अच्छी सम्भावनाओं वाला फैसला

एक दिन पहले अटारी-वाघा सीमा पर भारत एवं पाकिस्तान के अधिकारियों की करतारपुर साहिब के गलियारा के संबंध में हुई बातचीत के काफी सीमा तक सफल रहने के बाद अगले ही दिन पाकिस्तान की ओर से अपने हवाई क्षेत्र से रोकी गई भारतीय विमानों की उड़ानों पर पाबंदी खत्म करने की घोषणा ने दोनों देशों के आपसी संबंधों को कुछ और निकट ला दिया है। चाहे दोनों देशों में सरकारी स्तर पर द्विपक्षीय मामले हल करने के लिए औपचारिक बातचीत अभी शुरू नहीं हुई, परन्तु एक अच्छा माहौल बनते हुए अवश्य दिखाई दे रहा है। दोनों देशों के रिश्तों में भारी तनाव तो कई वर्षों से बना रहा है, परन्तु कश्मीर में 14 फरवरी को पुलवामा के आतंकवादी हमले मेें लगभग 40 जवानों के मारे जाने की घटना ने इस कटुता को शीर्ष पर पहुंचा दिया था। इसके बाद 26 फरवरी को भारतीय वायु सेना की ओर से बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण कैम्पों पर हमला किए जाने से ये संबंध और भी बिगड़ गए थे। दूसरी ओर आतंकवादियों को संरक्षण देने के लिए दुनिया भर के देशों ने अक्सर पाकिस्तान की आलोचना की है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसे बहुत नमोशी का सामना करना पड़ा है। प्रधानमंत्री इमरान खान सहित पाकिस्तान के बहुत से नेता भी घटित हो रहे इस घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण मानते रहे हैं, चाहे वहां की सेना की ओर से सदैव आतंकवादियों को समर्थन हासिल रहा है। अब जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर को नज़रबंद किये जाने के समाचार भी मिल रहे हैं। अमरीका जैसे भारी आर्थिक मदद करने वाले देश ने भी उससे अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। नि:सन्देह पाकिस्तान आज प्रत्येक पक्ष से गम्भीर दौर में से गुज़र रहा है। बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण कैम्पों पर भारत की ओर की गई कार्रवाई के बाद 27 फरवरी को पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद करने की घोषणा कर दी थी। इससे लगभग 4 महीनों से भारतीय विमान कम्पनियों को अतीव कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। अपने मार्ग बदलने से उन्हें भारी आर्थिक घाटा भी हो रहा था। समय भी अधिक लग रहा था तथा लम्बे रूट के कारण मार्ग में अपने स्टाफ सदस्यों को भी बदलना पड़ रहा था। केन्द्रीय एशिया की ओर से भारत की ओर आने वाली उड़ानें तो एक प्रकार से बंद ही हो गई थीं। अफगानिस्तान से विमानों के माध्यम से फल, सब्ज़ियां एवं अन्य शीघ्र खराब होने वाला खान-पान का सामान आना भी बंद हो गया था। इस कारण अफगानिस्तान को भी भारी आर्थिक संकट से गुज़रना पड़ रहा था। 27 फरवरी के बाद इस मार्ग से रोकी गई उड़ानों के कारण एयर इंडिया को लगभग 500 करोड़ रुपए, स्पाइस जैट विमान कम्पनी को 30 करोड़ रुपए तथा इंडिगो कम्पनी को 25 करोड़ रुपए के लगभग घाटा पड़ा था, जिसकी पूर्ति वे यात्रियों की टिकट का मूल्य बढ़ा कर कर रही थीं। दिल्ली से अमृतसर के माध्यम से दुबई जाने वाली उड़ानें भी प्रभावित हुई थीं। दूसरी ओर पाकिस्तान को भी इस कारण भारी नुकसान हो रहा था। भारतीय विमानों की ओर से पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र को इस्तेमाल किये जाने से पिछले 4 महीनों में उसे 688 करोड़ रुपए की जो फीस मिलनी थी, वह उससे भी वंचित हो गया था। इसी प्रकार भारतीय विमान क्षेत्र पाकिस्तानी विमानों के लिए बंद होने के कारण पाकिस्तानी कम्पनियों को भी भारी नुकसान हो रहा था। पिछले दिनों अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ इस संबंध में बात की थी तथा उन्हें भारत के साथ सम्पर्क करने के लिए अपना हवाई मार्ग खोलने के लिए कहा था। पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई मार्ग सशर्त खोलने की बात कही थी। पाकिस्तान की मांग थी कि भारत पाकिस्तान की सीमाओं के निकट तैनात किए गए अपने लड़ाकू विमानों, जो कुछ ही मिनटों में पाकिस्तान में दाखिल हो सकते हैं, को पीछे हटाये, तभी वह अपना हवाई क्षेत्र खोलेगा। सभी जानते हैं कि पाकिस्तान पहले ही भारी आर्थिक मंदी का शिकार है। भारत में आने वाली एवं यहां से जाने वाली उड़ानों को रोकना उसके लिए भारी घाटे वाला कार्य सिद्ध हुआ है। चाहे पाकिस्तानी अधिकारियों ने अनिश्चित समय के लिए इन उड़ानों को रोकने की घोषणा की थी परन्तु भारत की ओर से दरपेश सभी कठिनाइयों के बावजूद पाकिस्तान की इस धमकी की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अंतत: उसे अपनी ओर से लिया गया यह फैसला वापिस लेना पड़ा है, जो दोनों देशों के लिए लाभदायक सिद्ध होगा। अब तक यद्यपि पाकिस्तान ने अपने द्वारा पोषित आतंकवादी नेताओं के विरुद्ध कोई प्रभावशाली कार्रवाई नहीं की है, जिसके अभाव में दोनों देशों के संबंध सामान्य होने की अभी उम्मीद नहीं की जा सकती, परन्तु अब पाकिस्तानी प्रशासन के भीतर हकीकतों को पहचानने की उत्पन्न हो रही यह भावना एवं उसकी ओर से उठाये जा रहे पग अच्छी सम्भावनाएं अवश्य उजागर कर रहे हैं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द