जई का उत्पादन घटा : भविष्य तेज़ी का

नई दिल्ली, 17 मई (एजेंसी): जई का उपयोग हरे चारे तथा सूखे चारे दोनों रूपों में किया जाता है। इसकी फसल में मुख्यत: तीन बार कटाई की जाती है, जिससे पर्याप्त मात्रा में हरा चारा प्राप्त होता है। भारत में रबी सीजन के चारे वाली उत्तम फसलों में बरसीम के पश्चात् जई का ही स्थान आता है। इसलिए जई की फसल चारे वाली फसलों में मुख्य मानी जाती है। जई के द्वारा अच्छे गुणों वाली साइजिज भी तैयार की जाती है। जई के पशुचारे में कार्बोहाइडे्रट भरपूर होता है।  जई का उत्पादन उत्तर प्रदेश की  छर्रा, अतरौली, खैर डिवाई, अनूपशहर, जहांगीराबाद, खुर्जा, सिकन्दराबाद एवं मेरठ क्षेत्र में किसानों द्वारा किया जाता है। पिछले दो-तीन वर्षों से जई का उत्पादन घट रहा है तथा इस वर्ष मंडियों में किसानों द्वारा जई की आवक मात्र 10 प्रतिशत देखी जा रही है। बिहार में गत वर्ष के मुकाबले जई की फसल सवाई होने से जई का उत्पादन लगभग 300 मोटर तक माना जा रहा है, जोकि 200 मोटर के लगभग होता था। एक मोटर में लगभग औसतन 300 बोरी मानी जाती है। इसलिए इसका उत्पादन करीब इस साल 90 हजार बोरी तक होने का अनुमान लगाया जा रहा है।