआ राज्य होने के कारण हरियाणा पूरे देश की राजनीति को हमेशा प्रभावित करता रहा है। ये चुनाव इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं क्योंकि इन चुनावों के तुरंत बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी होने जा रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में हरियाणा से भाजपा को 7, इनेलो को 2 और कांग्रेस को एकमात्र रोहतक की सीट हासिल हुई थी।  भाजपा नेतृत्व इस बार प्रदेश की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंके हुए है। 
भाजपा के चुनाव प्रचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक सभी बड़े-छोटे नेता चुनाव अभियान में लगे हुए हैं। इस बार भाजपा उम्मीदवारों को अनेक स्थानों पर लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा। जिसके चलते अब लगभग सभी भाजपा उम्मीदवार अपने नाम पर नही बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। कई उम्मीदवार तो लोगों की नाराजगी को देखते हुए यहां तक कह रहे हैं कि आप हमें चाहे वोट मत देना लेकिन नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए भाजपा को जरूर वोट दे देना।  कांग्रेस ने इस बार चुनाव मैदान में पार्टी के सारे दिग्गज नेताओं को मैदान में उतार कर भाजपा को कड़ी टक्कर देने का प्रयास किया है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा खुद सोनीपत से और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा रोहतक से चुनाव मैदान में हैं।  इस समय कांग्रेस के पास विधानसभा में जो सीटें हैं उनमें से सबसे ज्यादा विधायक इन्हीं दो लोकसभा क्षेत्रों से हैं और उन्हें भूपेंद्र हुड्डा का समर्थक माना जाता है। इधर, भिवानी-महेंद्रगढ़ से बंसीलाल की पौती और कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी मैदान में हैं। 
कांग्रेस की राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शैलजा अंबाला से, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर सिरसा, पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के पौत्र और विधायक कुलदीप बिश्नोई व रेनूका बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई हिसार, पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा करनाल, पूर्व सांसद अवतार भड़ाना फरीदाबाद, 6 बार कांग्रेस विधायक रहे पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव ग्रुरुग्राम और पूर्व मंत्री निर्मल सिंह कुरुक्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं। इन सभी दिग्गजों की पार्टी के साथ-साथ निजी प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई है। 
चौटाला के तीन पौत्र मैदान में
इनेलो के दोफाड़ होने के बाद पहली बार चौटाला परिवार के तीन सदस्य चुनाव में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के चार पौत्रों में से तीन पौत्र चुनाव लड़ रहे हैं। अजय सिंह चौटाला के सांसद बेटे दुष्यंत हिसार से और दिग्विजय सोनीपत से जेजेपी उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। जबकि अभय चौटाला के छोटे बेटे अर्जुन चौटाला कुरुक्षेत्र से इनेलो उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। अब हिसार, सोनीपत, कुरुक्षेत्र व सिरसा सीटों पर चौटाला परिवार की प्रतिष्ठा सीधे तौर पर जुड़ गई है। सिरसा सीट चौटाला परिवार की गृह सीट होने की वजह से इस सीट की हार-जीत हमेशा चौटाला परिवार से जोड़कर देखी जाती रही है। लोग इस चुनाव को अपने-अपने नजरिए से देख रहे हैं कि चुनाव में जेजेपी और इनेलो में से कौन कितना सफल होता है। परिवार में फूट से पहले इनेलो प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी थी उसके हाथ से नेता प्रतिपक्ष का पद भी चला गया।  
इनेलो के दो विधायकों डॉ. हरिचंद मिढ़ा और जसविंदर सिंह संधू के निधन के बाद विधानसभा में इनेलो विधायकों की संख्या घटकर 19 से 17 रह गई थी। उसके बाद इनेलो के दो विधायक रणबीर गंगवा व केहर सिंह रावत इनेलो छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। अब एक और विधायक नसीम अहमद के इनेलो छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने से इनेलो विधायकों की संख्या घटकर 14 रह गई है। इन 14 विधायकों में से एक विधायक नगेंद्र भड़ाना ने इनेलो से इस्तीफा तो नहीं दिया लेकिन पिछले साढ़े तीन साल से खुलमखुला भाजपा के साथ हैं। 
राज्यसभा चुनाव में भी नगेंद्र भड़ाना ने इनेलो समर्थित उम्मीदवार की बजाय भाजपा समर्थित उम्मीदवार को वोट दिया था। इसके अलावा इनेलो के चार विधायक खुलमखुला जेजेपी के समर्थन में चल रहे हैं। कुल मिलाकर इस समय प्रदेश में चुनाव अभियान शिखर पर है और कांग्रेस की ओर से जहां राहुल गांधी, प्रियंका गांधी से लेकर नवजोत सिंह सिद्धू तक और भाजपा के लिए नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह तक प्रचार कर रहे हैं वहीं जेजेपी-आप गठबंधन के लिए अरविंद केजरीवाल से लेकर डॉ. अजय चौटाला तक धुआंधार प्रचार में लगे हुए हैं। चुनाव प्रचार अंतिम पड़ाव पर है और इस लोकसभा चुनाव के नतीजे निश्चित तौर पर प्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनावों के नतीजों को अवश्य प्रभावित करेंगे।
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