जी.एस.टी. लागू होने पर कारोबारियों का पीछा नहीं छोड़ रहा वैट

जालन्धर, 6 जुलाई (शिव शर्मा): जी.एस.टी. (वस्तु व सेवा कर) के लागू होने के दो वर्ष पूरे होने के बावजूद भी राज्य में अभी तक समाप्त हुआ पुराना कर कानून वैट कारोबारियों का पीछा नहीं छोड़ रहा है क्योंकि अभी तक राज्य में व्यापारियों के सैकड़ों वैट से संबंधित इस तरह के केस हैं कि वह अभी तक समाप्त नहीं किए जा सके हैं। राज्य में जी.एस.टी. की वसूली घटने में यह भी एक कारण बताया जा रहा है कि अभी तक विभाग के स्टाफ में स्टाफ वैट के केसों में ही उलझा हुआ है जिसमें न तो राज्य के जी.एस.टी. विभाग का कोई भला हो रहा है तथा न ही कारोबारियों का कोई भला हो रहा है। कारोबारियों के वैट के केस कई वर्ष पुराने हैं जिनको दो वर्ष पहले जी.एस.टी. लागू होने के बाद ही समाप्त कर देना चाहिए था परन्तु इन केसों की फाइलें अभी भी कार्यालयों में घूम रही हैं। पुराने कर कानून वैट के कारोबारियों के वह केस हैं जिनमें कारोबारियों को अभी तक दूसरे राज्यों से बेचे गए सामान के सी. फार्म व्यापारियों से नहीं मिले हैं। सामान बेचने के समय कारोबारियों ने 2 प्रतिशत जी.एस.टी. की अदायगी की हुई है। कारोबारी जो दूसरे राज्य में सामान बेचते हैं तो बदले में वह सी. फार्म सबूत के रूप में लेते हैं। यह था फार्म विभाग को देकर अतिरिक्त दिए गए कर की राशि वापस लेते हैं। इस समय राज्य के सैकड़ो व्यापारी हैं जिनको सी. फार्म नहीं मिले हैं। पंजाब में ही सी. फार्म नहीं हैं तो दूसरे राज्यों में पहले ही सी. फार्म नहीं हैं। इसलिए इन केसों का निपटारा नहीं हुआ है। एक ओर तो वैट के केसों का निपटारा नहीं हुआ है, दूसरा राज्य में जी.एस.टी. की वसूली में अधिक वृद्धि नहीं हुई है क्योंकि इस समय स्टाफ में कईयों को वैट के केसों को देखना पड़ रहा है तथा इसलिए पूरी तरह से जी.एस.टी. वसूली में वृद्धि करने के लक्ष्य पूरे नहीं हो रहे हैं। दूसरी ओर तो सरकार ने कारोबारियों का वैट व जी.एस.टी. का रिफंड लेना और मुश्किल कर दिया है। कर मामलों के विशेषज्ञ नरिन्द्र बजाज का कहना है कि पहले तो कारोबारियों के सीधे वाऊचर वित्त कार्यालयों में चले जाते थे परन्तु अब एक नए अधिकारी की नियुक्ति वित्त कार्यालयों में कर दी गई है कि उनके द्वारा क्लीन चिट मिलने के बाद ही जी.एस.टी. या फिर पुराने वैट के रिफंड मिला करेंगे।