मनोकामनाएं पूरी करते हैं सालासर बाला जी

श्री बालाजी की दैनिक परम्परागत भोग तथा पूजा-अर्चना भक्त श्री मोहनदास जी के वंशजों द्वारा की जाती है। बालाजी के भोग में प्राय: चूरमा, लड्डू, पेड़े, मिश्री-मेवा आदि चढ़ाए जाते हैं। परम्परागत रोट और खिचड़ा भी श्री बालाजी के भोग में सम्मिलित हैं। श्री बालाजी महाराज की कथा-पाठ, जप तथा कीर्तन आदि यहां निरन्तर चलते रहते हैं। श्री बालाजी महाराज की कृपा से भक्तजनों की मनोकामनाओं की पूर्ति के उपरांत यहां जात-जडुले, ध्वजा, नारियल तथा छत्र आदि भेंट किए जाते हैं। कुछ श्रद्धावान भक्त सवामणी भण्डारा आदि अर्पित करते हैं। सवामणी का प्रचलन यहां सबसे ज्यादा है। देश-विदेश से भक्तगण श्री बालाजी के दर्शनार्थ सालासर आते हैं। मंगलवार तथा शानिवार के दिन यहां श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होती है। चैत्र मास अप्रैल और आश्विन मास अक्टूबर की पूर्णिमाओं पर यहां विशाल मेला लगता है जो काफी दिनों तक चलता है। इस अवसर पर श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती है। पैदल चलकर भी लाखों श्रद्धालु आते हैं। राजस्थान के अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित पूरे भारतवर्ष से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। क्या होती है सवामणी:- सवामणी श्री बालाजी महाराज को अर्पित की जाने वाले सवामण लगभग 5० किलोग्राम भोग सामग्री होती है। यह भोग सामग्री एक ही प्रकार की होती है जो लड्डू, पेड़ा, बर्फी, चूरमा होते हैं परंतु ज्यादातर सवामणी बेसन के लडड्ओं की होती है। भोग  के उपरान्त सवामणी को भक्तों में वितरण करना होता है। पहुंचने का मार्ग:- सालासर पहुंचने के लिए दिल्ली, चंडीगढ़, गंगानगर, जयपुर, बीकानेर तथा अजमेर से सीधी बस सेवा उपलब्ध रहती है जिससे सालासर पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा हिसार, रोहतक, सीकर, चुरू, रेवाड़ी से भी बसें सालासर जाती हैं। रेलमार्ग से भी सालासर पहुंचा जा सकता है। सालासर का निकटतम रेलवे स्टेशन सुजानगढ़ है जो 25 किलोमीटर दूर है। लक्ष्मणगढ़ तथा रतनगढ़, रेलवे स्टेशन क्र मश: 35 किलोमीटर तथा 45 किलोमीटर दूर हैं। सालासर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर है जो सालासर से 175 किलोमीटर दूर है। ठहरने की जगह:- सालासर में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए अनेकों धर्मशालाएं एवं विश्रामगृह हैं जहां भक्त रात्रि विश्राम कर सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं उत्तम नगर सेवा सदन, बम्बई धर्मशाला,आदमपुर सेवा सदन, बाबा अतिथि भवन (गुवाहाटी) हिसार धर्मशाला, सिरसा धर्मशाला, बंग भवन सेवा सदन (हैदराबाद) संकटमोचन धर्मशाला, सिरसा धर्मशाला, जाजोदिया धर्मशाला, मालू सेवा सेदन (नागपुर) तथा हनुमानगढ़ धर्मशाला आदि। इसके अलावा यहां अनेक होटल एवं भोजनालय भी हैं जहां भक्तजन अपने सामर्थ्य के अनुसार भोजन कर सकते हैं।

-रामचन्द्र गहलोत