पेड़ों के बिना असम्भव है हमारा जीवन

यह नहीं कि भारत में वनों और वृक्षों के महत्त्व को नहीं समझा गया। किसी वृक्ष के लिए एक पौधा बीजना भारतीय शास्त्रों में बहुत बड़ा पुण्य माना जाता था लेकिन यह समझ अर्थ लोलुप व्यापारियों की भेंट चढ़ गई। देखते ही देखते हरियाली गायब हो गई और पत्थरों के  शहर उभरने लगे जो पर्यावरण, मौसम और आम आदमी के भाग्य का बखिया उधेड़ रहे थे। आज़ादी के प्रारंभिक वर्षों में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने मानवता के साथ घटित होते हुए इस दुर्भाग्य को समझा, और देश के जन-जन को पेड़ लगाने का आह्वान किया। वर्ष में एक सप्ताह वनमहोत्सव मनाया जाता। ज़िलाधीश ज़िला स्तर पर मुफ्त पौधे बांटते। पौधे लगते, लेकिन उचित देखभाल के अभाव में असमय मर जाते। वनमहोत्सव का सरकारीकरण हुआ तो वह अपनी आभा खो बैठा। हरियाली देश से रूठ गई और मौसम के अतिरेक में बीमारी, सूखे और कम उपज के साये मंडराने लगे। आज के आधुनिक समय में जनसंख्या वृद्धि के साथ जंगलों का विनाश बढ़ गया है। लोग नहीं जानते कि पेड़ हमारी जिंदगी हैं। पेड़ों से हमें जीवनदायिनी हवा (ऑक्सीजन) मिलती है। पेड़ों और जंगलों से हम अपनी काफी ज़रूरतों को पूरा कर पाते हैं। जंगलों के ही कारण बारिश होती है लेकिन तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या के कारण मानव अपनी जरूरतों के लिए अंधाधुंध जंगलों का विनाश कर रहा है। यही कारण है कि आज जंगलों का अस्तित्व खतरे में है। नतीजतन मानव जीवन खतरे में भी है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में हर साल 1 करोड़ हैक्टेयर इलाके के वन काटे जाते हैं। अकेले भारत में 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले जंगल कट रहे हैं। शहरीकरण का दबाव, बढ़ती आबादी और तेजी से विकास की भूख ने हमें हरी-भरी जिंदगी से वंचित कर दिया है। जंगलों में पेड़ों को अवैध रूप से काटा जाता है। एक ओर सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है वहीं दूसरी ओर लकड़ी के माफिया जंगलों में दिन रात पेड़ काट रहे हैं। पेड़ हमारे जीवन का अस्तित्व हैं। पेड़ों के बिना धरती पर जीवन की कल्पना करना असंभव है। ये धरती पर अमूल्य सम्पदा के समान हैं। पेड़ों के कारण ही मनुष्य को अपनी आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के संसाधन प्राप्त होते हैं। यदि पेड़ न हों तो पर्यावरण का संतुलन ही बिगड़ जाये और सब ओर तबाही मच जाये। आजकल मनुष्य विकास के नाम पर कंकरीट के जंगल बना रहा है और वे भी इस प्राकृतिक सम्पदा की कीमत पर। यदि पेड़ काटने के साथ-साथ इनका रोपण न किया गया तो इस ग्रह पर जीवन की संभावनाएं ही खत्म हो जायेंगी। विकल्प उपलब्ध नहीं है। पेड़ हमारा सबसे घनिष्ठ मित्र है। हमारे द्वारा लगाया गया पेड़ सिर्फ  हमें ही लाभ नहीं पहुंचाता बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों को लाभ पहुंचाता है। हवा, पानी, खान-पीने की सामग्री, ईंधन, वस्त्र, जानवरों का चारा अन्य कार्यों में प्रयोग करने के लिए लकड़ी सब हमें पेड़ों से ही मिलता है। पेड़ पर्यावरण से कार्बन डाईऑक्साईड लेकर बदले में ऑक्सीजन देते हैं। पेड़ों पर कई जीव-जन्तु अपना घर बनाते हैं। यदि पेड़ न हों तो हम इन सब चीजों की कल्पना तक नहीं कर सकते। लेकिन क्या मनुष्य इस प्राकृतिक संसाधन से अपना लाभ लेना ही जानता है या वह इसके संरक्षण और संवर्द्धन की ओर भी जागरुक है। वर्तमान की स्थिति देखकर ऐसा लगता है कि हम पेड़ों को बचाना तो चाहते हैं पर शायद उतना प्रयास नहीं कर पा रहे हैं जितना आवश्यक है। ऐसी परिस्थिति में धीरे-धीरे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता जायेगा और हम प्रकृति की इस अमूल्य सम्पदा को और धीरे-धीरे अन्य प्रजातियों को लुप्त कर देंगे। इस प्रकार इस धरती पर न जीवन होगा न जीव। आजकल लोगों को वायु प्रदूषण के कारण कई प्रकार के सांस के एवं अन्य रोगों से पीड़ित होना पड़ रहा है। यदि पेड़ होंगे तो हवा में मिली हानिकारक गैसों को शोषित कर हमें स्वच्छ हवा प्रदान करेंगे और रोगों से छुटकारा भी। यदि हम पेड़ों की संख्या में वृद्धि करेंगे तो ये प्राकृतिक रुप से हवा को स्वच्छ करने के साथ हमें और भी कई फायदे पहुंचायेंगे। पेड़ एयर कंडीशनर से निकलने वाली हानिकारक गैसों से भी निजात दिलाते हैं। खासकर हमें जड़ी-बूटियों से संबंधित और नीम, बरगद तथा पीपल आदि के पेड़ लगाने चाहिए।पेड़ों के कारण ही हमें भरपूर वर्षा प्राप्त होती है। पेड़ की जड़ें मिट्टी को बांध कर रखती हैं जिनसे भूमि कटाव भी नहीं होता व भूमि जल को अच्छे  से अवशोषित कर लेती है। यही जल भूमिगत जल बनकर हमें मनुष्य में पानी के अभाव से बचाता है। पेड़ हमें छाया प्रदान कर गर्मी के प्रभाव से भी धरती को बचाते हैं। इस अमूल्य सम्पदा की कमी से धरती पर ग्लोबल वार्मिंग, सूखा, भूमि कटाव जैसी समस्याएं अपना विकराल रूप लेती जा रही हैं। यदि हम इस प्राकृतिक आपदाओं से बचना चाहते हैं तो हमें पेड़ों के संरक्षण की ओर कदम उठाने ही होंगे। यदि आज हम इस दिशा में कार्य करेंगे तभी भावी पीढ़ी को भी इस ओर काम करने की प्रेरणा मिलेगी।  हम पौधारोपण और पेड़ों का संरक्षण करें तो ये सिर्फ  हमारे जान-पहचान वालों के लिए ही नहीं बल्कि मनुष्य के लिए भी खुशी का संकेत होगी। एक जिम्मेदार नागरिक बनकर हमें यह सुनिश्चित करना चाहिये कि यदि विकास के नाम पर पेड़ कट रहे हैं तो उनकी क्षतिपूर्ति हेतु कहां पौधारोपण हो रहा है। ईश्वर ने मनुष्य को ही बुद्धि, विवेक का गुण प्रदान किया है। यदि इस बुद्धि का प्रयोग हम विकास के नाम पर प्रकृति को नुकसान पहुंचाने में करते रहे तो यह मनुष्य के विवेक पर धब्बा होगा। अत: आओ, हम सब मिलकर संकल्प लें कि हम अपने लिए ही नहीं बल्कि पूरी प्रकृति के लिए पेड़ों के संरक्षण पर कार्य करेंगे और इस धरा को हरा-भरा करेंगे।