नशों में आए उछाल ने कैप्टन को हरप्रीत सिंह सिद्धू की याद दिलाई

जालन्धर,  (मेजर सिंह )19 जुलाई : पिछले कुछ सप्ताह से पंजाब में व सीमा पर हैरोइन, अफीम व नशीली दवाइयों की बड़ी खेपें पकड़े जाने व नशों की अधिक मात्रा लेने से नौजवानों की हर रोज़ मौतें होने से पंजाब सरकार की नशों पर रोक लगाने में असफलता सामने आने के कारण बड़ी किरकिरी होने लगी थी, इसी कारण कैप्टन सरकार को लगता है कि नशों के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई आरंभ होने से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हरप्रीत सिंह सिद्धू की पुन: याद आई है। हरप्रीत सिंह सिद्धू को अचानक पुन: नशों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए बनाई एस.टी.एफ. का प्रमुख बनाए जाने को मुख्यमंत्री द्वारा उसकी पुन: बहाली की समझी जा रही है। कैप्टन सरकार बनते ही नशों के विरुद्ध मुहिम चलाने के लिए स्पैशल टास्क फोर्स (एस.टी.एफ.) का गठन करते पुलिस ने सख्त जान समझे जाते ए.डी.जी.पी. हरप्रीत सिंह सिद्धू को इसकी कमान सम्भाली थी। वह उस समय सी.आर.पी. में डैपूटेशन पर थे तथा छत्तीसगढ़ में नक्सली लहर को कुचलने के लिए चलाई मुहिम में सक्रिय थे। सिद्धू को इतनी खुल दी गई थी कि वह डी.जी.पी. के अधीन नहीं थे तथा सीधा मुख्यमंत्री की कमान में थे। उनको साथ ही ए.डी.जी.पी. (सीमावर्ती क्षेत्र) का चार्ज भी दिया गया था। सितम्बर 2018 को सिद्धू को बदल कर मुख्यमंत्री कार्यालय में विशेष सचिव के बहुत ही कम अहम पद पर तैनात कर दिया गया था। उनके बाद एस.टी.एफ. का प्रमुख डी.जी.पी. मुहम्मद मुस्तफा व फिर ए.डी.जी.पी. गुरप्रीत कौर दियो को बनाया गया। अब इस बात पर सवालिया चिन्ह ही लगा है कि सिद्धू की वापसी से एस.टी.एफ. पहले की तरह आज़ाद होगी या डी.जी.पी. के अधीन काम करेगी। पिछले दो माह से पंजाब में से सरहद से अफीम, हैरोइन व नशीली दवाइयों सहित अन्य नशों की बड़ी खेपें पकड़ी गई हैं। अटारी सीमा के व्यापारिक चौकी से क्ंिवटल से अधिक एक ही तस्कर से अफीम पकड़ी गई है। जालन्धर देहाती पुलिस ने पिछले दिनों में 62 किलो अफीम, 34 किलो हैरोइन के अतिरिक्त बड़ी मात्रा में अन्य नशीले पदार्थ पकड़े हैं। अन्य ज़िलों से भी नशों की बिक्री व सेवन में बड़े छापे की खबरें आम छपने लगी हैं। नई बात यह है कि जिस तरह पिछले लगभग चार वर्ष किसानों की आत्महत्याओं की खबरें रोज़ाना अखबारों की सुर्खियां बनती आ रही हैं, उसी तरह अब नशों की अधिक मात्रा से मरने वाले नौजवान की खबरें भी हर रोज़ आने लग पड़ी हैं। इस बात में कोई संदेह नहीं कि सिद्धू ने पुलिस में कोई नई व पक्की प्रथा डाली थीं। पुन: इस संस्था के प्रमुख बनने के बाद भी पहले सवाल उनके आगे खड़े हैं कि नशों विरुद्ध मुहिम में नशों के व्यापार में सहयोगी या गलत पुलिस वालों के विरुद्ध कार्रवाई को वह कैसे आगे चलाएंगे तथा इस मामले में पैदा होती अफसरशाही की गुटबंदी से कैसे बचेंगे?