ट्रम्प की विश्वसनीयता पर लगता प्रश्न-चिन्ह

विश्व के सर्वशक्तिमान देश के प्रमुख राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प वैसे तो अपने विवादित बयानों को लेकर पहले भी सुर्खियां बटोरते रहे हैं। उनसे जुड़े कई किस्से ऐसे भी हैं जो उन्हें वैचारिक रूप से नस्लवादी साबित करते हैं। कुछ दिन पूर्व ट्रम्प की आप्रवासन नीतियों पर हुई एक चर्चा के दौरान आप्रवासी पृष्ठभूमि से आने वाली विपक्षी डेमोक्रेट पार्टी की चार महिला सांसदों ने ट्रम्प की आप्रवासन नीतियों पर सवाल उठाए थे। इन महिला सांसदों का सवाल उठाना ट्रम्प को इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने उन चार महिला सांसदों से यहां तक कह दिया कि ‘उन्हें अगर इतनी ही तकलीफ है तो वो अमरीका छोड़ वहीं चली जाएं, जहां से वो आई हैं’। इल्हान ओमर, राशिदा तालिब, अलेक्सांद्रिया ओकासियो कोर्तेज और आयाना प्रेस्ले नाम की ये चार महिलाएं गत वर्ष नवंबर महीने में अमरीका में सांसद चुनी गईं थीं। इतना ही नहीं बल्कि अपनी लोकप्रियता के चलते इन सभी महिलाओं ने अपनी-अपनी जीत से एक नया इतिहास भी बनाया है। इन महिलाओं को अपमानित करने के लिए ट्रम्प ने कहा कि ये महिला सांसद जिन देशों से संबंध  रखती हैं, वहां की सरकारों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं जबकि अमरीका दुनिया में सबसे महान देश है। राष्ट्रपति ट्रम्प की इस नस्लीय टिप्पणी के बाद अमरीका की प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की निंदा का प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव में राष्ट्रपति ट्रम्प की उस टिप्पणी को नस्लवादी बताते हुए कहा गया है कि यह नए अमरीकियों के भय और नफरत को वैध करार देता है। ट्रम्प की निंदा के प्रस्ताव के पक्ष में 235 डेमोक्रेटिक सांसदों के अलावा चार रिपब्लिकन और एक निर्दलीय सांसद ने भी वोट किया। इस प्रस्ताव का पारित हो जाना इस बात का सुबूत है कि प्रतिनिधि सभा के बहुसंख्य सदस्यों ने ट्रम्प के विरुद्ध आए निंदा प्रस्ताव पर अपना समर्थन जताया है। पूरे अमरीका में राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के चार महिला सांसदों पर किए गए ट्विटर हमले की व्यापक आलोचना हो रही है और लोग उन्हें नस्लवादी कह रहे हैं। ट्रम्प केवल नस्लवादी ही नहीं हैं बल्कि वे अमरीका के पहले ऐसे राष्ट्रपति भी बन चुके हैं जो झूठ गढ़ने और बोलने में बड़ी महारत रखते हैं। वे न सिर्फ कई बार झूठ बोल चुके हैं बल्कि उन्होंने कई बार ऐसे दावे भी किये हैं जो गुमराह करने वाले हैं।  अमरीकी समाचार पत्र अक्सर ट्रम्प की झूठ की पोल खोलते रहते हैं। अमरीका के प्रतिष्ठित अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने कई बार ट्रम्प के झूठ को पकड़ा है। वॉशिंगटन पोस्ट के ही फैक्ट चेकर्स डेटाबेस के मुताबिक डोनाल्ड ट्रम्प अमरीका के राष्ट्रपति बनने के बाद अब तक 10 हज़ार 796 बार झूठ बोल चुके हैं। अपने कार्यकाल के 869 दिन तक ट्रम्प ने 10 हज़ार 796 बार झूठ बोला और गुमराह करने वाले अनेकानेक दावे किए। वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार राष्ट्रपति ट्रम्प ने औसतन प्रतिदिन 12 बार झूठ बोले हैं। पिछले दिनों कश्मीर के सन्दर्भ में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेते हुए ट्रम्प ने एक ऐसा महाझूठ बोला जो कि दशकों से चली आ रही भारत की कश्मीर नीति के बिल्कुल विरुद्ध था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मौजूदगी में एक अमरीकी पत्रकार द्वारा कश्मीर के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कहा था कि वो (ट्रम्प) मध्यस्थता करना चाहेंगे। मैंने (ट्रम्प) पूछा कहां, मोदी ने कहा कश्मीर में। हमने कहा, क्यों नहीं? कश्मीर विवाद के निपटारे में मदद करने और मध्यस्थता करने में उन्हें खुशी होगी। ट्रम्प ने कहा था कि यदि भारत और पाकिस्तान अनुरोध करते हैं तो वह कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए तैयार हैं। भारत ने ट्रम्प के इस बयान को तत्काल खारिज कर दिया और भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमरीकी राष्ट्रपति से इस तरह का कोई अनुरोध नहीं किया है। ट्रम्प के कश्मीर संबंधी इस झूठ पर डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद ब्रैड शेरमैन ने सवाल उठाते हुए कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसी बात कभी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि दक्षिण एशिया की विदेश नीति के जानकार इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि कश्मीर मसले में भारत लगातार तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का विरोध करता रहा है। उन्होंने ट्रम्प के बयान को भ्रामक और शर्मिंदा करने वाला बताया। इतना ही नहीं उन्होंने इस बयान को लेकर अमरीकी राष्ट्रपति की तरफ से माफी तक मांगी है। परन्तु स्वयं राष्ट्रपति ट्रम्प या व्हाइट हाऊस की ओर से ट्रम्प के इस बयान का अभी तक न तो कोई खंडन किया गया है न ही किसी प्रकार का संशोधन या स्पष्टीकरण दिया गया है।