नहीं आये अच्छे दिन

अब जबकि मतदान प्रक्रिया मुकम्मल हो चुकी है और परिणाम आने में मात्र दो दिन ही शेष हैं। इस बीच सभी राजनीतिक पार्टियों ने सरकार बनाने के लिए कवायद शुरू कर दी है। जहां विपक्षी पार्टियां बहुमत न मिलने की स्थिति में गठबंधन सरकार बनाने के लिए भागदौड़ कर रही हैं, वहीं भाजपा नेता चुनाव सर्वेक्षणों में मिले बहुमत से उत्साहित नज़र आ रहे हैं। यदि हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले पांच वर्षों की कारगुज़ारी को देखें तो ऐसा लगता है जैसे नरेन्द्र मोदी ने अपने इन पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान गरीबी, किसान, बेरोज़गारी, महिला सुरक्षा आदि मुद्दों पर काम ही नहीं किया है। मोदी सरकार ने हिन्दू-मुस्लिमों को बांटने की कोशिश ज़रूर की है। जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे, तो उनका मुख्य नारा था ‘अच्छे दिन आयेंगे’, ‘सबका साथ सबका विकास’ ‘काला धन आयेगा’, ‘सभी को 15 लाख मिलेंगे’ आदि। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। हमारे देश के नेता वोट लेने के लिए लोगों को ऐसे स्वप्न दिखाते रहते हैं। इस बार भी जो चुनाव हुए हैं, उसमें नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और योगी आदित्य नाथ ने मतदाताओं को सपने ही दिखाए हैं। हमारे देश की जनता गुमराह कैसे हो जाती है, यह तो वही जाने। हमारे देश की आधी से अधिक जनता अनपढ़ है, गांवों में रहती है, वह नेताओं के झूठे आश्वासनों में फंस जाती है। चुनावों के दौरान नेताओं द्वारा खूब सपने दिखाए जाते हैं, लेकिन जब ये नेता सत्ता की कुर्सी पर विराजमान हो जाते हैं, तो फिर यह नेता जनता को भूल जाते हैं ।

—डा. एम.एल. सिन्हा