भाजपा की बड़ी जीत

पांच वर्ष पूर्व वर्ष 2014 में लोकसभा के चुनावों में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को बड़ी जीत प्राप्त हुई थी। उस समय मोदी का डंका बजा था। गत पांच वर्ष मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार प्रशासन चलाती रही। इस सारे समय के दौरान उनकी ही शख्सीयत उभर कर सामने आई थी। नि:संदेह प्रधानमंत्री पूर्व चुनावों में किए वायदे तो पूरे नहीं कर सके, परन्तु उनकी चर्चा गली-गली होती रही। मोदी की बड़ी खासियत यह है कि वह इस सारे समय के दौरान आम लोगों के आम मुद्दों को सम्बोधित होते रहे। एक तरह से उन्होंने अपनी शख्सीयत को आम लोगों के साथ जोड़ने का प्रयास किया। इसमें वह बड़ी सीमा तक सफल रहे। यहां तक कि नोटबंदी जैसे फैसले से भी गरीब और आम लोगों में उनकी छवि खराब नहीं हो सकी। उन्होंने बहुत ही ढंग-तरीके से अपने से पूर्व संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की आम लोगों, किसानों तथा गांवों से संबंधित योजनाओं का कुछ नवीनीकरण करके अपनी ओर से पेश कर दिया। उठाए ऐसे कदमों से उनकी प्रतिभा बढ़ती ही गई। राष्ट्रवाद के मुद्दे पर भाजपा तथा मोदी के साथियों ने स्वयं को सबसे बड़े देशभक्त दर्शाने के लिए पूरी शक्ति लगाई और यह भी कि इस भावना से किसी तरह का कोई समझौता नहीं हो सकता। ऐसी भावना के अधीन ही अपने अंतिम वर्षों में पड़ोसी देश पाकिस्तान से निपटा गया। आतंकवाद के खात्मे के लिए बड़े कदम उठाये गए। इसी शृंखला में पाकिस्तान की सीमाओं के भीतर हवाई हमला करना भी शामिल था। इसके बाद पूरी शक्ति लगाकर इस बात का प्रचार किया गया कि देश की रक्षा के लिए हमारी सरकार ऐसे कड़े कदम उठा सकती है जो पूर्व सरकारें नहीं उठा सकी थीं। बालाकोट पर किया हमला आम भारतीय की मानसिकता को प्रोत्साहन देने वाला था। नि:संदेह नरेन्द्र मोदी ने विदेशों में अपनी और भारत की भी धाक जमा दी। दुनिया भर के देशों ने मोदी और भारत के प्रभाव को मानना और महसूस करना शुरू कर दिया। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का कद बढ़ा। यहां तक कि चीन जैसे देश के साथ भी अपने संबंधों में विश्वास और दृढ़ता का प्रगटावा किया। चाहे रोज़गार के अधिक साधन तो पैदा नहीं किए जा सके, परन्तु देश में गौरवशाली गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक योजनाएं अवश्य बनाई गई। अपने दृढ़ निश्चय से मोदी ने पूर्व सरकारों के मुकाबले उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार रहित प्रशासन देने का प्रयास किया। भ्रष्टाचार संबंधी नीति सख्त और साफ-स्वच्छ थी। इसीलिए विपक्षी पार्टियों तथा राहुल गांधी जैसे कांग्रेसी नेता द्वारा उन पर अनेक तरह के दोष लगाने के बावजूद यह दोष मोदी और उनकी सरकार की छवि को धुंधला नहीं कर सके। इस बार भी मुख्य रूप में भाजपा द्वारा राष्ट्रवाद, सुरक्षा, आर्थिकता और हिन्दुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़े गए। मोदी को उसके लिए स्टार प्रचारक के तौर पर उभारा गया। मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नाम पर धुआंधार प्रचार किया और जन-मानस में यह प्रभाव प्रकट कर दिया कि देश की बेहतरी और सुरक्षा के लिए मोदी और भाजपा को पुन: जिताया जाना आवश्यक है। समूचे रूप में बने उभार के कारण मोदी को पिछली बार की अपेक्षा भी अधिक बड़ा समर्थन मिला, जो हैरान करने वाला है। जो विपक्षी दलों को भी परेशान करने वाला है और अपने भीतर झांकने को भी मजबूर करने वाला प्रतीत होता है। जितनी बड़ी जीत मोदी और भाजपा को प्राप्त हुई है, उससे उनकी ज़िम्मेदारी में भारी वृद्धि हुई है। इसलिए आगामी समय में नई बनीं केन्द्र सरकार और उसके प्रमुख को सचेत रूप में यह प्रयास करना होगा कि वह भारतीय परम्पराओं तथा भारतीय संविधान की भावना को ध्यान में रखते हुए समूचे समाज को संयुक्त रूप में साथ चला सकने का प्रयास करें। ऐसी सोच और दृष्टिकोण देश की बेहतरी और विकास की साक्षी बन सकती है। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द