जंगल का लम्बू जिराफ

अफ्रीका में पाये जाने वाले जिराफ  का अपना विशेष महत्व है। इसकी गणना विश्व के चार विशलतम जीवों से की जाती है। इसकी ऊंचाई का तो कहना क्या है? जिराफ  को महत्व इसलिए दिया जाता है कि इसकी गर्दन काफी ऊंची होती है। युवा और वयस्क नर जिराफ  की ऊंचाई 10-11 फुट होती है , इसकी अगली दो टांगें, पिछली टांगों की अपेक्षा अधिक लंबी होती है। पिछली टांगों की अपेक्षा अधिक लंबी होती है। यही कारण है कि इसका कद काफी ऊंचा होता है । इसका वजन 40 मन से 60 मन तक होता है। जिराफ  का जबड़ा प्रकृति ने विशेष रूप से काफी अलग तरीके से बनाया है। इसके होंठ लम्बे-लम्बे होते हैं, और इन होंठों पर घने बाल उगे होते हैं ,जो बबूल के कांटों से रक्षा करते हैं। जिराफ  का सबसे प्रिय भोजन बबूल है। निचले होंठ की अपेक्षा ऊपरी होंठ आगे की ओर बढ़े होते होते हैं। जीभ खुरदरी और डेढ़ फुट लंबी होती है। उसकी  सहायता से जिराफ  झाड़ियों की पतली-पतली टहनियां और पत्ते नोंचकर खाते हैं। जिराफ  के सिर पर दो छोटे -छोटे सींग होते हैं, जो उसके सिर के बीचों बीच उभार के रूप में होते हैं। कुछ जिराफों में दो अतिरिक्त सींग पाये जाते हैं। जिराफ  का खुर एक फुट लंबा होता है और उसके बीच में दरार होती है जिसके कारण वह कठोर भूमि पर चल-फिर पाता है। जिराफ  लम्बी टांगों के कारण दलदली मैदानों या नरम धरती पर चल नहीं पाता। वह मामूली दलदलों या नदियों को भी पार नहीं कर सकता है और गिर पड़ता है , किंतु सख्त खुरों वाली ये टांगें उसका हथियार हैं। इसकी चाल प्रति घंटा 30 मील तक होती है । जिराफ  शाकाहारी जीव है और गाय भैंसों की तरह एक साथ ढेर सारा चारा खाकर जुगाली कर उसे पचाता है। जिराफ का भोजन करने का समय प्रात: काल या सूर्य अस्त होने से कुछ समय तक है। वह सारा दिन छाया में आराम करता है। वह प्राय: खड़े -खड़े ही अपनी नींद पूरी कर लेता है।  यदि वह बैठ जाए तो आसानी से उठ नहीं सकता है। यही समय है जब शेर इस पर आक्रमण करता है। यदि सुरक्षा की गारंटी हो तो वह लेटकर भी सो सकता है। तब वह अपनी गर्दन मोड़कर पिछली टांगों पर रख लेता है। 

-पुष्पेश कुमार पुष्प