विधानसभा चुनावों को लेकर उत्साहित है भाजपा

हरियाणा की मौजूदा भाजपा सरकार का अंतिम विधानसभा सत्र दो अगस्त से शुरू होने जा रहा है। सितम्बर में हरियाणा विधानसभा चुनावों की घोषणा होनी है और इसी के चलते यह माना जा रहा है कि प्रदेश की मौजूदा मनोहर लाल खट्टर सरकार का यह अंतिम विधानसभा सत्र होगा। इस सत्र की कार्यवाही को अंतिम रूप चाहे विधानसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी देगी लेकिन उम्मीद है कि इस सत्र की कुल तीन बैठकें होंगी और विधानसभा चुनाव में जाने से पहले सरकार प्रदेश के विभिन्न वर्गों विशेषकर कर्मचारियों, व्यापारियों, महिलाओं, युवाओं और किसानों के लिए कई अहम रियायतें व सुविधाएं देने का ऐलान कर सकती है। लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 10 सीटों पर भारी भरकम जीत के साथ ही प्रदेश की भाजपा सरकार भी काफी उत्साह में है और विपक्ष इन दिनों काफी कमजोर नजर आ रहा है। 
विधानसभा के अंदर इस बार बदला होगा दृश्य
विधानसभा के अंदर का दृश्य भी इस बार काफी बदला-बदला रहने के आसार हैं। इनेलो के दो विधायकों के निधन और जींद से इनेलो विधायक की जगह उनके बेटे कृष्ण मिड्ढा के भाजपा प्रत्याशी के तौर पर विजयी होने के साथ ही हरियाणा में भाजपा के पक्ष में हवा चल पड़ी थी। इनेलो के चार विधायकों के जेजेपी के साथ खड़े होने और 5 विधायकों के विधानसभा से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने से जहां भाजपा मजबूत हुई, वहीं इनेलो और भी कमजोर हो गई। इनेलो का एक विधायक नसीम अहमद कांग्रेस के समर्थन में खड़ा हो गया और एक अन्य विधायक रामचंद्र कंबोज ने भी पार्टी के सभी पदों से प्रदेशाध्यक्ष को इस्तीफा भेजकर पार्टी की स्थिति और ज्यादा कमजोर कर दी है। वैसे इनेलो के फरीदाबाद के विधायक नगेंद्र भडाना शुरू से ही खुल्लमखुल्ला भाजपा के साथ चल रहे हैं और इनेलो की बैठकों में शामिल होने की बजाय भाजपा की बैठकों में शामिल होते रहे हैं। हरियाणा में पिछले चुनाव में अकाली दल ने इनेलो के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। 
करीब 3 साल पहले इनेलो व अकाली दल की राजनीतिक राहें अलग होने के बावजूद अकाली दल विधायक ने राज्यसभा चुनाव में अपना वोट इनेलो समर्थित उम्मीदवार की बजाय भाजपा समर्थित उम्मीदवार को दिया था। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में अकाली दल ने खुल्लमखुल्ला हरियाणा में भाजपा का समर्थन किया था। अब विधानसभा में भी अकाली विधायक भाजपा के साथ खड़े नजर आएंगे। 
गुटबाजी के चलते कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष पद से वंचित
विधानसभा में इनेलो अब तीसरे नंबर की और कांग्रेस दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है। विधानसभा में अब सत्ता पक्ष के सामने वाली सीटों पर इनेलो की बजाय कांग्रेस विधायक नजर आएंगे। वहीं कांग्रेस वाली सीटों पर इनेलो विधायकों को बैठना होगा। कांग्रेस में भी आपसी गुटबाजी के चलते पिछले कई महीनों से खाली हुए नेता प्रतिपक्ष के पद पर कांग्रेस का कोई विधायक काबिज नहीं हो पाया। वैसे कांग्रेस विधायक दल की नेता श्रीमति किरण चौधरी हैं लेकिन प्रदेश के ज्यादातर विधायक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ खड़े हैं। विधायकों से ताजा प्रस्ताव पारित करवाकर और पार्टी से लिखवाकर देने से किरण चौधरी सहित कांग्रेस के किसी भी विधायक को नेता प्रतिपक्ष का पद मिल सकता था लेकिन कांग्रेस ने इस मौके को भी गंवा दिया। 
भाजपा में शामिल होने वालों में लगी होड़ 
