क्या भारत बनेगा विश्व विजेता ?

1983 में जब भारत ने अपना पहला एक दिवसीय क्रिकेट विश्व कप जीता था तो वह डार्क हॉर्स था यानी किसी को कोई उम्मीद नहीं थी कि वह प्रतियोगिता को जीत सकता है। इसके बाद से जितने भी विश्व कप हुए हैं, उनमें वह टीम विजेता नहीं बन सकी है जो टूर्नामेंट शुरू होने से पहले फेवरेट मानी जा रही थी। मसलन, 1987 में कप के प्रमुख दावेदार भारत व पाकिस्तान थे, लेकिन बाजी मारी ऑस्ट्रेलिया ने। इसी तरह 1992 में पाकिस्तान के बारे में और 1996 में श्रीलंका के बारे में किसी ने नहीं सोचा था कि ये टीमें अंतिम चार में भी पहुंचेंगी। लेकिन अंतत: वह ही विजेता बने। इस बार अपनी संतुलित व दमदार टीमों के कारण भारत, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैण्ड (इसी क्रम में) फेवरेट माने जा रहे हैं। इसलिए यह प्रश्न प्रासंगिक है कि क्या परम्परा को तोड़ते हुए (फेवरेट टीम का टैग लिए हुए) भारत 2019 में आईसीसी एक दिवसीय क्रिकेट विश्व कप (50 ओवर फॉर्मेट) को अपने नाम कर सकता है? अगर वह ऐसा करने में सफल रहता है तो 1983 व 2011 के बाद हमारी यह तीसरी जीत होगी।क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है, इससे किसी को विवाद नहीं है यानी कोई भी भविष्यवाणी करना खतरे से खाली नहीं है। लेकिन इस बात से इंकार करना भी कठिन है कि इस बार भारत की जीत की संभावनाएं बहुत अधिक हैं। ऐसा अकारण नहीं। सबसे पहली बात तो यह है कि भारत के पास सबसे प्रतिभाशाली व संतुलित टीम है। इसमें न सिर्फ  अनुभव व यूथ का अच्छा मिश्रण व संतुलन है बल्कि दोनों बल्लेबाजी व गेंदबाजी में पर्याप्त विविधता है जो हर प्रकार की परिस्थितियों में खरी उतरने में सक्षम है और इसके अतिरिक्त हरफनमौला खिलाड़ियों का भी कोई अभाव नहीं है, जिनकी वैस्टइंडीज के पूर्व कप्तान क्लाइव लायड के अनुसार इस विश्व कप में भूमिका महत्वपूर्ण व निर्णायक रहेगी। भारत के पास हार्दिक पंड्या, विजय शंकर व रविन्द्र जडेजा के रूप में स्तरीय आल राऊंडर हैं और आवश्यकता पड़ने पर केदार जाधव, रोहित शर्मा व विराट कोहली भी अपना हाथ घुमा सकते हैं। 1983 में भारतीय जीत के हीरो रहे हरफनमौला खिलाड़ी मोहिंदर अमरनाथ का कहना है, ‘अगर आपके पास दो-तीन क्वालिटी आल राऊंडर हैं तो इससे टीम का संतुलन बहुत अच्छा हो जाता है। इससे आपको विकल्प मिल जाता है कि आप बाकी टीम को किस तरह से बनाना चाहते हैं।’ 2019 का विश्व कप 30 मई से इंग्लैंड व वेल्स में खेला जायेगा, जिसमें हर टीम पहले एक-दूसरे से खेलेगी और अंकों के आधार पर पहली चार टीमें सेमी-फाइनल में पहुंचेंगी।  यह विश्व विजेता चुनने का सबसे अच्छा तरीका है। हालांकि इंग्लैंड हमेशा से ही अपनी सीम व स्विंग लेती ग्रीन विकेटों के लिए विख्यात रहा है। लेकिन इस समय इंग्लैंड की विकेट एक दम सपाट हैं, जिससे हाई स्कोरिंग मैच हो रहे हैं। पिछले साल ब्रिस्टल में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध अपने निर्धारित 50 ओवरों में छह विकेट खोकर 481 रन बनाये, जो एक दिवसीय का आज तक का सर्वाधिक स्कोर है। फिलहाल इंग्लैंड में इंग्लैंड पाकिस्तान से सीरीज खेल रही है, जिसमें आसानी से 350 रन का टारगेट सेट हो रहा है और चेज भी किया जा रहा है। एक मैच में इंग्लैंड ने 3 विकेट खोकर 373 रन बनाये और पाकिस्तान पीछा करते हुए 361 रन तक पहुंच गया, जबकि उसकी बल्लेबाजी विश्व में इस समय सबसे कमजोर है। इन स्कोरों को देखते हुए इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड 500-रन योग के स्कोर बोर्ड डिजाइन कर रहा है। इस पृष्ठभूमि में यह अंदाजा लगाना गलत न होगा कि आगामी विश्व कप हाई स्कोरिंग होगा। यह भारत के लिए तीन प्रमुख कारणों से लाभदायक होगा। एक, सीम व स्विंग के अभाव में भारत के स्ट्रोक प्लेयर्स को खुलकर खेलने का अवसर मिलेगा और वह न सिर्फ  बड़ा टारगेट चेज कर सकेंगे बल्कि बड़ा टारगेट सेट भी कर सकेंगे। ध्यान रहे कि एक दिवसीय मैचों में तीन दोहरे शतक लगाने वाले विश्व के एकमात्र बल्लेबाज रोहित शर्मा सपाट विकेट पर अधिक खतरनाक हो जाते हैं। और टारगेट चेज करने के संदर्भ में कप्तान विराट कोहली का जोड़ नहीं है। टारगेट चेज करते हुए कोहली ने 133 मैचों में 68.21 की औसत से 94.43 के स्ट्राइक रेट से 6617 रन बनाये हैं, जिनमें 25 शतक हैं और इनमें से 21 शतक भारत के लिए जीत सुनिश्चित किया है। भारत के पास एक और तुरुप का इक्का है- उसके स्पिन गेंदबाज। अगर आप ने छोटे फॉर्मेट में नजर डाली हो तो सपाट विकेट पर भी हाल के वर्षों में सबसे अधिक सफल लेग स्पिनर रहे हैं, जिन्हें लगातार मारना किसी भी बल्लेबाज के लिए आसान नहीं रहा है। इस आईपीएल में भी 26 विकेट के साथ लेग स्पिनर इमरान ताहिर को पर्पल कैप मिली। भारत के पास दो क्वालिटी लेग स्पिनर हैं- युज्वेंद्र चहल और कुलदीप यादव। इनकी वजह से ही हाल के वर्षों में भारत को विदेशी धरती पर एकदिवसीय में जबरदस्त सफलता मिली है, जैसे दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड।  कुल मिलाकर तथ्य यह है कि भारत के पास संतुलित, प्रतिभाशाली और जोश से भरी टीम है जो इस बार का विश्व कप जीतने में पूर्णत: सक्षम है। इसलिए यह अनुमान लगाना गलत न होगा कि ‘फेवरेट टीम प्रतियोगिता नहीं जीतती’ की परम्परा को तोड़ते हुए भारत 2019 का चैंपियन बनेगा।