धुस्सी बांध की मार हर वर्ष झेलते हैं कई गांव

फतेहगढ़ पंजतूर, 12 जून (अ.स.): दरिया सतलुज के साथ लगते धुस्सी बांध में जब-जब जलस्तर बढ़ा है तभी धुस्सी बांध के अंतर्गत बसे गांवों के लोगों का तथा इन गांवों के क्षेत्र में पड़ती ज़मीनों के मालिकों का भारी नुक्सान होता आ रहा है। जानकारी के अनुसार वर्ष 1988 में पहली बार धुस्सी बांध गांव कुस्सूवाला के कैंचियां से टूटा था तो उस समय धर्मकोट क्षेत्र ज़िला फिरोज़पुर के अंतर्गत होता था तो लोगों की फसलों के नुक्सान होने से कच्चे घरों का नुक्सान व पशुओं का नुक्सान होने से घरों का सामान पानी में बह रहा था। इसके पश्चात् धर्मकोट क्षेत्र ज़िला मोगा में शामिल कर लिया गया, जिसके गांव बोगेवाला, मदारपुर, संघेड़ा, मेलक कंगां, मंदर कलां, कम्बोअ कलां, कम्बोअ खुर्द, भैणी,  शेरेवाला, परल्लीवाला, आदरमान आदि में से कई गांव धुस्सी बांध के अंदर बसे हुए हैं और कई गांवों के क्षेत्रफल की ज़मीनें अंदर पड़ती हैं जिनका एक-दो वर्ष छोड़कर आए वर्ष पानी की मार में लोगों का भारी नुक्सान होता रहता है। धुस्सी बांध के अंदर बसे गांव संघेड़ा के पूर्व सरपंच सरूप सिंह संघेड़ा से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि गत 4 जून को दरिया सतलुज में पानी छोड़ा गया था और पानी धीरे-धीरे 6 जून को इतना ज्यादा आ गया कि दरिया एरिया की हद से बाहर होता हुआ हमारे गांव के साथ  आ गया और रातो-रात गांव पानी में घिर गया। उन्होंने कहा कि पानी आने के बारे में प्रशासन द्वारा हमें कुछ नहीं बताया गया जिस कारण पूरे गांव में भय का माहौल पाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दरिया एरिया के अंदर पड़ते गांवों आदि में 7 व 8 जून को पानी काफी ज्यादा था जिससे इन गांवों के किसानों द्वारा बीजी पनीरी, पशुओें का हरा चारा, मूंगी, पुदीना आदि फसलें पानी में डूब गई हैं। इस गांव में पीने वाले पानी की भी बड़ी समस्या है और पानी दूषित होने के कारण लोग काला पीलिया व अन्य भयानक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।