दो नंबर के रास्ते और रिश्ते

जिस तरह दो नंबर के धंधे होते हैं, उसी तरह दो नंबर के रब्ब के बंदे होते हैं। जिस तरह दो नंबर के शॉर्टकट रास्ते होते हैं, ठीक इसी तरह के दो नंबर के रिश्ते होते हैं। एक नंबर के काम-धंधे, शुद्ध पानी, शुद्ध दूध जैसे बढ़िया और कानूनन सही होते हैं। इन्हें बेख़ौफ होकर किया जा सकता है और रात को बेफिक्र होकर गहरी नींद सोया जा सकता है। बेचैनी भगाने वाली तथा नींद लाने वाली कोई दवा गटकने की ज़रूरत नहीं पड़ती। एक नंबर के धंधे मन को सुकून देते हैं। संतुष्टि व तृफ्टि देते हैं। ऐसे धंधे करते हुए मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और भूखों भी मरना पड़ सकता है। दुश्वारियों को सहना पड़ सकता है तथा गरीबी की रेखा के नीचे या उसकी अगल-बगल में रहना पड़ सकता है। सदाचार की तीखी धार पर चलते हुए, नींव जैसी कड़वी मगर बेहद गुणकारी ईमानदारी के कड़वे घूंट भरते हुए, बबूल की तीखी भूल जैसी सच्चाई की चुभन व पीड़ा सहते हुए एक नंबर के काम-धंधे करने पड़ते हैं। इसीलिए बहुत से बंदे ऐसे साफ व शुद्ध काम-धंधे करने से कन्नी काट जाते हैं। वे ईमानदार मगर कंगले होकर रहना और जीना नहीं चाहते। भूखों मरना नहीं चाहते। झूठी शान का दामन छोड़ना नहीं चाहते। नकली चमक का मोह छोड़ना नहीं चाहते।रब्ब के जो बंदे मुश्किलों और दुश्वारियों से डरते हुए एक नंबर के धंधे नहीं करना चाहते, वे फिर दो नंबर के काले यानि ़गैर-कानूनी धंधे करते हैं। जिन्हें सियासी आकाओं की सरपरस्ती हासिल हो जाती है और भ्रष्ट व बेईमान पुलिस कर्मचारियों एवं अधिकारियों की दोस्ती मिल जाती है, वे बंदे बेखौफ होकर धड़ल्ले से दो नंबर के अनुचित काले धंधे करते हैं। उनके दामन पर बदनामी के लाख द़ाग लग जाएं, मुंह पर लानत की कालिख पुत जाए... वे कतई चिंता नहीं करते हैं। उनकी ढिठाई कहती है, ‘बदनाम होंगे, तभी तो नाम होगा’। दो नंबर के धंधे करने वाले बंदे कभी भूखे नहीं मरते। खूब ऐश परस्ती करते हैं। मौज-मस्ती करते हैं। कायदे-कानूनों की धज्जियां उड़ाकर रख देते हैं। दो नंबर के काम करने वालों को सत्ता के गलियारों में, सियासत के बाज़ारों में बहुत ज्यादा नंबर यानि अंक मिलते हैं। ये लोग ईमानदार, नेक और शरीफ लोगों के अधिकारों पर डाका डालकर, उन्हें तंग-परेशान कर छद्म सुख-चैन तथा झूठा आनंद व संतोष अवश्य प्राप्त कर लेते हैं। लेकिन अपराध बोध के बोझ तले दबा इनका अंतर्मन बहुत छटपटाता है। इन पर हज़ार लानत भेजता है। दो नंबर के काम-धंधे करने वाले शैतानों को रात-भर नींद नहीं आती। पूरी रात करवटें बदलते गुजर जाती है। इन्हें नींद लाने वाली दवा खानी पड़ती है और अन्य अनेक बीमारियां इन्हें अपने शिकंजे में जकड़ लेती हैं। इनकी बेचैन एवं खौफजदा अंर्तात्मा बिन पानी मछली की तरह तड़पती है। लेकिन बेशर्म लोग काले धंधे करने में लगे रहतेहैं। नालायक, महानालायक, अयोग्य और प्रतिभाहीन लोग दो नंबर के शॉर्टकट रास्ते अपनाकर जल्दी से जल्दी कामयाब होना तथा रातों-रात अमीर होना चाहते हैं। दाएं-बाएं, अगल-बगल से जिधर से भी रास्ता मिले, उधर से ही आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। इन्हें दूसरों का रास्ता रोकने में बड़ा आनंद मिलता है। ये अक्सर अपने स्वार्थ को अपने साथ लिए हर जगह चलते हैं। इनकी नज़र हमेशा मौकों पर लगी रहती हैं। ऐसे स्वार्थी, मौकापरस्त लोग सफल होने के लिए पाखंड, आडंबर, चापलूसी, फूकशास्त्र का सहारा लेने में बहुत गौरव महसूस करते हैं। इन्हें उंगली पकड़ाओ तो ये बांह पकड़ लेते हैं।एक नंबर के रिश्ते-नाते सामाजिक मान-मर्यादा से सुसज्जित होते हैं। निश्कलंक होते हैं। ये अटूट होते हैं। बाईस या चौबीस कैरेट शुद्ध सोने जैसे होते हैं। इनमें भावनात्मक व आर्थिक ब्लैकमेलिंग की, सौदेबाज़ी की कोई गुंजाइश नहीं होती। ये अपनत्व भरे होते हैं। असली होते हैं। समर्पण, त्याग और बलिदान जैसी भावनाओं के आभूषणों से सजे-धजे होते हैं... और दो नंबर के रिश्ते-नाते सामाजिक मान-मर्यादा से रहित होते हैं। इन्हें छुप-छुपकर, चोरी-चोरी निभाना पड़ता है। इनका नैतिकता के साथ दूर-दूर तक कोई नाता नहीं होता है। शर्म-हया से कोई वास्ता नहीं होता है। दो नंबर के रिश्ते लोभ, लालच, स्वार्थ से ग्रस्त होते हैं। बेशक इनमें आकर्षण बहुत ज्यादा होता है। परन्तु इनकी चमक-दमक फीकी व नकली होती है। यह नकली आभूषणों जैसे होते हैं। बहुत से लोग दो नंबर के नकली रिश्तों में फंसकर अपना एवं अपने परिवारों का बंटाधार कर लेते हैं। अपनी इज्जत को तार-तार कर लेते हैं। वे न घर के रहते हैं और न घाट के रहते हैं। सब कुछ यानि धन, सम्पत्ति, मान-सम्मान लुटा लेते हैं। फिर भी होशो-हवास से, अक्ल से काम नहीं लेते हैं। दो नंबर के रिश्ते-नातों का समर्पण, त्याग तथा कुर्बानी से कुछ लेना-देना नहीं होता है। ये उथले रिश्ते उथली ज़मीन पर पनपते हैं और रेत की दीवारों की तरह ढह जाते हैं। बेशक इन्हें कानूनी मान्यता मिल चुकी है, लेकिन सामाजिक मान्यता कभी नहीं मिलेगी। भारत मे। हां।