जनता ने चुन लिया अपना प्रतिनिधि, अब वायदे पूरे होने की उम्मीद

हिमाचल प्रदेश की चारों लोकसभा सीट के लिए जनता ने मतदान कर अपना फैसला सुना दिया है। जनता के सामने स्वतंत्र रूप से देश की संसद के लिए अपना प्रतिनिधि चुनने का अवसर था, जिस पर पिछले कल मतदान कर जनता ने अपना निर्णय दे दिया। जनता के सामने दो राष्ट्रीय पार्टियों भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के साथ-साथ आजाद उम्मीदवार भी मैदान में थे। लोकतंत्र में लोकसभा के सदस्य चुनने के लिए मतदान होता है और जिसको सबसे अधिक मत मिलते हैं, वह देश की संसद में बैठता है। जनता का मत किसके साथ है इसका परिणाम तीन दिन बाद यानी 23 मई को आएगा लेकिन मतदान के बाद प्रदेश की जनता को उम्मीद है कि अब जो प्रतिनिधि जीतकर संसद में जाएंगे, वो अपना वायदा अवश्य पूरा करेंगे। इस चुनाव में राष्ट्रीय स्तर से लेकर संसदीय क्षेत्र स्तर तक के बहुत वायदे हुए हैं। जनता को राष्ट्रीय स्तर के वायदों के साथ-साथ स्थानीय वायदों को पूरा होने की उम्मीद ज्यादा होती है। लोकसभा चुनाव में प्रदेश के विकास के मुद्दे बहुत कम ही गूंजे। दोनों पार्टियां राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों को लेकर ही चुनाव लड़ती रही हैं। भाजपा ने जनता से वायदे किए कि वह देश में आर्थिक सुधारों के साथ विकास करेंगे, जिससे देश में खुशहाली आएगी। वहीं देश की रक्षा, कश्मीर से धारा 370 को हटाना जैसे मुद्दे गूंजते रहे। वहीं कांग्रेस पार्टी प्रमुख रूप से गरीब परिवारों से साल में 72 हजार रुपए देने की न्याय योजना को लेकर वोट मांगती रही। कांग्रेस का मानना है कि न्याय योजना के माध्यम से ही देश का सामाजिक विकास होगा, जिससे गरीब के खाते में पैसा आएगा तो वह बाजार में खर्च करेगा। जब वह बाजार में खर्च करेगा तो व्यापारियों को फायदा होगा और जब व्यापारियों के पास सामान की मांग बढ़ेगी तो उद्योगों में उत्पादन बढ़ेगा, जिससे उद्योग क्षेत्र में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इस तरह कांग्रेस का प्रचार न्याय योजना के आस-पास ही घूमता रहा। चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी भी स्थानीय मुद्दों को उठाकर मतदाताओं का विश्वास जीतने का प्रयास करते रहे हैं। 
शिमला संसदीय क्षेत्र में सेब के आयात शुल्क को बढ़ाने और हाटी समुदाय का मुद्दा गूंजता रहा, तो कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में कहीं-कहीं चम्बा के सीमेंट प्लांट की स्थापना का मुद्दा रहा। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में रेल के विस्तारीकरण का मुद्दा गूंजता रहा। वर्तमान सांसद व भाजपा प्रत्याशी अनुराग ठाकुर रेल विस्तार कर हमीरपुर तक रेल लाईन लाने का वायदा जनता से करते रहे तो कांग्रेस के प्रत्याशी रामलाल ठाकुर रेल विस्तार करवाने में अनुराग की नाकामी को लेकर घेरते रहे। मंडी संसदीय क्षेत्र में विकास के मुद्दे पर बात कम हुई, लेकिन भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप शर्मा की नाकामी को कांग्रेस ने मुद्दा बनाया तो रामस्वरूप केंद्र व प्रदेश सरकार के द्वारा किए जाने वाले विकास की बातें करते रहे। मंडी में स्थानीय मुद्दा गायब ही रहा। यहां जो मुद्दे रहे, उन्हीं का मंथन कर मतदाताओं ने निर्णय लेकर मतदान किया है। अब परिणाम आने के बाद मतदाताओं को वायदे पूरे होने की उम्मीद है। जो वायदे वर्षों से पूरे नहीं हो सके, शायद आगामी पांच वर्षों में पूरे हो जाएंगे।
वरिष्ठों और युवाओं के बीच चुनावी जंग
