....ज़िंदगी हार चुके लोगों को ज़िंदगी जीने का संदेश देती है फिल्म ‘अरदास करां’

जालन्धर, 19 जुलाई (हरविंदर सिंह फुल्ल) : अपना घर छोड़ कर विदेशों में डॉलर कमाने की चाहत के चक्कर में अपना विरसा अपनी जवानी भूल चुके लोगों को जब बुढ़ावे में पीढ़ियों के अंतर का सामना करना पड़ता है तो उनको अपने विरसे की याद आती है। क्योंकि डॉलर कमाने की चाहत में न वह अपना विरसा संभाल सके और न ही विदेशी सभ्याचार अपना सके। कुछ ऐसा ही दर्शाती है फिल्म प्रसिद्ध गायक, निर्माता, निर्देशक और लेखक गिप्पी ग्रेवाल की आज रिलीज़ हुई फिल्म ‘अरदास करां’ जालन्धर, अमृतसर रोड पर पड़ते सरब मल्टीप्लैक्स में प्रदर्शित इस फिल्म में दिखाया गया है कि 60 व 70 के दशक से विदेशों में डॉलर कमाने की चाहत से विदेश गया अमर सिंह (मलकीत रौनी)  कैसे अपनी ही औलाद से दुखी होकर मरने का निर्णय कर लेता है पर जब घर से बाहर निकल कर देखता है हर घर में यह कुछ दिख रहा है तो वह फिर भी सच्चाई मानने को तैयार नहीं होता। फिल्म में दिखाया गया है कि चाहे वह रत्न शर्मा (सरदार सोही) हिन्दू हो बल्कि लाहौरी चाचा (गना जंग बहादर) मुसलमान हो, पीड़ियों का अंतर हर घर की समस्या है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे हम जो अपने मां-बाप को कहना चाहते हैं पर कह नहीं पाते पर बीते समय हम उनकी बातों को याद करते हैं। निर्देशक ने बड़े ही खूबसूरत तरीके से उनको फिल्माया गया है। ज़िंदगी हार चुके उन लोगों को ज़िंदगी जीने की किरन दिखाता है सहज सिंह (गिप्पी ग्रेवाल) जो खुद ज़िंदगी की सच्चाई से तो भागा है और मैजिक सिंह (गुरप्रीत घुग्गी)। मैजिक सिंह जो खुद कैंसर का मरीज़ है पर ज़िंदगी को ज़िंदा दिली से जीता है और जीने का उपदेश भी देता है। उसकी बातचीत से गुरबाणी की मिसालें फिल्म को पारम्परिक रंगत भी देती हैं। सहज सिंह और मैजिक सिंह उन ज़िंदगियों जो हार चुके लोगों को दोबारा पटरी पर लाने के लिए प्रयास करते हैं और मैजिक सिंह किसको अपना बाप कहता है यह तो फिल्म देखने पर ही पता लगता है। फिल्म भावुकता और हास्य की सुमेल है। फिल्म की अधिकतर शूटिंग कनाडा में की गई है। जतिंदर शाह का संगीत भी दर्शकों को पसंद आया है। फिल्म में दर्शाए गए सभी पात्रों से योगराज सिंह, सपना पब्बी, जप जी खैहरा, हैबी धालीवाल, मेहर विज, छिंदा ग्रेवाल (सुपुत्र गिप्पी ग्रेवाल), सीमा कोसल, गुरप्रीत कौर भंगू सहित सभी कलाकारों द्वारा पूरी तरह से इन्साफ किया गया है। फिल्म साफ सुथरी है और परिवार का हर वर्ग का व्यक्ति परिवार के साथ बैठकर फिल्म का आनंद ले सकता है।