गेहूं दड़ा में भारी तेज़ी : मूंग-उड़द-तुअर-मसूर-चना बढ़कर फिर घटे

नई दिल्ली, 21 जुलाई (एजैंसी): गत सप्ताह उत्पादक मंडियों से गेहूं की आवक आधी रह जाने एवं साउथ की लिवाली से 145/150 रुपए की भारी तेजी आ गयी। आयात पड़ता महंगा होने एवं सरकारी बिक्री मूल्य ऊंचा होने से उत्तर भारत की मिलें भी हर भाव में माल पकड़ने लगी हैं। दूसरी ओर दलहनों में सप्ताह के पूर्वार्ध में आई तेजी के बाद उत्तरार्ध में मिलों में दली हुई दाल की बिक्री पूरी तरह ठंडी पड़ जाने से फिर बाजार 25/50 रुपए घट गये। राजमा चित्रा 200/300 रुपए लुढ़क गया। आलोच्य सप्ताह गेहूं की आवक लॉरेंसरोड, नजफगढ़, नरेला, राई, कुंडली के साथ-साथ गाजियाबाद, मेरठ की मिलों में आधी रह जाने से 145/150 रुपए प्रति क्विंटल उछलकर गेहूं दड़ा मिल क्वालिटी 2180/2185 रुपए तथा चक्की क्वालिटी 2185/2190 रुपए प्रति क्विंटल की ऊंचाई पर जा पहुंचा। गौरतलब है कि गत वर्ष सरकार का इन दिनों खुले बाजार में बिक्री मूल्य 1900/1925 रुपए का था, जो इस बार 2135 रुपए प्रति क्विंटल 30 सितम्बर तक के लिए निर्धारित है। उसके बाद 55 रुपए प्रत्येक तिमाही में और बढ़ाकर दिये जायेंगे। यह बिक्री मूल्य बहुत ऊंचा होने से उत्तर से दक्षिण भारत की मिलें जहां भी गेहूं मिल रहा है, वहीं से माल पकड़ने लगी हैं तथा स्टॉकिस्ट भी माल रोकने लगे हैं। उधर उड़ीसा, बंगाल लगातार बिहार से माल पकड़ रहा है। यही कारण है कि चौतरफा लगातार तेजी आ गयी है। आटा भी जो 1110/1115 रुपए बिक रहा था, वह 1160/1170 रुपए प्रति 50 किलो हो गया। मैदा, सूजी में भी 70/80 रुपए की तेजी आ गयी है। सरकार इस पर शीघ्र ठोस कदम नहीं उठायेगी तो जल्दी गेहूं 2250 रुपए मिल क्वालिटी बिक जायेगा। इसके अलावा चावल, मक्की, बाजरा लगभग समान पड़े रहे, लेकिन दलहनों में आई सूर्खी के बाद सप्ताहांत में फिर बाजार नीचे आ गये। डिब्बे में मूंग जाने से सट्टेबाजी के चलते उथल-पुथल का माहौल शुरू हो गया।