इसरो की एक और स्वर्णिम उपलब्धि


भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा राडार इमेजिंग उपग्रह के सफल प्रक्षेपण की उपलब्धि ने नि:संदेह राष्ट्र की छवि एवं प्रतिष्ठा को चार चांद लगाये हैं। इसे ‘रिसैट-2 बी’ का नाम दिया गया है, और यह वर्ष 2009 में स्थापित रिसैट-1 का स्थान लेगा। इसमें एक विशेष प्रकार का अत्याधुनिक राडार यंत्र भी स्थापित किया गया है, और इसमें खास किस्म के कैमरे लगे हैं, जो दिन और रात किसी भी प्रकार की विषम स्थितियों में धरती के चित्र ले सकेंगे। इस प्रकार वैश्विक दृष्टिकोण से भारत और इसरो ने एक नये इतिहास का सृजन किया है। 
इस उपग्रह के प्रक्षेपण ने अन्तरिक्ष के मामले में भारत की शक्ति को कई गुणा बढ़ा दिया है। एक प्रकार से भारत अब अन्तरिक्ष में रह कर तीसरे नेत्र से अपने से सम्बद्ध होने वाली गतिविधियों पर गुप्तचर नज़र रख सकेगा। इस मामले में एक बड़ी सफलता यह भी है कि दागे जाने के थोड़ी ही देर बाद इसे अन्तरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया गया। इस सफलता के साथ यह भी एक संदर्भ जुड़ा है कि इसरो ने 50 टन वज़नी उपग्रह अन्तरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर लेने का श्रेय हासिल कर लिया है। यह भी कि यह श्रेय विशुद्ध स्वदेशी तकनीक से अर्जित किया गया है। इसरो को यह भी एक श्रेय जाता है कि इसने अब तक कुल 350 उपग्रहों का अन्तरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है, और इनमें से 46 उपग्रह राष्ट्रीय धरातल के हैं।
रिसैट-2 बी की सफलता का महत्व अनेक क्षेत्रों की आवश्यकता के अनुसार आंका जा सकता है। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार रिसैट-2 बी एक ओर जहां सामरिक और रणनीतिक ज़रूरतों को पूरा करेगा, वहीं पर्यावरणीय आपदा प्रबंधन के धरातल पर भी यह देश की आवश्यकताओं का संरक्षण कर सकेगा। यह उपग्रह एक ऐसे उपकरण से लैस है, जिससे धरा की निगरानी हेतु इसकी क्षमता बहु-पक्षीय रूप से कई गुणा बढ़ जाती है। इस उपग्रह की एक और बड़ी विशेषयता यह भी है कि यह प्रत्येक मौसम में काम कर सकेगा, और भारी वर्षा एवं आकाश पर बादलों की सघनता अथवा अन्य किसी प्रकार की पर्यावरणीय बाधा इसकी क्रियाओं को अवरुद्ध नहीं कर सकेगी। इसका अभिप्राय यह भी है कि आकाश पर बादलों की पृष्ठभूमि से भी यह अपनी सक्रियता बनाये रखेगा। 
इससे किसी बड़ी ज़रूरत अथवा किसी प्राकृतिक आपदा के समय विपरीत स्थितियों में भी यह मददगार साबित हो सकेगा। इस स्थिति में भी सामरिक एवं रणनीतिक धरातल पर उपग्रह अपनी गुप्तचर क्रियाएं जारी रख सकेगा, और भारत शत्रु स्थितियों पर नज़रसानी कर सकेगा। इस उपग्रह का कृषि क्षेत्र, मौसम अथवा किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा के समय भी बड़ी कुशलता से प्रयोग किया जा सकता है।
इसरो के आधिकारिक वैज्ञानिक सूत्रों के अनुसार अन्तरिक्ष में भारत पहले ही एक बड़ी वैश्विक शक्ति बन चुका है, परन्तु इस मंतव्य से पहले स्थापित उपग्रह धरती पर छोटी-छोटी गतिविधियों को दर्शाने में पूरी तरह से सफल नहीं हो पाते थे। इसी कारण रिसैट-2 बी के प्रक्षेपण की आवश्यकता महसूस हुई थी। एक दृष्टिकोण से यह अन्तरिक्ष में भारत की ओर से निरीक्षक की भूमिका निभायेगा। इस सफल प्रक्षेपण के बाद जहां देश की भीतरी क्षमताएं बढ़ेंगी, वहीं पड़ोस में होने वाली किसी भी विपरीत स्थिति का सफलतापूर्वक निरीक्षण किया जा सकेगा। यह भी बताया गया है कि इस उपग्रह के ज़रिये पड़ोसी देश पाकिस्तान की धरती से होने वाली आतंकवादी गतिविधियों तथा वहां स्थापित आतंकवादी प्रशिक्षण कैम्पों की निगरानी भी की जा सकेगी। इस उपग्रह द्वारा अगले पांच वर्ष तक इस धरातल पर अपनी सेवाएं उपलब्ध कराते रहने की सम्भावना है। नि:संदेह भारत अन्तरिक्ष के मामले में विश्व की एक बड़ी शक्ति बन गया है। यहां तक कि कल तक भारत के अन्तरिक्ष कार्यक्रमों को लेकर चेतावनियां देने वाले अमरीका ने भी देश के अन्तरिक्ष कार्यक्रमों की प्रशंसा की है। भारत की अन्तरिक्ष उपलब्धियों का यह भी एक चेहरा है कि भविष्य की रूप-रेखा में भारत ने जुलाई माह में चन्द्रयान-2 के प्रक्षेपण की योजना भी बना ली है। इस योजना का अगला पड़ाव सितम्बर के पहले सप्ताह चांद की धरती पर उतरने का है।
हम समझते हैं कि नि:संदेह यह एक बड़ी एवं स्वर्णिम उपलब्धि है और राष्ट्र को इस हेतु अपने इस अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन और इसकी अब तक उपलब्धियों पर बड़ा गर्व है। विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भारत का रुतबा अतीत में भी बहुत बुलन्द रहा है, और इसरो जिस प्रकार अपने पग आगे से आगे बढ़ाता जा रहा है, उससे नज़रों में एक अच्छी तस्वीर उभरते हुए भी दिखाई देती है। जहां हम इस उपलब्धि के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हैं, वहीं भविष्य में और नये आयाम स्थापित करते जाने की उम्मीद भी इससे करते हैं।