किसानों का दर्द, डैम भरे पर खेत सूखे...- पानी के संकट के लिए सरकार खुद ज़िम्मेदार

जसविन्द्र सिंह संधू
फिरोज़पुर, 2 जुलाई : पंजाब की उपजाऊ ज़मीनों को बंजर बनाने, किसानों को कर्जाई करने और धरती के निचले पानी को खत्म कर खुशहाल राज्य को मारूथल और कंगाली के रास्ते की और धकेलने के लिए कोई और नहीं, अपितु समय-समय की सरकारों की नीतियों ही सीधे तौर पर ज़िम्मेदार है। दरियाओं के पानी को खेतों तक पहुंचाने के लिए अंग्रेज़ साम्राज्य द्वारा बनाए नहरी विभाग के ढांचे को समय के साथ निवाये ना जाने के कारण आज पूरे भरे पड़े डैमों के बावजूद भी सुखे पड़े खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा है, फसलें सूख रही है। किसान खेत सींचने, फसल ऊगाने और पालने के लिए आवश्यक पानी को तरस रहे हैं, क्योंकि अंग्रेजों के समय दरियाई पत्तनों व हैड वर्कस बनाकर निकाली गई बड़ी नहरें खत्म हो चुकी है, जो जगह-जगह टूट खसता हालत में होने के कारण पूरी समर्था अनुसार पानी नहीं ले जा रही। और तो और फंडों, मुलाज़मों और मशीनरी की कमी के कारण घास-फूंस ऊग बद से बदतर रूप धारण कर चुकी छोटी नहरें, रजबाहे की भी विभाग द्वारा समय पर सफाई नहीं करवाई गई, फसल नष्ट होती देख मालवे के किसानों के हृदयों को ठेस पहुंच रही है, जो सरकार को कोसते हुए जहां खुद नहरों की सफाई करने के लिए तैयार हुए बैठे वहीं फसल की पैदावार के लिए मजबूरी बस लाखों रुपए खर्च कर धरती के नीचले बोर करने के अलावा बिजली, पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए जनरेटर खरीद रोज़ाना महंगे भाव का डीज़ल फूंक पानी की कमी को धरती से नीचे निकाल कर पूरा करने का प्रयास कर रहे है, जिसका बुरा असर जहां किसानों की जेब पर पड़ रहा है, वहीं प्राकृति स्त्रोत धरती के नीचले पानी का स्तर भी लगातार नीचे गिरने के कारण पानियों का बादशाह कहलाने वाला पंजाब आज पानी के संकट की मार में आ चुका है। आज पंजाब के पास 14.22 एम.ए.एफ पानी की उपलब्धता होने के कारण राज्य के 42.90 लाख हैकटेयर रकबे में 30.88 हैकटेयर क्षेत्र की सिंचाई आराम से की जा सकती है, पर सतलुज, ब्यास और रावी दरियाओं के विभिन्न डैमों से निकाली गई नहरें हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तो बांट अनुसार पूरा पानी पहुंचा रही, पर पंजाब के खेतों तक नहीं पहुंचा रही, वही अधिक पानी चोरी छिपे पाकिस्तान की और छोड़ दिया जाता। पानी की बांट संबंधी भाखड़ा ब्यास मैनेजमैंट बोर्ड (बी.बी.एम.बी) द्वारा 10 दिनों के बाद जारी होते फरमानों अनुसार राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली की टेलों पर तो पानी पूरा पहुंचता किया जाता, पर कमी की मार पंजाब के किसानों को सहनी पड़ती है, जिसका सबसे अधिक बुरा असर माईनरों की टेलों वाले जिला फाजिल्का, फिरोज़पुर, श्री मुक्तसर साहिब, मानसा, बठिंडा के लाखों किसानों पर पड़ रहा है। सिंचाई विभाग द्वारा अबोहर इलाका बारबंदी की जहां मार नीचे है, वहीं मानसे, संगरूर, तलवंडी साबो इलाके के किसानों को भाखड़ा नहर से मिलते पानी की बांगडोर हरियाणा नहरी प्रबंधकों के पास है, जो मरजी से माईनरों में 15-15 दिन के वक़फे के बार बारबंदी तहत पानी छोड़ रहे हैं।
किसान खुद लगे नहरों की सफाई करने : ‘अजीत समाचार’ द्वारा किए गए सर्वे दौरान देखा कि दूसरे जिलों की तरह जहां ज़िला फाजिल्का के निजाम बरकत वाह, लाधूका माईनर, तरोबड़ी माईनर पानी से वंचित व गंदगी से भरे पड़े है, वहीं ज़िला फिरोज़पुर के कासू बेगू माईनर, सप्पां वाली माईनर, महिमा माईनर, नहरी कलोनी माईनर, बाजीदपुर माईनर आदि सैंकड़ों माईनरों की टेलां पानी को हर वर्ष की तरह अब भी तरस रही है, जहां के किसानें ने खेतों तक पानी पहुंचता करने के लिए खुद नहरों की सफाई करने का बीड़ा उठा लिया है।
सुधारों संबंधी केन्द्र से मांगे गए है फंड : सिंचाई मंत्री : विभाग अंदर कर्मचारियों और मशीनरी की कमी को जल्द पूरा करने का दायवा करते हुए सिंचाई मंत्री सुखबिन्द्र सिंह सरकारिया ने कहा कि माईनरों की खिलाई के लिए फंड तो जारी किए गए है, बाकी अगर कोई माईनर की सफाई होनी बाकी है तो पहल के आधार पर करवाई जाऐगी। उन्होंनें कहा कि पूरा पानी ना खींच रही बड़ी नहरों की मुरम्मत और सफाई के लिए केन्द्र सरकार को पत्र भी लिखे गए है तांकि विभाग में आवश्यक सुधार कर नहरी ढांचे को समय का साथी बनाया जा सके।