पंजाब में बड़ा चुनाव सुधार-उम्मीदवारों ने ज्यादातर क्षेत्रों में पैसे तथा शराब बांटने से की तौबा

जालन्धर, 21 मई (मेजर सिंह) : गत दो दशकों से पंजाब की हर तरह के चुनावों में शराब और पैसे का इस्तेमाल पानी की तरह किए जाने की रिपोर्टें आम छपती रही हैं, परन्तु 2014 में लोकसभा चुनावों में पहली बार आम आदमी पार्टी के शामिल होने पर एक भी पैसा दिए बगैर और बिना शराब पिलाए 4 उम्मीदवार विजयी रहे थे और कई अन्य बाज़ी मारने के नज़दीक पहुंच गए थे, परन्तु बाकी पार्टियों के उम्मीदवारों ने खुल कर शराब और पैसे से वोटरों को प्रभावित करने का इस्तेमाल किया था। गत कुछ वर्षों से पंजाब में नशों के खिलाफ अनेक तरह की जागृति मुहिम चलाई गई हैं और पंजाब के लोगों ने प्रदेश में बढ़ी नशों का इस्तेमाल करने के कारण भारी वित्तीय और जानी नुक्सान को भी झेला है। शायद यह भी एक अहम कारण हो कि राजनीतिक पार्टियों ने भी नशे और पैसे से वोटें बटोरने की तरफ इस बार बड़े स्तर पर हाथ पीछे खींचा है। इज्ज़त का सवाल बने हलकों में पिछले चुनावों में शराब और पैसे का इस्तेमाल करोड़ों में भी किए जाने की रिपोर्टें मिलती रही हैं परन्तु हासिल की जानकारी अनुसार इस बार ज्यादातर हलकों के करीब सभी पार्टियों के उम्मीदवारों ने गांवों और मोहल्लों में शराब की पेटियां बांटने से गुरेज किया है। सिर्फ निचले स्तर पर अपने तौर पर शराब पिलाने बारे तो पता लगा है, परन्तु अधिक शराब बांटने का रुझान इस बार कुछ ही हलकों तक ही सीमित रहा। पैसे के बदले वोटों का रुझान तो इस बार किसी भी हलके में देखने को नहीं मिला। एक नेता कह रहे थे कि लोग ‘मुंह कोड़ा’ करने के लिए ताने मारते रहे। अधिकतर हलकों में यहां बहुत सारे उम्मीदवारों ने शराब तो पिलाई है, परन्तु पैसे के बदले वोटें खरीदने की रिपोर्ट कहीं से सामने नहीं आ रही। चुनाव आयोग द्वारा वोटें डालने से 48 घंटे पहले सभी ठेके बंद रखने पर शराब फैक्ट्रियों के ऊपर कई दिन पहले से कड़ी नज़र रखने से भी शराब बांटने में उम्मीदवारों को भारी दिक्कत आई है। पता लगा है कि कई हलकों में उम्मीदवारों ने शराब के लिए पर्चियां बांटी थीं परन्तु सख्ती के कारण दो दिन ठेके पूरी तरह बंद रहने के कारण शराब ही नहीं मिल सकी। आम लोगों में इस नए रुझान का स्वागत हो रहा है और उम्मीदवारों ने भी खर्चा कम होने के कारण सुख की सांस ली है।