इन दिनों भाजपा में शामिल होने के लिए नेताओं में होड़ लगी हुई है। आये दिन प्रदेश के अनेक प्रमुख नेता अपने-अपने दलों को छोड़कर भाजपा में शामिल होने का ऐलान कर रहे हैं। पहले पहल अनेक बड़े नेता भाजपा में शामिल हुए और अब आये दिन स्थानीय स्तर के नेता भाजपा में शामिल होने के लिए लाइन लगाए नजर आते हैं। इसमें सबसे ज्यादा नुक्सान इनेलो को हुआ है। इनेलो के दो अन्य बड़े नेताओं के बारे में भी चर्चा चल रही है कि उनकी प्रदेश के मुख्यमंत्री से मुलाकात हो चुकी है और वे किसी भी समय इनेलो को अलविदा कह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इनेलो को जिस बड़े स्तर पर नेताओं ने छोड़ा है, उससे इनेलो के समक्ष आने वाले विधानसभा चुनाव में अपना अस्तित्व बचाने और फिर से वापसी करने के रास्ते दिनों दिन कठिन होते जा रहे हैं। 
अर्जुन की सगाई पर चौटाला व बादल परिवार साथ नजर आए
पिछले दिनों अभय सिंह चौटाला के छोटे बेटे अर्जुन चौटाला की उनके फार्म हाउस पर हुई सगाई के मौके पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल व अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल तथा पंजाब एवं हरियाणा सहित अनेक राज्यों के प्रमुख नेता व चौटाला परिवार के करीबी लोग शामिल हुए थे। इस आयोजन में शामिल होने के लिए इनेलो प्रमुख चौधरी ओम प्रकाश चौटाला को हाईकोर्ट की इजाजत से पैरोल मिली थी। लोगों को उम्मीद थी कि शायद इस पारिवारिक आयोजन के जरिए परिवार के सभी लोग फिर एक हो जाएं और शायद फिर से पार्टी में जान आ जाए। लेकिन राजनीतिक दूरियां इस आयोजन में पारिवारिक दूरियां बनकर भी सामने आ गईं और परिवार के जो शुभचिंतक शायद किसी अच्छी खबर और परिवार के सभी सदस्यों के एक होने की उम्मीद लगाए हुए थे, उन्हें निराशा हुई और उनकी मुराद पूरी नहीं हो पाई। 
इस बार विधानसभा चुनाव होंगे रोचक
  हरियाणा विधानसभा चुनाव घोषित होने में मात्र चंद हफ्ते शेष रह गए हैं और विभिन्न राजनीतिक दलों ने अभी से चुनाव के लिए पूरी कमर कस ली है। भाजपा के चुनावी अभियान को शुरू करने के लिए खुद मुख्यमंत्री रथ में सवार होकर पूरे प्रदेश का दौरा करेंगे और पार्टी कार्यकर्त्ताओं में विधानसभा चुनाव के लिए जोश और उत्साह भरने का काम करेंगे। इसके लिए पार्टी ने पूरी तैयारी कर ली है। दूसरी तरफ कांग्रेस कार्यकर्त्ता अभी नेताओं के मुंह की तरफ देख रहे हैं और पार्टी के नेता कांग्रेस आलाकमान में आई अनिश्चितता खत्म होने की इंतजार में हैं। इधर इनेलो, जेजेपी, बसपा, आम आदमी पार्टी, एलएसपी पहले ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं और अब स्वराज इंडिया पार्टी भी सबसे पहले उम्मीदवारों का ऐलान करते हुए चुनाव मैदान में कूद गई है। जहां अन्य पार्टियां प्रदेश में सरकार बनाने के दावे कर रही हैं और भाजपा प्रदेश की 90 में से 75 से ज्यादा सीटें जीतने का दम भर रही है, वहीं स्वराज इंडिया ने मात्र इतना ही दावा किया है कि उनकी पार्टी प्रदेश की राजनीति में खाली हुए विपक्ष के स्थान की रिक्तता को भरने और दमदार प्रतिपक्ष का स्थान ग्रहण करने के लिए ही राजनीति में आई है। पिछले लोकसभा चुनाव में हरियाणा में जेजेपी और ‘आप’ ने तथा बसपा व एलएसपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। चुनाव के बाद बसपा व एलएसपी के रास्ते अलग-अलग हो गए। दूसरी तरफ ‘आप’ और जजपा ने अभी तक विधानसभा के लिए किसी गठबंधन का ऐलान नहीं किया है और दोनों पार्टियां अपने-अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारियों में लगी हुई हैं। हरियाणा का चुनावी दृश्य क्या होगा, यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन फिलहाल भाजपा काफी हौसले में नजर आ रही है और अन्य पार्टियां भाजपा का मुकाबला करने के लिए अपने-अपने दम पर तैयारियों में जुटी हुई हैं।