एक्ज़िट पोल से भाजपा के हौसले बुलंद, विपक्षी खेमे में निराशा


लोकसभा चुनाव नतीजों को लेकर विभिन्न संस्थानों द्वारा दिखाए गए एक्ज़िट पोल को लेकर जहां भाजपा कार्यकर्त्ताओं के हौसले बुलंद हैं, वहीं विपक्षी खेमे में थोड़ी मायूसी आ गई है। एक्ज़िट पोल के बाद भाजपा नेताओं ने केंद्र के साथ-साथ प्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद प्रदेश में भी भाजपा की सरकार बनने के दावे करने शुरू कर दिए हैं। वहीं विपक्षी नेताओं ने पिछले एक्ज़िट पोल रुझानों के दावों व असल नतीजों के बीच आए भारी अंतर का हवाला देकर कार्यकर्ताओं से हौसला बनाए रखने और मतगणना के दिन ज्यादा चौकसी बरतने को कहा है। 
वैसे 23 मई को आने वाले चुनावी नतीजों ने प्रदेश के राजनेताओं और उनके समर्थकों की धड़कनें तेज कर दी हैं। इस बार लोकसभा चुनाव के नतीजे हरियाणा के लिए वैसे ही बेहद खास और महत्वपूर्ण होंगे। इन नतीजों पर प्रदेश में बनने वाली अगली सरकार का भविष्य निर्भर करता है। इस बार मतगणना के दौरान चुनावी नतीजों के रुझान गुरुवार को बाद दोपहर तक मिलने की उम्मीद है। इससे पहले चुनावी रुझान सुबह से ही मिलने शुरू हो जाते थे। इस बार हर विधानसभा क्षेत्र के 5 बूथों की वीवीपैट मशीनों की पर्चियों का मिलान ईवीएम मशीनों से होगा व फिर गिनती शुरू होगी। इसी के  चलते दोपहर तक चुनावी रुझान मिल पाएंगे। 
पिछली बार भाजपा ने जीती थीं 7 सीटें
भाजपा प्रदेश की सभी 10 सीटें जीतने का दावा कर रही है और पिछली बार भाजपा ने 7 सीटें जीती थीं। कांगे्रस ने पिछली बार एक सीट जीती थी। पिछली बार इनेलो ने दो संसदीय सीटें सिरसा व हिसार जीती थीं लेकिन पार्टी में फूट पड़ जाने और दोफाड़ हो जाने के बाद यह संसदीय चुनाव चौधरी देवीलाल की विरासत को लेकर दोनों गुटों में चल रही कशमकश के दृष्टिगत बेहद अहम होंगे। ये चुनाव भाजपा से बागी होकर अपनी अलग पार्टी बनाने वाले सांसद राज कुमार सैनी की एलएसपी और मायावती की बीएसपी का भविष्य भी तय करेंगे। 
कांग्रेस के तमाम दिग्गजों का भविष्य दांव पर
इस बार कांग्रेस ने अपने तमाम दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतार कर ज्यादातर संसदीय क्षेत्रों में कड़ी टक्कर देने का प्रयास किया है। इन दिग्गजों की जीत-हार से न सिर्फ कांग्रेस का हरियाणा में भविष्य तय होगा बल्कि गुटबाजी की शिकार कांग्रेस का अगले विधानसभा चुनाव में चेहरा-मोहरा कौन होगा, यह भी तय हो जाएगा। इन चुनाव नतीजों से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा व उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा का सीधा भविष्य जुड़ गया है। भूपेंद्र हुड्डा सोनीपत से और दीपेंद्र हुड्डा रोहतक से प्रत्याशी हैं और अगर दोनों बाप-बेटा चुनाव जीत गए तो कांग्रेस में न सिर्फ उनकी पकड़ मजबूत हो जाएगी बल्कि वे अगले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का चेहरा भी बन सकते हैं। अगर वे चुनाव जीतने में सफल न हो पाए तो न सिर्फ कांग्रेस को गहरा झटका लगेगा बल्कि छोटे व बड़े हुड्डा के लिए भी बहुत बड़ी क्षति होगा। कांग्रेस ने सिरसा से पार्टी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर, भिवानी-महेंद्रगढ़ से विधायक दल की नेता किरण चौधरी की बेटी व पूर्व सीएम बंसी लाल की पौत्री श्रुति चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। हिसार से पूर्व सीएम भजनलाल के पौत्र व विधायक कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई, अम्बाला से राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा, फरीदाबाद से पूर्व सांसद अवतार भड़ाना, गुरुग्राम से पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह, करनाल से पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा और कुरुक्षेत्र से पूर्व मंत्री निर्मल सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है। इसके चलते कांग्रेस के तमाम दिग्गजों की प्रतिष्ठा और भविष्य इन चुनावों के नतीजों पर टिका हुआ है। 
इनेलो व जेजेपी का भविष्य दांव पर
