भारत के चुनावों पर है पाकिस्तान के लोगों की नज़र

आखिर क्यों सारी दुनिया की नज़रें भारत के लोकसभा चुनावों पर लगी हुई हैं? इस सवाल का जवाब यह दिया जा सकता है कि बड़ा देश, बड़े चुनाव और सबसे बड़ा 90 करोड़ मतदाता जो दुनिया के किसी देश के पास नहीं। दुनिया इंतज़ार कर रही है कि बड़े देश के बड़े मतदाता अपने भविष्य के साथ-साथ अपने देश की भविष्य की तस्वीर क्या दिखाना चाहते हैं और सबसे आवश्यक बात यह कि इस क्षेत्र में विकास या अमन-शांति के भविष्य के लिए भारतीय लोग किस पार्टी के किस नेता को आगे लाना चाहते हैं। इसका तात्पर्य यह हुआ कि भारतीय मतदाताओं को बड़ा फैसला करना पड़ेगा। बड़े दिल, दिमाग और सभी को साथ लेकर चलने वाले नेता का चुनाव करना पड़ेगा, क्योंकि इस बार गलती की गुंजाइश नहीं है। पाकिस्तान शिद्दत से लोकसभा चुनावों के परिणामों का इंतज़ार कर रहा है। इस बात पर किसी को सन्देह नहीं करना चाहिए कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भारत के साथ अमन-शांति के लिए बातचीत ही नहीं, अपितु दोस्ती भी चाहते हैं। दोनों देशों में गरीबी और बेरोज़गारी को खत्म करने के लिए व्यापार बढ़ाना चाहते हैं। करतारपुर गलियारे सहित अन्य कई गलियारे खोलना चाहते हैं। पाकिस्तान आतंकवाद को खत्म करके पर्यटन को शुरू कर चुका है। सौ से अधिक देशों के लिए पाकिस्तान पहुंचने के लिए वीज़ा देने की सुविधा की घोषणा कर दी गई है। बैसाखी तथा अन्य समारोहों के लिए पाकिस्तान 2000 से अधिक सिख श्रद्धालुओं को स्वागतम कह चुका है और करतारपुर गलियारे को नवम्बर में खोलने के लिए पाकिस्तान दिन-रात कार्य कर रहा है। यह जानते हुए कि भारत सरकार और सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावों में व्यस्त हैं। पाकिस्तान अपने इस तरफ से अमन-शांति की प्रक्रिया जारी रख रहा है। अब तक 400 या इससे अधिक मछुआरों को बाघा सीमा द्वारा भारत भेज चुका है। इस शांति प्रक्रिया पर गत दिनों मेजर जनरल आसिफ गफूर को प्रैस मीटिंग के दौरान पत्रकारों ने खुलकर सवाल किए, जिसका मेजर जनरल ने संक्षिप्त जवाब दिया। ऐसी मोटी-मोटी बात बताते गए यदि भारत कश्मीर के हल की ओर आता है और शेष मुद्दे भी हल करना चाहता है तो पाकिस्तान हर सम्भव प्रयास करेगा। भारत में चुनाव हो जाएं, मोदी इस समय जो कुछ कह रहे हैं, चुनावों के माहौल में कह रहे हैं, चुनावों के बाद भारत ने यदि दोनों देशों की गरीब जनता के कल्याण के लिए कुछ पहल की तो हम भी अवश्य कदम उठायेंगे। दोनों देश मिलकर अपने मामले हल कर सकते हैं। एक साथ चलने की क्षमता रखते हैं। यदि इस तरह हुआ तो यह दोनों देशों और इस क्षेत्र के लोगों के हित में होगा। नरेन्द्र मोदी यदि सरकार बनाने की स्थिति में आते हैं और व्यवहार में बदलाव लाते हैं तो फिर इसको अच्छा बदलाव कहा जा सकता है। पाकिस्तान अपनी स्थिति जानता है। फिलहाल