युवा पीढ़ी में बढ़ती विदेश जाने की होड़

शौहरत, मुकाम, कामयाबी ये ऐसे अल्फाज़ हैं, जिन्होंने हर बार रिश्तों को ताक पर रख और अपनों के प्यार को दरकिनार कर डॉलरों को कमाने की भागदौड़ में ज़िंदगी के कीमती लम्हे गंवा दिए। जी हां, विदेश जाने के नाम पर हम सही गलत की सारी सीमाएं लांघ जाते हैं। मन में यही चाह रहती है कि विदेश जाने वाला हमारा अपना किसी भी तरीके से विदेशी धरती पर अपना घर बना ले और हमें भी वहां बुला ले। पर इस अंधी दौड़ में आज हम कितने अजीज़ों को गंवा चुके हैं, जिनको हमारी भीगी पलकें यदा-कदा याद करती ही रहती हैं।आए दिन खबरों में सुनने को मिलता है कि गैर-कानूनी ढंग से विदेश जाते युवकों को पकड़ा गया, जाली दस्तावेज़ व पासपोर्ट बरामद, एजेंट फरार, लाखों की ठगी करने वाला एजेंट पुलिस रिमांड पर, विदेशी कम्पनी में नौकरी का झांसा देने वाला पकड़ा गया, छिप कर विदेश जाते युवक हुए हादसे का शिकार... आए दिन ऐसी खबरों से अखबारें भरी रहती हैं। पर बाद में उस एजेंट, नौजवान व उसके घर वालों का क्या हुआ कोई नहीं जानता।  विदेश जाने की चाह रखते युवक को जब उसका पिता अपनी ज़मीन गिरवी रख, मां अपने जेवर बेच कर व बहन अपनी शादी की तारीख बढ़ाकर रुखसत करते हैं तो उसके साथ कई ज़िम्मेदारियां, भावनाएं व ज़िंदगियां जुड़ी होती हैं। पर जब यही युवक किसी गलत एजेंट के चंगुल में फंस कर सारी धनराशि के साथ-साथ अपनी जान भी गंवा देता है, तो घर वालों पर कहर टूट पड़ता है। 
कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ भारतीय लोग जान जोखिम में डाल कर अमरीका की सीमा ़गैर कानूनी ढंग से पार कर रहे हैं। इससे बड़ी त्रासदी और क्या हो सकती है? विदेशी चकाचौंध में फंसे हमारे देश और खास तौर पर पंजाब के लोगों से मैं यही कहना चाहती हूं कि विदेश में कोई डॉलरों का पेड़ नहीं लगा जहां जाते ही आप डॉलर तोड़ोगे और कच्चे घर को शानदार हवेली में तबदील कर दोगे। वहां भी जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ती है, तब जाकर दो पैसे कमाये जाते हैं। विदेश जाकर मज़दूरी व सफाई तक करते युवक अपने घरों में खेती करने को निम्न कार्य समझते हैं व शर्म महसूस करते हैं। यहां चाहे खेतों में मज़दूरों से काम करवाना हो तो उससे भी गुरेज हैं पर बाहर खुद मज़दूरी करके खुद पर गर्व महसूस करते हैं। बाप बूढ़ा होकर ऐड़ियां रगड़ कर ज़िंदगी काटता है, पर इकलौता बेटा विदेशी मिट्टी के मोहजाल में फंसा उसे अग्निभेंट कर चलता बनता है। अक्सर लोग विदेश भेजे बेटे का व्याख्यान यूं सीना तान कर करते हैं जैसे वह बार्डर पर युद्ध लड़ने गया हो। और जब मां की टूटती सांसों तक भी वह पहुंच नहीं पाता तो इसका दर्द उस मां के साथ ही दम तोड़ देता है। आज डॉलरों की चकाचौंध में अंधी हमारी नौजवान पीढ़ी धड़ाधड़ गैर-कानूनी रास्ते अपनाकर बाहर भाग रही है, पर अक्सर साठ-सत्तर युवकों का इकट्ठे नाव पलटने से मारे जाना, गैर-कानूनी ढंग से विदेश में पकड़े जाना या फिर नशे की लत में खून-खराबा कर देना हमारे पंजाब को लगातार मोहताजी की ओर ले जा रहा है। इसको नकेल डालने के लिए सबसे पहले झूठे दिलासे व सपने दिखाने वाले ट्रैवल एजेंटों को रास्ते पर लाना पड़ेगा। कानून को अपने आप में बदलाव करते उन एजेंटों पर नकेल कसनी होगी, जिनका आधार ही झूठा है। यह एजेंट शीशे से बने कमरों में ए.सी लगाकर, सूट-बूट पहनकर गांव के सीधे सादे व भोले-भाले लोगों को अपनी बातों की चाश्नी में फंसा लेते हैं और वह भी इस चकाचौंध में चुधिंयाए सिर्फ वही करने लगते हैं, जो एजेंट कहता है। नौजवानों को खासकर युवा पीढ़ी को इस तरफ खासा ध्यान देकर इस चोर बाज़ारी को बंद करवाने की मुहिम छेड़नी होगी। तभी धोखाधड़ी से अपने महल खड़े करते इन एजेंटों को अपने किए पर पछतावा होगा। नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब एक तरफ नशा और दूसरी तरफ एजेंट हमारी युवा पीढ़ी को खात्मे के कगार पर ला खड़ा कर देंगे।