सरकारी कॉलेजों में ज्यादा अनुभव रखने वाले अध्यापकों को पक्का करे सरकार

मानसा, 26 मई (राविंदर सिंह रवि): प्रदेश के सरकारी कालेजों में काम करने वाले अस्थाई अध्यापकों के लम्बे अनुभव को आधार बनाकर पंजाब सरकार बिना किसी अन्य शर्त पर इन अध्यापकों को रैगुलर करे। उल्लेखनीय है कि पंजाब के 48 सरकारी कालेजों में कुल मंजूरशुदा 1873 पद हैं। 1996 के बाद सरकारी कालेजों में रैगुलर भर्ती न होने के कारण अस्थाई अध्यापकों द्वारा ही उच्च शिक्षा की गाड़ी को चलाया जा रहा है। चाहे इन अध्यापकों ने तो अपनी ज़िंदगी का सुनहरी समय कालेजों में पढ़ने वाले नौजवानों के भविष्य को चमकाने के लिए लगा दिया परंतु इनका अपना भविष्य अंधेरे में है। यदि गौर से देखें तो इस समय सरकारी कालेजों में 1300 के करीब पद रिक्त पड़े हैं। इन पदों पर 250 के करीब पार्ट टाइम लैक्चरार के अलावा बाकी पदों पर गैस्ट फैकलिटी काम कर रहे हैं। पार्ट टाइम लैक्चरार पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से सरकारी कालेजों में काम कर रहे हैं जबकि गैस्ट फैकलिटी लैक्चरारों से भी बड़ी संख्या 10-12 वर्षों से कालेजों में पढ़ा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पार्ट टाइम लैक्चरारों को 3500 रुपए प्रतिमाह पर रखा गया था और इसके बाद 5, 8 व 12 हज़ार होने के बाद 21 हज़ार 600 उनका वेतन हो गया। इसके पश्चात् सरकार द्वारा डी.ए. लगा दिया गया है। इस तरह वर्तमान समय पार्ट टाइम लैक्चरारों को 48 हज़ार के करीब  वेतन सरकारी खज़ाने में से मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि लम्बा समय काम करने के बावजूद इन्हें अभी पक्का नहीं किया गया जबकि अधिकतर पार्ट टाइम लैक्चरार सेवानिवृत्ति वाली आयु के नज़दीक हैं। सरकारी कालेजों में काम करते गैस्ट फैकलिटी लैक्चरारों की आर्थिक हालत दयनीय है। कालेज में पढ़ाने के साथ-साथ अन्य अनेकों कामकाजों को ईमानदारी से करने वाले लैक्चरारों को इस समय 22 हज़ार 625 रुपए देकर काम चलाया जा रहा है। हैरानीजनक बात यह है कि उपरोक्त राशि में से 11 हज़ार 600 रुपए अभिभावक अध्यापक फंड से मिलता और 11 हज़ार 25 रुपए सरकारी खज़ाने से दिए जाते हैं। अनुभव के आधार पर पक्के करे सरकार : गवर्नमैंट कालेज गैस्ट फैकलिटी सहायक प्रोफैसर एसोसिएशन पंजाब के अध्यक्ष हरमिंदर सिंह डिम्पल ने पंजाब सरकार से मांग की कि अनुभव को आधार बनाकर कालेजों में काम करते अस्थाई अध्यापकों को पक्का किया जाए। उन्होंने कहा कि गैस्ट फैकलिटी लैक्चरार कालेजों में हर काम मेहनत से कर रहे हैं, इसलिए सरकार को पहल के आधार पर उनके भविष्य बारे सोचना चाहिए।