कुछ महीने पहले तक इनेलो को हरियाणा विधानसभा के आने वाले चुनावों में सत्ता के लिए प्रमुख दावेदार माना जा रहा था। चौधरी देवीलाल के जन्मदिन पर अक्तूबर में हुई गोहाना रैली में पार्टी के युवा कार्यकर्त्ताओं द्वारा दुष्यंत चौटाला के समर्थन में की गई नारेबाजी को इनेलो आलाकमान द्वारा बेहद गंभीरता से लिए जाने और पार्टी संसदीय दल के नेता दुष्यंत चौटाला, इनसो प्रमुख दिग्विजय चौटाला और इनेलो के प्रधान महासचिव व पूर्व सांसद डॉ. अजय चौटाला को पार्टी से निकाले जाने और उनके द्वारा अलग से अपनी जननायक जनता पार्टी का गठन किए जाने से पार्टी को काफी नुकसान हुआ है और पार्टी पूरी तरह से दोफाड़ हो गई है। पार्टी के अनेक पदाधिकारी, विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद व जिला अध्यक्ष इनेलो छोड़कर जेजेपी के साथ हो गए हैं। 
जींद उपचुनाव से बदली प्रदेश की राजनीति
इसका असर जींद उपचुनाव में देखने को मिला। जींद उपचुनाव ने प्रदेश की राजनीति को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। जींद उपचुनाव को पहली बार भाजपा ने जीता और जननायक जनता पार्टी करीब 38 हजार वोट लेकर दूसरे स्थान पर रही। कांग्रेस उम्मीदवार रणदीप सुरजेवाला तीसरे स्थान पर रहे और बड़ी मुश्किल से जमानत बचा पाए। सांसद राज कुमार सैनी की पार्टी एलएसपी चौथे और इनेलो मात्र साढ़े 3 हजार वोट लेकर पांचवें स्थान पर रही। एलएसपी और इनेलो की जमानत जब्त हो गई। अब लोकसभा चुनाव के दौरान लोगों की नजर इस बात पर लगी हुई है कि जेजेपी और इनेलो में से कौन आगे रहता है और आने वाले समय में चौधरी देवीलाल की राजनीतिक विचारधारा को कौन आगे ले जा पाएगा। यह लोकसभा चुनाव के नतीजों से ही साफ हो जाएगा। 
चौटाला परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर
वैसे चौधरी देवीलाल परिवार की ओर से इस बार अजय चौटाला के बेटे सांसद दुष्यंत हिसार से चुनाव लड़ रहे हैं, और दिग्विजय चौटाला सोनीपत से भूपेंद्र हुड्डा के मुकाबले जेजेपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। दूसरी तरफ अभय चौटाला के छोटे बेटे अर्जुन चौटाला कुरुक्षेत्र से इनेलो टिकट पर अपना भाग्य आज़मा रहे हैं। इन चुनावों से चौटाला परिवार की प्रतिष्ठा सीधे तौर पर जुड़ गई है। जींद उपचुनाव से इनेलो को काफी भारी झटका लगा था। जींद में पार्टी का प्रदर्शन ठीक न रहने से बसपा ने उपचुनाव के तुरंत बाद इनेलो से अपना गठबंधन तोड़ कर राज कुमार सैनी की पार्टी से गठजोड़ कर लिया। इसके बाद इनेलो के तीन विधायक रणबीर गंगवा, केहर सिंह रावत और नसीम अहमद इनेलो छोड़ गए। इनमें से नसीम कांग्रेस में शामिल हुए और बाकी दोनों भाजपा में चले गए। इनेलो ने पार्टी के चार विधायकों के खिलाफ स्पीकर के पास शिकायत दे रखी है और उनके द्वारा जेजेपी का साथ देने पर उन्हें विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराए जाने की मांग की है। स्पीकर द्वारा इस मामले में जारी किए गए नोटिस के मामलों की सुनवाई अभी लंबित है। इसी बीच इनेलो के हाथ से नेता प्रतिपक्ष का पद भी चला गया और इनेलो विधानसभा में पहली बार तीसरे नंबर की पार्टी बन गई। 
कांग्रेस का नेता प्रतिपक्ष पद पर दावा
विधानसभा में इनेलो विधायकों की संख्या घटने के कारण अब कांग्रेस सदन में दूसरे नंबर की पार्टी हो गई है। इसके चलते कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी ने स्पीकर को पत्र लिखकर उन्हें नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता दिए जाने की मांग की है। यह मामला स्पीकर के पास अभी लंबित है। इस बार लोकसभा के चुनाव काफी दिलचस्प रहे और चुनाव नतीजे भी काफी रोचक रहने की उम्मीद है। पूरे प्रदेश में भाजपा उम्मीदवारों व भाजपा नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांगे और कहीं भी उम्मीदवारों का जिक्र तक नहीं किया गया। वहीं भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों ने मतदाताओं से अपने नाम  अथवा अपनी पार्टी के नाम पर वोट देने का आग्रह किया। इस बार जहां 10 में से 8 निवर्तमान सांसद चुनाव मैदान में हैं, वहीं प्रदेश के तीन विधायक जिनमें से एक राज्यमंत्री हैं, भी अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं। 
मो. 98554-65946