गहरे बोर की बढ़ रही संख्या से पानी का स्तर तेज़ी से गिरने के आसार

बमियाल, 28 जून (अ.स.): पंजाब की धरती पर लगातार भूजल के गिरते स्तर से महसूस हो रहा है कि पंजाब की धरती पर आने वाले समय में कभी भी सूखे के बादल छा सकते हैं। बेशक पंजाब की धरती पर पानी संबंधी आने वाली मुसीबत संबंधी सोशल मीडिया पर लगातार ज्ञान बांटा जा रहा है परन्तु वास्तव में पंजाब में सूखे के हालात पैदा होने से रोकने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किए जा रहे। इस वर्ष धान की खेती से पहले पंजाब के किसानों द्वारा खेतों से पानी के गहरे बोरों की संख्या में वृद्धि कर पंजाब में आने वाले सूखे के हालातों में अधिक योगदान डाला गया है। यदि ऐसे ही हर वर्ष पानी के बोरों की संख्या में वृद्धि होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब यह सारे पानी के बोर बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगे। वर्णनीय है कि कृषि विभाग द्वारा दी जानकारी के अनुसार पंजाब में हर रोज़ 33 सैंटीमीटर पानी का स्तर नीचे गिर रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पंजाब में इस समय 14 लाख 50 हज़ार के लगभग ट्यूबवैल लग चुके हैं तथा तीन लाख के लगभग ट्यूबवैल संबंधी निवेदन पत्र पी.एस.पी.सी.एल. विभाग के पास पैंडिंग है। यदि जिक्र सन् 1970-71 का किया जाए तो पंजाब में कुल 1.92 लाख ट्यूबवैल थे तथा उसके बाद 1980-81 में ट्यूबवैल की संख्या 6 लाख तक पहुंची थी तथा 1990-91 में यह संख्या 9.25 लाख तक पहुंची। इसके बाद सन् 2002 में एकदम ट्यूबवैल की संख्या बढ़ कर 12 लाख के लगभग पहुंच गई। ध्यान रहे कि यह गिनती केवल पी.एस.पी.सी.एल. द्वारा ली गई बिजली पर चलने वाले ट्यूबवैलों की है। इसके अतिरिक्त किसान लगातार अपने खेतों में डीप बोर करवाकर इंजन लगा रहे हैं तथा खेती कर रहे हैं। पंजाब में लगातार बढ़ रहे बोरों की संख्या पंजाब के लिए चिंता का विषय बन सकती है। पंजाब के किसान 6 कनाल से लेकर एक एकड़ ज़मीन में पानी उपलब्ध करवाने के लिए डीप बोर करवा रहे हैं। पंजाब में पानी के स्तर को बचाने के लिए प्रशासन द्वारा बनाए गए नियमों को सख्ती से लागू करना समय की मांग है। ऐसे ही पंजाब में हो रहे डीप बोरों संबंधी भी सरकार को कानून बनाने की ज़रूरत है।