नई पहलकदमी

केन्द्र में नई सरकार को लोगों का बड़ा समर्थन मिला है, जिस कारण उससे आशाएं भी बड़ी ही रखी जाएंगी। इससे उसकी ज़िम्मेदारी भी बहुत बढ़ जाएगी। पहली सरकार के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बड़े वायदे किये थे, उनमें से काफी आधे-अधूरे साबित हुए, परन्तु इसी समय के दौरान मोदी सरकार ने आम लोगों को दरपेश समस्याओं से निपटने के लिए बड़ा प्रयास अवश्य किया था। देश की बड़ी जनसंख्या ऐसे समय से गुज़र रही है, जिसमें उसको कम से कम बुनियादी सुविधाओं की बेहद ज़रूरत है। नरेन्द्र मोदी ने इस बात को महसूस करते हुए जहां बिजली बढ़ाने के प्रयास किये, वहीं करोड़ों ही घरों में रसोई गैस कनैक्शन, शौचालय आदि के निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति करने के भी प्रयास किये। इसमें सरकार को बड़ी सफलता मिली। मनरेगा जैसी बड़ी योजनाओं को यदि व्यावहारिक रूप में सही भावना से लागू किया जाए, तो यह ग्रामीण जनसंख्या के लिए लाभदायक साबित हो सकती हैं। चाहे आज तक इस योजना में बड़ी कमियां महसूस की जाती रही हैं, परन्तु मोदी सरकार यदि इसको निचले स्तर पर ईमानदारी से लागू करने में सफल हो जाती है तो यह इसकी स्वयं में बड़ी उपलब्धि होगी। गत समय के दौरान रोज़गार के बड़े संसाधन पैदा करने में सरकार काफी पिछड़ गई थी। यदि तथ्यों के आधार पर बात की जाए तो वर्ष 2017-18 में बेरोज़गारी की दर 6.1 प्रतिशत हो गई थी, जोकि गत 45 वर्षों में सबसे अधिक थी। इन आंकड़ों ने नई बनी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती अवश्य पैदा की है। इन आंकड़ों से चिंतित नरेन्द्र मोदी ने कार्यभार सम्भालते ही दो उच्च स्तरीय कमेटियों का गठन किया है। पहली कमेटी का कार्य देश के आर्थिक विकास में वृद्धि करना होगा और इसके साथ ही निवेश के अधिक से अधिक साधन भी पैदा करने होंगे और दूसरी कमेटी बेरोज़गारी की समस्या से निपटने के लिए बनाई गई है, जिसका कार्य लगातार यह योजनाबंदी करना होगा कि अलग-अलग क्षेत्रों में अधिक से अधिक रोज़गार के साधन कैसे पैदा किये जा सकते हैं, ऐसा देश की विकास दर को बढ़ाकर ही किया जा सकता है। गत समय के दौरान कुछ महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में उत्पादन कम होने की रिपोर्टें भी सामने आईं। इन क्षेत्रों में कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस, खादें, इस्पात, सीमेंट और बिजली आदि शामिल हैं। इन क्षेत्रों को उत्साहित और मजबूत करने के साथ ही रोज़गार के साधन बढ़ाये जा सकते हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने अपनी पिछली सरकार के समय से ही बार-बार किसानों के साथ 2022 तक आमदनी दोगुणी करने का वायदा किया है। इसलिए भी सरकार को विशेष प्रयास करने पड़ेंगे। नई सरकार का कामकाज शुरू होने पर जिस तरह की योजनाबंदी और दृढ़ता दिखाई जाने लगी है, उससे आने वाले समय में अच्छे परिणामों की उम्मीद की जा सकती है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार यह भी कहती है कि उसके द्वारा दो अन्य बेहद महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए कमेटियां बनाई जाएंगी, जो उन क्षेत्रों के हर पक्ष को विस्तृत और गहराई से जानकर सरकार को मजबूती से व्यवहारिक कदम उठाने के लिए सुझाव देंगी। यह क्षेत्र हैं लगातार बढ़ती जनसंख्या और लगातार भूमि निचले जल का खत्म होते जाना। जहां आने वाले समय में बढ़ती हुई जनसंख्या देश के लिए ग्रहण साबित हो सकती है, वहीं पानी का लगातार कम होते जाना भी एक बड़ी संकटपूर्ण स्थिति को जन्म दे सकता है। इन दोनों क्षेत्रों को सरकार द्वारा उतनी ही गम्भीरता से लिया जाना चाहिए, जितनी गम्भीरता अर्थ-व्यवस्था को सुधारने और अधिक से अधिक रोज़गार के साधन पैदा करने में दिखाई जा रही है। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द