सिंगल मदर ऐसे करें छोटे बच्चे की देखभाल

पति से तलाक होने पर, पति की असमय मृत्यु होने पर या बिना शादी किए मां बनने पर किसी भी कारण से बच्चे को अकेले पालने की जिम्मेदारी मां पर आ सकती है। ऐसे में पहली दो स्थितियों में मां स्वयं मानसिक रूप से तनाव ग्रस्त होती है उस पर मानसिक तनाव के साथ आर्थिक समस्या भी होती है कि अकेले छोटे बच्चे को कैसे पाल पोस कर संस्कारी बना सके। यह काम होता तो कठिन है क्योंकि स्वयं को संभालने के लिए बहुत हिम्मत जुटानी पड़ती है। उस पर बच्चे की जिम्मेदारी भी मां पर आ जाती है। अगर बच्चा बहुत ही छोटा है तो जानिए कुछ सुझाव जो सिंगल मदर को ध्यान में रखने चाहिए :-
अपनी फिटनेस पर ध्यान दें :
अपनी फिटनेस को भी वरीयता दें ताकि आप स्वस्थ रहकर उसका पूरा ध्यान रख सकें। स्वयं पौष्टिक आहार लें,बच्चे के साथ दिल खोलकर हंसें। यह भी स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है। अगर आप हैल्दी हैं तो खुशी से बच्चे की जिम्मेदारी निभा सकती हैं। समय मिलने पर योग, प्राणायाम, ध्यान करें ताकि तन-मन दोनों स्वस्थ रहें।
स्वयं को व्यवस्थित बनाएं :
अकेले सारी जिम्मेदारियां निभाना बहुत मुश्किल है पर अगर आप ठान लें और उसी रूप से स्वयं को व्यवस्थित रखें तो बाद में यह आसान लगेगा। आर्थिक रूप से आप ठीक हैं तो घर के काम में मदद लें। अधिक समय बच्चे को दें, बच्चे थोड़े बड़े हैं तो कुछ जिम्मेदारी उन पर डालें। अगर आप परिवार के साथ हैं तो उनकी मदद लें ताकि अपने जीवन को व्यवस्थित कर सकें।
गोद में उठाना :
छोटा बच्चा हमेशा नाजुक होता है उसे उठाने में किसी को भी मुश्किल होती है। बच्चे उठाते समय उसकी गर्दन को सहारा देकर गोद में लें। बच्चे को कंधे से लगाते समय उसका सिर कंधे पर टिकाएं। दूसरे हाथ से उसकी पीठ पर सहारा दें और कंधे से लगाएं। नवजात शिशु को गोद में उठाना ज्यादा उचित है। कंधे पर तब लगाएं जब उसे डकार दिलवानी हो। 
मालिश करना और नहलाना :
अकेली मां होने पर सारी जिम्मेदारी आपकी होती है। मालिश करने से पहले तौलिया, तेल, पाउडर, साबुन, मौसम अनुसार कुनकुना पानी सब पहले से इकट्ठा करें। तब बच्चे के कपड़े उतार कर हल्के हाथों से मालिश करें। अगर सर्दी का मौसम है तो सारे कपड़े न उतारें। बनियान और आधे बाजू का स्वेटर पहने हुए उसकी मालिश करें ताकि उसे ठंड न लगे। मालिश  करने से रिश्ता मजबूत होता है। बच्चा अच्छी नींद भी सोता है और शांत रहता है। बच्चे को अकेला न छोड़े। नहलाना भी मुश्किल होता है सारा सामान पहले इकट्ठा कर हल्के हाथों से बच्चे के नाजुक अंगों को साफ कर नहलाएं। गर्मी में तो रोज नहलाएं और कपड़े दो बार बदलें। ज्यादा सर्दी में एक दिन स्पांज कर दूसरे दिन नहला सकते हैं।
कपड़े सही तरीके से पहनाएं :
मौसम अनुसार बच्चों को कपड़े पहनाएं। कपड़े पहनाते समय छोटे बच्चे के अंगों पर दबाव न डालें। आराम से उन्हें कप़ड़े पहनाएं। 
बच्चे को मौसम अनुसार उतने कपड़े पहनाएं जितने जरूरी हों। बहुत ज्यादा कपड़े पहनाना भी  छोटे बच्चे के लिए ठीक नहीं। गर्मी में ज्यादा कपड़े पहनने से पसीना आएगा और सर्दी में ज्यादा कपड़े बच्चे पर बोझ होंगे। उन्हें ढक कर रखें।
बच्चे के स्वास्थ्य संबंधी सुझाव :
जन्म के पहले 3 से 5 दिनाें के अंदर बच्चों के डाक्टर से मिलें। फिर दो सप्ताह बाद डाक्टर के पास ले जाएं। जरूरी टीके डाक्टर से पूछ कर समय समय पर लगवाएं। उसका रिकार्ड स्वयं भी रखें।
- जन्म के पहले सप्ताह में बच्चे का वजन थोड़ा कम होता है। दो सप्ताह बाद वजन फिर से ठीक होने लगता है।
- बच्चे के रोने के कारण को जानें कहीं गीला या भूखा तो नहीं या पेट दर्द, गैस या बुखार तो नहीं। बच्चे को अगर बुखार 100.4 डिग्री से अधिक है तो डाक्टर के पास ले जाएं। हो सके तो बच्चों के विशेषज्ञ को ही शुरू से दिखाएं।
- बच्चे को गीला न रहने दें। इससे त्वचा पर रैशेज हो जाते हैं।  

—नीतू गुप्ता