सरकार की नशा विरोधी मुहिम लड़खड़ाई

बटाला, 18 जून (काहलों) : समय-समय की सरकारों की अनदेखी व पड़ोसी देशों की साज़िशों के कारण गत वर्षाें से जहां समाज अंदर नशे का कारोबार बढ़ने से नौजवान पीढ़ी सहित प्रत्येक वर्ग नशे की गिरफ्त में आ चुका है, वहीं अब कालेजों व यूनिवर्सिटी में पढ़ती छात्राएं व साधारण महिलाएं भी नशे की गिरफ्त में आने लगी हैं। समाज में नौजवानों के साथ साथ महिलाओं का नशे की तरफ बढ़ता रुझान, राजसी नेताओं के चार सप्ताह में पंजाब में नशा बंद करने के वायदे को सवालों के घेरे में लाता है। महिलाओं में नशे करने का रुझान इस कद्र बढ़ चुका है कि राज्य में दस हजार से अधिक लड़कियां व महिलाएं नशा करने की आदी हो चुकी हैं। आज महिलाएं शराब के अतिरिक्त सिगरेट, स्मैक, हैरोइन व चिट्टे का नशा कर रही हैं, जिसकी ताजा मिसाल बठिंडा में चिट्टे का नशा करने वाली मृतक लड़की ने मरने से पहले इस नशे संबंधी अहम खुलासे किए थे। उसने कहा कि था कि मेरी सहेलियों, जो नशे की आदी थीं, ने मुझे भी नशे की आदत में डाल दिया और वो पिछले सात-आठ वर्ष से चिट्टे का नशा कर रही हैं। उसने यह भी कहा था कि लड़कियां पहले फैशन के तौर पर नशा लेनी शुरु करती हैं परंतु चिट्टे व स्मैक का नशा इतना भयानक है जो इसका सेवन कर लेता है, फिर इसे छोड़ना कठिन  हो जाता है। उसने बताया था कि चिट्टे के कारोबार में लड़कियों व महिलाएं भी लगी हुई हैं, शहरी लड़कियों व महिलाओं के अतिरिक्त ग्रामीण महिलाएं भी नशे के कारोबार में शामिल हो चुकी हैं, जिसकी ताजा मिसाल गांव दकोहा, गुरदासपुर से मिलती है। इस गांव की महिलाएं, पुरुषों के मुकाबले शराब व नशा बेचने में अग्रणी हैं। महिलाएं गांव में शराब निकालकर बेचती हैं और मोटी कमाई कर रही हैं, पर नशे के इस कारोबार से जहां लोगों ने इसको व्यापार बनाया हुआ है, वहीं नशा करने से लोग मौत के मुंह में जा रहे हैं और जिनको नशे की आदत  पड़ चुकी है, वो नशा न मिलने कारण जहरीली दवाईयों का सेवन करके अपने आपको खत्म कर लेते हैं। एक सर्वेक्षण अनुसार 2018-19 में 56 नौजवान नशे की अतिरिक्त मात्रा लेने कारण मर चुके हैं। पंजाब सरकार द्वारा शुरु किया बड्डी कार्यक्रम के तहत कोई भी सार्थक परिणम नहीं निकल सके। बड्डी गु्रप स्कूलों में अध्यापकों की देखरेख में विद्यार्थियों को जागरुक करने और स्कूलों से संबंधित गांवों में रैलियों करने से नशे के कोहड़ को मिटाया नहीं जा सका। आज भी स्कूलों के बच्चों को भांग मलते देखा जा सकता है।