उसको उम्मीद है कि भारत का रवैया ज्यादा बेहतर और ज़िम्मेदाराना होगा। मेजर जनरल की मीडिया बातचीत ने पाकिस्तान के भविष्य की तस्वीर और योजना बिल्कुल साफ कर दी है। अब ध्यान भारत के साथ बेहतर संबंध और एक बार फिर शांति के संदेश की ओर है। यदि भारत ने पाकिस्तान की नई सरकार को पुराना जवाब ही दिया तो इस क्षेत्र में पुराना दौर फिर आ जायेगा और वही कुछ पुन: शुरू हो जायेगा, जिसकी एक झलक हम फरवरी में देख और समझ चुके हैं। फरवरी में क्या कुछ हुआ, और किस उद्देश्य के लिए हुआ और किसने किया? यह फिल्म दोनों देशों की आवाम दोबारा कभी भी देखना नहीं चाहेगी, क्योंकि इसकी कहानी नफरत भरी थी। लोग खून-खराबे और मारपीट वाली फिल्में देखकर ऊब चुके हैं और अब कोई प्रेम भरी कहानी देखना चाहते हैं। यह बात नोट करने वाली है कि कलाकार, लेखक, कवि आदि अपीलें कर रहे हैं कि प्यार, अमन-शांति, धर्म-निरपेक्षता और वोट दें, कट्टरवाद को नकार दें। यह अपील और इसके साथ मिलती-जुलती भारतीय संस्थाओं की अपीलों को नकारा नहीं जा सकता। यह सारा माहौल साफ-साफ बोल रहा है कि भारतीय लोग भी बदलाव चाहते हैं और यह बदलाव लाना पड़ेगा क्योंकि नफरत और जंग ने आज तक तबाही और नुक्सान के अलावा किसी को कुछ नहीं दिया।  पाकिस्तान में भारत के चुनावों को बहुत ध्यान से देखा जा रहा है और लोग यह सोच रहे हैं कि चुनाव तो भारत में हो रहे हैं, परन्तु एक पार्टी हाथ-मुंह धोकर पाकिस्तान और मोहम्मद अली जिन्नाह के पीछे क्यों पड़ गई है? हमारा नाम लेकर या हमें बुरा-भला कहकर वोट क्यों मांगे जा रहे हैं? जो भी पार्टी ऐसा कर रही है, वह पाकिस्तान का नाम अपनी चुनाव मुहिम से बाहर रखे क्योंकि पाकिस्तान भारत से बाहर है और बाहर ही रहेगा। पाकिस्तान में चुनाव गत वर्ष हो चुके हैं, अब चुनाव भारत में हो रहे हैं। एक बड़ी भारत की राजनीतिक पार्टी अपनी पांच वर्ष की कार्रगुजारियों और उपलब्धियों पर वोट क्यों नहीं मांग रही? पाकिस्तान के नाम का पत्ता क्यों खेल रही है? इस पत्ते का दुरुपयोग बंद करना पड़ेगा। 2018 में पाकिस्तान के चुनावों में तो किसी ने भारत के नाम का पत्ता नहीं खेला और न ही कोई फिल्म बनाने की कोशिश की। शाहरुख खान की सुपरहिट फिल्म ‘दिलवाले दुल्हिनयां ले जाएंगे’ भारत और पाकिस्तान के लोगों को आज भी याद है। इस फिल्म का एक डायलॉग बहुत प्रसिद्ध हुआ था कि बड़े-बड़े देशों में ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं। समूची दुनिया भारत के बड़े चुनावों को देख रही है और छोटी-छोटी बातों को भी सुन रही है। पाकिस्तान के लोगों की शुभकामनाओं के संदेश हैं कि भारत में साफ-स्वच्छ चुनाव हों। पाकिस्तान को इससे बाहर रखा जाए और जो भी पार्टी जीत हासिल करे, अगली सरकार बनाए, वह सिर्फ अमन-शांति और विकास के लिए कार्य करे। नफरत और दुश्मनी को दोस्ती और भाईचारे में तबदील कर दे।