बुद्धिमान चूहा

चंपक वन में धूम मची थी, सभी जानवर नाच रहे थे। क्योंकि आज  वहां  चुनाव के परिणाम आ गए थे। शेर एक बार फिर राजा तो चतुर लोमड़ मंत्री बन गया था। ‘बधाई हो महाराज —आप फिर एक बार इस जंगल के राजा बन गए।’ चतुर लोमड़ ने गब्बर शेर से कहा। सभी जानवर शेर को बधाई दे रहे थे तभी चिम्पू चूहा भी फुदक-फुदक कर आ गया और सीधे जाकर शेर की गोद में बैठ गया और बोला, ‘शेरू अंकल आज तो मैं ज़रूर चॉकलेट खाऊंगा। ‘हां-हां क्यों नहीं ...ज़रूर  खाना पर याद रखना ज्यादा भी न खा लेना कि पेट खराब हो जाये।’ शेरू ने समझाते हुए कहा? चिम्पू चूहा खुश होकर वहां से चला गया। 
दरअसल शेरू को चिम्पू से बेहद लगाव था, वो आये दिन उसे कुछ न कुछ देता रहता था और चिम्पू भी लगभग हर रोज शेरू को मिलने किसी न किसी बहाने जाता रहता था। अभी जीत का कार्यक्रम चल ही रहा था कि अचानक बिजली चली गई। सभी जानवर चिंतित हो गए और छोटे बच्चे तो जोर-जोर से रोने लगे कि तभी बिजली आ गई। सभी खाना खाने लगे तो चिम्पू की मां खाने के लिए चिम्पू को ढूंढने लगी। इधर-उधर सब जगह ढूंढ लिया पर वो कहीं नहीं मिला। अब तो पूरा चम्पक वन चिंता में डूब गया। सभी उसे ढूंढने लगे, बात शेरू शेर तक पंहुची कि चिम्पू गायब है तो उसने भी उसे ढूंढना शुरू किया। वो कहीं न मिला, तभी उसे एक अनजान नम्बर से फोन आया— हैलो कौन बोल रहा है? उधर से कोई आवाज़ नहीं आई तो शेरू जोर से बोला कि कौन है वहां —जवाब दो, उधर से आवाज़ आई, अगर चिम्पू की सलामती चाहते हो तो उसके बदले मुझे चंपक वन के नदी वाला हिस्सा दो, मगर तुम बोल कौन रहे हो? शेरू ने पूछा—मैं कौन हूं ये जानना ज़रूरी नहीं तुम्हारे लिए। बस जो मैं कहता हूं वो करो—आज शाम सारे कागज पूरे कर मुझे नदी किनारे पुराने पीपल के पेड़ के नीचे मिलना, कहकर उसने फोन रख दिया। सब चिंतित थे और अभी-अभी निर्वाचित पदाधिकारी भी सोच में डूबे थे। अपनी-अपनी राय से मुझे बताओ कि अब इस स्थिति में हमें क्या करना चाहिए। राजा शेर ने सबको संबोधित करते हुए कहा, सबने अपनी-अपनी राय रखी और इस नतीजे पर सभा पहुंची कि किडनैपर की बात ही माननी होगी, कोई भी चिम्पू को नुकसान पंहुचे ये नहीं चाहता था। उधर चिम्पू दिखने में छोटा था, लेकिन था बहुत समझदार। उसने चंपकवन के दुश्मन सुंदर वन के राजा नाहर सिंह से कहा, आपको मेरा किडनैप करने के बदले में  क्या मिलेगा? हमें बारह महीने बहने वाली नदी और उपजाऊ प्रदेश। नाहर सिंह ने जोश भरते हुए कहा। ये सुन कर चिम्पू जोर-जोर से हंसने लगा। उसे इस तरह हंसता देख नाहर सिंह ने पूछा, ‘तू मेरी बात पर इतना जोर से क्यों हंसा चूहे के बच्चे।’ चिम्पू ने कहा,चंपकवन के राजा से फिरौती लेना इतना आसान नहीं है जितना तुम समझते हो। और वो भी मुझ जैसे मामूली चूहे के लिए। तुम्हें इतनी बड़ी फिरौती वो क्यों देगा। हां अगर तुम... । ‘हां ...क्या?  नाहर सिंह ने तपाक से पूछा। चिम्पू ने कहा, अगर तुम उसकी इकलौती संतान का किडनैप करते तो वो ज़रूर तुम को मुंह मांगी फिरौती देता। 
कुछ सोचने के बाद नाहर सिंह के एक साथी ने कहा, ‘सरकार ये बात तो सोलह आने सच कह रहा है। इसकी बात में दम तो है।’ तुम ही बताओ चिम्पू की उसकी संतान को कैसे उठाया जाए? नाहर सिंह ने पूछा। चिम्पू समझ गया कि इससे अच्छा मौका नहीं है भागने का। वह जोर-जोर से रोने लगा। उसे रोता देख नाहर सिंह ने चिल्ला कर पूछा, ‘तू अब क्यो रो रहा है? ‘मैं इसलिए रो रहा हूं कि जो मुझे करना चाहिए था वो प्लान तो मैंने तुमको बता दिया।’ कौन-सा प्लान बे... और तू क्या करने वाला था? नाहर सिंह ने गुस्से में पूछा। चिम्पू ने उदास मन से कहा, ‘मैं चंपकवन के राजा का दिल जीत कर उसकी संतान का अपहरण कर अपने पिता की मौत का बदला लेना चाहता था। दरअसल कुछ महीने पहले ही उसने मेरे पिता को जंगली बिल्ली के हाथों मरवा दिया था। बस मैं इसी बात का बदला लेना चाहता हूं।’  नाहर सिंह को चिम्पू की बातों पर यकीन हो गया। उसने कहा, तुम अगर मेरा साथ दो तो मैं तुझे छोड़ सकता हूं।। बिल्कुल साथ दूंगा। चिम्पू ने उछलते हुए कहा। नाहर सिंह ने चिम्पू के प्लान के अनुसार चंपकवन में राजा के बच्चे को उठाने के लिए वह उसके साथ चंपकवन में आ गया।  उधर चंपकवन के निवासी चिम्पू की तलाश में घूम रहे थे। जब उन्होंनें किडनैपर नाहर सिंह को चिम्पू के साथ देखा तो सभी ने मिलकर उसे घेर लिया। ये देख नाहर सिंह ने कहा, ‘ये क्या हो रहा है चिम्पू’ वही हो रहा है.... जो होना चाहिए। मुझे किडनैप करने चला था बेवकूफ....। मेरे राजा कितने खुश होंगे मुझ से। ये सोचकर कि मैंने स्वयं को ही तेरे चंगुल से नहीं बचाया बल्कि चंपकवन का दुश्मन भी पकड़वा दिया। नाहर सिंह उसकी बातें सुनकर अपना माथा पीटते हुए बोला, ‘इस जिद्दी से चूहे ने अपनी बातों में फं सा कर मुझे मूर्ख बना दिया।’ 
चिम्पू को देखकर चंपकवन के सभी निवासियों के साथ-साथ राजा भी उसकी बुद्धिमानी पर बहुत खुश हुआ। फिर चंपक वन के दुश्मन सुंदरवन के राजा नाहर सिंह को जेल में डालकर राजा ने चिम्पू को अपना निजी सलाहकार बना लिया और सभी खुशी से रहने लगे।