वोटिंग कम होने से अनुमान डगमगाने की आशंका

जालन्धर, 20 मई (मेजर सिंह ) : पंजाब में पिछले चुनावों के मुकाबले  लगभग 5 से 7 फीसदी कम वोटिंग होने से राजनीतिक दलों के नेताओं व चुनाव विशलेषकों द्वारा लगाए जा रहे अनुमान डगमगाने के हालात पैदा हो गए हैं। पूरे पंजाब में वोटिंग के समय शहरी क्षेत्रों में हिन्दू भाईचारे में मोदी के प्रति हमदर्दी का प्रकटावा भी बेहद खुलकर सामने आया है, जबकि दोआबा क्षेत्र में दलित वोट बसपा के पक्ष में दिखाई गई। 2014 के लोकसभा चुनावों में पंजाब स्तर पर 70.63 प्रतिशत वोट पड़े थे। उस समय पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी परंतु तीसरा विकल्प बनाने के लिए प्रयत्नशील आम आदमी पार्टी के उभार ने पंजाब में मोदी लहर को पलट दिया था और ‘आप’ के चार उम्मीदवार विजयी रहे थे और 3 अन्य उम्मीदवार दो लाख से अधिक वोट लेने में सफल रहे थे। ‘आप’ की लहर के कारण लोगों ने वोट डालने की ओर भी अधिक उत्साह दिखाया था परंतु इस बार लहर जैसी बात किसी भी पार्टी के पक्ष में दिखाई नहीं दी। शायद यही कारण है कि अधिकतर क्षेत्रों में 5 से 7 फीसदी कम वोटिंग हुई। 2014 में संगरूर क्षेत्र में सबसे अधिक 77.21 फीसदी वोटिंग हुई थी परंतु इस बार लगभग 5 फीसदी कम 72.44 फीसदी के करीब वोटिंग हुई है। इसी तरह बठिंडा क्षेत्र में भी उस समय 77.16 फीसदी वोटिंग हुई थी और अब लगभग 3 फीसदी कम 74.10 फीसदी मतदान हुआ है। अमृतसर क्षेत्र में उस समय 68.19 फीसदी वोटिंग हुई थी और अब लगभग 11 फीसदी कम 57.08 फीसदी वोटिंग हुई है।  राजनीतिक सूत्र अनुमान लगा रहे हैं कि ‘आप’ को पिछली बार पड़ी आधी से अधिक वोट तो कम वोट पड़ने के कारण वैसे ही खारिज हो जाएगी। बाकी बची वोट किधर का रुख करती है, चुनाव परिणामों पर इसका भी प्रभाव पड़ेगा।
हिन्दू भाईचारे में मोदी के प्रति झुकाव
शहरी क्षेत्रों में हिन्दू भाईचारे का मोदी की ओर झुकाव होने के संकेत बहुत दिन पहले ही मिल गया था परंतु पूरे पंजाब में मतदान के समय इसका असर प्रत्यक्ष रूप में दिखाई दिया। शहर के मध्यम व उच्च वर्ग के रिहायशी क्षेत्रों में इस बार वोटिंग की फीसदी अधिक रही है और इसे विशलेषक मोदी लहर का नाम ही दे रहे हैं। आम देखा गया है कि बड़े शहरों से कस्बों व गांवों तक बसे हिन्दू भाईचारे में नया उत्साह दिखाई दिया है। जालन्धर, लुधियाना, बठिंडा व फरीदकोट के शहरी विधानसभा क्षेत्रों के पाश क्षेत्रों के इलाकों में पहले से कम से कम 10 फीसदी अधिक वोटिंग हुई है। जालन्धर के मॉडल टाऊन क्षेत्र के 7 बूथों पर हमेशा 40 फीसदी के करीब वोट पड़ते रहे हैं परंतु इस बार इन बूथों पर 55 से 60 फीसदी तक वोटिंग हुई है। दोपहर समय भी बड़े घरानों के लोग बड़ी कारों में कड़कती धूप में भी वोट डालने आते दिखाई दिए। मोहाली में भी हिन्दू भाईचारे की नया उत्साह मतदान के समय राजनीतिक नेताओं की चर्चा का विषय रही। संगरूर क्षेत्र में इस समय ‘आप’ के भगवंत मान व अकाली दल के परमिंदर सिंह ढींडसा के बीच कांटे की टक्कर बताई जाती है और शहरी क्षेत्र की नया उत्साह ही चुनावों की जीत-हार का फैसला करेगा। एक नई बात यह देखी गई है कि सामान्य तौर पर कांग्रेस का मजबूत आधार रही प्रवासी वोट इस समय मोदी के प्रभाव में अधिक दिखाई दिया है। इन कारणों से पंजाब में चुनाव परिणाम उलट-पुलट हो सकते हैं।
दोआबा में बसपा का पुन: उभार 
लम्बे समय से अधिकतर दलित आबादी वाले क्षेत्र दोआबा में बसपा का अच्छा आधार रहा है परंतु पिछले एक दशक में इसका प्रभाव बेहद कम हो गया था परंतु इन चुनावों में ग्रामीण क्षेत्र के लगभग सभी क्षेत्रों में बसपा उम्मीदवारों को पहले से अधिक समर्थन देखने को मिला है। जालन्धर, होशियारपुर में बसपा उम्मीदवार पंजाब जम्हूरी गठबंधन के नेतृत्व में चुनाव लड़रहे हैं। बसपा को अधिक समर्थन से कांग्रेस का नुक्सान होने की दलील ज्यादा कायल करने वाली नहीं थी क्योंकि इस समय दोआबा के दलितों विशेषकर आदिधर्मियों में अकाली दल का भी अच्छा रसूख है और इस समय तीन क्षेत्रों में अकालियों के दलित भाईचारे के विधायक हैं। आम प्रभाव यह है कि यदि 2-3 फीसदी अधिक वोट बसपा ने ली तो दोनों प्रमुख पार्टियों कांग्रेस व अकालियों को नुक्सान होगा परंतु यदि इससे अधिक वोटिंग हुई तो अधिक नुक्सान कांग्रेस को झेलना पड़ सकता है। दलितों में नया रुझान दोआबा के लगभग एक दर्जन ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों में देखा गया है।