अमीर देशों के मुकाबले गरीब देशों की जनसंख्या तेज़ी से बढ़ रही

खन्ना, 10 जुलाई  (  हरजिन्द्र सिंह लाल) : हालांकि 11 जुलाई 1987 को जब विश्व की जनसंख्या 500 करोड़ पर पहुंची थी तो पहली बार विश्व भर में 5 मिलियन डे मनाया गया था। 2 वर्ष बाद 11 जुलाई 1989 को प्रथम वर्ल्ड पापूलेशन डे अर्थात विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का फैसला यू.एन.ओ. के यूनाइटेड नेशन विकास कार्यक्रम की गवर्निंग कौंसिल ने लिया। यह फैसला धरती पर बढ़ते मानव जनसंख्या के भार के कारण मानव तरक्की की रफ्तार घटने से रोकने, परिवार नियोजन, महिलाओं-पुरुषों में समानता, मानव अधिकारों व महिलाओं के स्वास्थ्य जैसे विषयों बारे सुचेत करने के लिए लिया गया था, परन्तु सभी कोशिशों के बावजूद हालत यह है कि विश्व जनसंख्या जो 11 जुलाई 1987 को 500 करोड़ थी। आज 10 जुलाई 2019 को 716 करोड़ 66 लाख 25 हज़ार से अधिक हो चुकी है। गौरतलब है कि धरती पर मानव जनसंख्या 2023 में 800 करोड़ व 2056 में 1000 करोड़ से भी बढ़ जाने के आसार हैं। जिस रफ्तार से मानव जनसंख्या बढ़ रही है उसी रफ्तार से ही प्राकृतिक साधन भी कम होते जा रहे हैं। जंगल कम हो रहे हैं, पेयजल की कमी हो रही है। बढ़ती तपश के कारण समुद्र तल की ऊंचाई बढ़ रही है क्योंकि गलेशियर पिघल रहे हैं। वैज्ञानिक यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि जनसंख्या की यह बेहिसाब वृद्धि धरती को मानव के रहने के काबिल नहीं छोड़ेगी। इसीलिए वैज्ञानिक मानव जाति को बसाने के लिए आकाश गंगा में अन्य धरती की तलाश में  लगे हुए हैं। हालांकि पहले विश्व जनसंख्या दिवस 1989 में मनाया गया था परन्तु दिसम्बर 1990 में यू.एन.ओ. की जनरल असैम्बली ने बाकायदा प्रस्ताव पारित कर 11 जुलाई को हर वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का फैसला किया था। यू.एन.ओ. की सोच है कि परिवार नियोजन में किया निवेश वास्तव में मानव विकास के काम ही आता है। इसीलिए विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई 2017 को लंदन में परिवार नियोजन शिखर सम्मेलन भी करवाया गया परन्तु अफसोस है कि अभी भी 69 सबसे गरीब देशों में आम तौर पर महिलाओं की पहुंच परिवार नियोजन के सुरक्षित साधनों तक नहीं है। हालांकि यू.एन.ओ. व वैज्ञानिक जनसंख्या की वृद्धि को रोकने व परिवार नियोजन के लिए हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं परन्तु विकसित व अमीर देशों में तो आबादी की वृद्धि पर नियंत्रण कर लिया गया है परन्तु गरीब देशों में आबादी की वृद्धि बदस्तूर जारी है।
विश्व जनसंख्या की स्थिति
इस समय विश्व के हर 5 व्यक्तियों में 3 एशियन होते हैं। एशिया की आबादी इस समय 460 करोड़ से अधिक है, जो कुल जनसंख्या का 59.65 प्रतिशत बनता है। सबसे गरीब लोगों के महाद्वीप अफ्रीका महाद्वीप की आबादी भी इस समय 130.8 करोड़ से कुछ ऊपर है जो विश्व की कुल आबादी का 17 प्रतिशत के निकट बनता है जबकि अमीर व खुशहाल माने जाते  क्षेत्र यूरोप की आबादी केवल 74.7 करोड़ ही है, जो विश्व की कुल जनसंख्या का पूरा 10 प्रतिशत भी नहीं है। दक्षिणी अमरीकी देशों की जनसंख्या 5.54 प्रतिशत है जो 42.7 करोड़ लोग हैं। उत्तरी अमरीका महाद्वीप जिसमें अमरीका, कैनेडा व मैक्सीको सहित 39 देश शामिल हैं, की जनसंख्या भी विश्व का केवल 7.7 प्रतिशत हिस्सा ही है, उत्तरी अमरीका में कुल 57.9 करोड़ लोग ही बसते हैं जबकि ओशनिया महाद्वीप के देश जिनमें आस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड के अतिरिक्त 19 अन्य छोटे देश व टापू भी शामिल हैं, की जनसंख्या केवल 4.18 करोड़ है जो विश्व का लगभग आधा प्रतिशत ही बनता है।
भारत, चीन, पाकिस्तान, बंगलादेश, अमरीका व रूस
यहां वर्णनीय है कि एशिया को छोड़ कर शेष सभी महाद्वीपों से अधिक मानव जनसंख्या चीन व भारत में रहती है। इस समय चीन में 142 करोड़ से अधिक लोग हैं, जो विश्व की 18.41 प्रतिशत जनसंख्या है जबकि भारत में इसी समय 137 करोड़ के निकट लोग रहते हैं, जो विश्व का 17.74 प्रतिशत बनता है। हमारे पड़ौसी देश पाकिस्तान व बंगलादेश की आबादी क्रमश: 20 करोड़ 40 लाख व 16 करोड़ 80 लाख के लगभग है जबकि इसके उलट अमरीका जैसे विशाल देश की जनसंख्या 32 करोड़ 90 लाख है, जो विश्व का 4.27 प्रतिशत व रूस जैसे विशाल धरती के मालिक देश में केवल 14 करोड़ 38 लाख लोग ही रहते हैं, जो विश्व की जनसंख्या का केवल 1.87 प्रतिशत हिस्सा ही बनता है।