हिमाचल प्रदेश के लोकसभा चुनाव की जंग प्रदेश के वरिष्ठ और युवा प्रत्याशियों के बीच हुई है। किसी लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के युवा प्रत्याशी तो किसी में कांग्रेस के युवा प्रत्याशी मैदान में रहे हैं। वरिष्ठ और युवा प्रत्याशियों को लेकर सोशल मीडिया में भी बहुत चर्चा होती रही है। शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने युवा उम्मीदवार सुरेश कश्यप को मैदान में उतारा, तो कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता धनीराम शांडिल मैदान में थे। इसी तरह मंडी संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस ने युवा और राजनीति में नए चेहरे के रूप में आश्रय शर्मा को मैदान में उतारा, तो भाजपा की ओर से सीनियर नेता रामस्वरूप शर्मा मैदान में हैं। वहीं हमीरपुर से भाजपा का युवा चेहरा अनुराग ठाकुर हैं, तो कांग्रेस के सीनियर नेता रामलाल ठाकुर मुकाबले में खड़े हैं। इसी तरह कांगड़ा लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के युवा नेता पवन काजल थे, तो भाजपा के सीनियर नेता किशन कपूर मैदान में थे। इस तरह चारों विधानसभा क्षेत्रों में सीनियर नेता बनाम युवा नेता के बीच मुकाबला था। नेताओं के साथ-साथ मतदाताओं में भी युवाओं का जोश ज्यादा देखने का मिला है। एक सर्वे में यह भी कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक युवा हैं। वैसे भी जनगणना के आंकड़ों के अनुसार यह माना जाता है कि कुल जनसंख्या में 40 फीसदी से अधिक युवाओं की संख्या है। अब देखना है कि चुनाव परिणाम के बाद जनता ने युवा नेताओं पर भरोसा जताया कि सीनियर नेताओं के अनुभव को ध्यान में रखकर मुहर लगाई है।
राहुल गांधी करते रहे वीरभद्र का गुणगान
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी हिमाचल प्रदेश में प्रचार के दौरान हर मंच से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का गुणगान करते रहे। राहुल गांधी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की सियासी ताकत को पहचानते हैं, जिससे वह हर मंच से वीरभद्र सिंह का गुणगान कर कांग्रेस के पक्ष में लहर बनाने का प्रयास करते रहे। यह बात भी सच है कि अभी तक हिमाचल की सियासत में वीरभद्र सिंह के बराबर सियासी कद रखने वाला कोई नेता नहीं है। हिमाचल प्रदेश की जनता के बीच वीरभद्र सिंह की एक अलग ही पहचान है जो उन्होंने अपने 50 साल से अधिक के राजनीतिक सफ र के दौरान बनाई है, जिसे अच्छी तरह समझते हुए राहुल गांधी हर मंच से वीरभद्र सिंह का गुणगान कर उनके नाम का फायदा उठाने का प्रयास करते रहे। ऊना में आयोजित रैली में राहुल गांधी ने वीरभद्र सिंह को अपना गुरु बताया, तो सोलन में आयोजित रैली में वीरभद्र सिंह से गले भी मिले और मंच से दिए भाषण में गुणगान भी किया। राहुल ने कहा कि हम 6 बार के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के अनुभव से बहुत कुछ सीख सकते हैं।
आयकर रिटर्न न भरने पर घिरे रामस्वरूप
आयकर रिटर्न न भरने के मामले में रामस्वरूप शर्मा घिर गए हैं। आईटीआर मामले में कांग्रेस ने हिमाचल हाईकोर्ट में रामस्वरूप शर्मा के खिलाफ  याचिका दायर की है, जिसे कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। यह याचिका मंडी से कांग्रेस नेता लाभ सिंह द्वारा दायर की गई है। याचिका में रामस्वरूप शर्मा को आयकर विभाग के प्रिंसीपल इन्कम टैक्स कमिशनर द्वारा दी गई राहत को आयकर अधिनियम की धारा 119(2)बी का उल्लंघन बताते हुए कार्रवाई की मांग उठाई गई है। इस मामले में प्रिंसीपल इन्कम टैक्स कमिशनर और रामस्वरूप शर्मा को पार्टी बनाया गया है। बता दें कि राम स्वरूप शर्मा ने सांसद रहते कभी अपनी आईटीआर नहीं भरी और चुनावों के दौरान नामांकन भरने से पहले चार वर्षों की आईटीआर एक साथ भर दी। इस बात को लेकर कांग्रेस ने पहले भी सवाल उठाए और अब मामले को कोर्ट में चुनौती दी गई है। कांग्रेस प्रत्याशी आश्रय शर्मा ने कहा कि नियमों को ताक पर रखकर एक साथ आयकर रिटर्न भरने की छूट दी गई। अब सबकी निगाहें अदालत की तरफ  हैं कि अदालत रामस्वरूप के चार साल के रिटर्न एक साथ भरने को जायज मानती है या गलत।