बड़े पैमाने पर बांग्लादेश से क्यों गायब हो रहे हैं हिन्दू ?

आममतौर पर जब हम दुनिया में अल्पसंख्यकों के रूप में हिंदुओं की समस्या को देखते हैं तो हमें सिर्फ  पाकिस्तान नजर आता है और पाकिस्तान में हिंदुओं की दुर्दशा पर हमारे यहां खूब खुलकर लिखा और बोला भी जाता है। लेकिन पता नहीं क्यों बांग्लादेश को हम भूल जाते हैं, जहां हिंदुओं के विरूद्ध वैसी ही कट्टरपंथी स्थिति है जैसे पाकिस्तान में। आखिर पिछले एक दशक में बड़े पैमाने पर बांग्लादेश से हिंदू क्यों और कैसे गायब हो गये? निश्चित रूप से इसकी वजह यही है कि कट्टरपंथियों के कारण उनका बांग्लादेश में जीना मुहाल है। मगर शेख हसीना से संबंध मधुर बनाये रखने के लिए नई दिल्ली की तमाम सरकारें इन हिंदुओं की परेशानियों की अनदेखी कर रही हैं। बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन को स्वीडन ने नागरिक का दर्जा दे रखा है, मगर उन्हें भारत में रहना अधिक भाता है। इस बार उनके रेजिडेंट परमिट को गृह मंत्रालय ने एक साल के वास्ते बढ़ा दिया है। जुलाई 2020 तक उन्हें भारत में रहने के वास्ते ‘रेजिडेंट परमिट’ मिल गया है। जीवन के 56 बसंत देख चुकीं तस्लीमा नसरीन बांग्लादेश अब भी नहीं जाना चाहतीं, ऐसा वह गाहे-बगाहे अपनी प्रतिक्रिया में व्यक्त करती रही हैं। 2010 से तस्लीमा नसरीन भारत में हैं। स्थाई नागरिकता के लिए कब से अप्लाई कर रखा है, मगर लगता है उन्होंने किस्तों में समय काटने की आदत अब डाल ली है। तस्लीमा नसरीन ने जिन हालात में अपने जन्म स्थान मैमन सिंह को 1994 में छोड़ा था, 25 साल बाद भी यह शहर बदला नहीं है। ढाका यहां से मात्र 120 किलोमीटर की दूरी पर है, मगर कठमुल्लापन कमतर होने का नाम नहीं ले रहा है। सवाल यह है कि शेख हसीना को शासन में रहते 20 साल से अधिक हो गये, फिर भी बांग्लादेश का मानस बदला क्यों नहीं? एक नाम अभी सामने आया है, प्रिया साहा। ये बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके अच्छे दिन के वास्ते निरंतर लड़ाई लड़ रही हैं। उनकी संस्था का नाम है, ‘बांग्लादेश हिंदू, बुद्धिस्ट, क्रिश्चियन यूनिटी कौंसिल’, (एचबीसीयूसी)। 19 जुलाई 2019 को प्रिया साहा व्हाइट हाउस में थीं। उन्होंने उस मुलाकात में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जानकारी दी कि अल्पसंख्यक समूह के 37 मिलियन (तीन करोड़ 70 लाख) लोग बांग्लादेश से विलुप्त हो गये हैं।  प्रिया साहा के कहने का आशय यह था कि ये लोग या तो पलायन के वास्ते विवश हो गये या भगा दिये गये। वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू डॉट कॉम की साइट के अनुसार, 19 जुलाई 2019 को बांग्लादेश की आबादी 16 करोड़ 31 लाख थी। खैर, प्रिया साहा का वीडियो तेजी से वायरल हुआ और उतनी ही तेजी से बांग्लादेश के परिवहन मंत्री व अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादर ने प्रतिक्रिया दी। कादर ने कहा कि प्रिया साहा ने गलतबयानी की है, इस वास्ते उसके विरूद्व देशद्रोह का मामला चलाया जायेगा।  प्रिया साहा के अनुसार, बांग्लादेश से तीन करोड़ 70 लाख लोग विलुप्त हुए हैं, तो उनमें निश्चित रूप से हिन्दुओं की संख्या अधिक मानी जाएगी। यह विषय ट्रंप से अधिक भारतीय जनता पार्टी और उसकी अनुषंगी संस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण है। सवाल यह है कि भारत सरकार बांग्लादेश में निरंतर घटती जा रही हिंदू आबादी से मुंह क्यों फेर रही है? 2011 की जनगणना पर ध्यान दीजिए, तो बांग्लादेश में हिंदू साढ़े आठ फीसद रह गये थे। यदि प्रिया साहा की सूचनाएं अपनी जगह दुरूस्त हैं, तो बांग्लादेश में हिंदू आबादी का दो-तीन प्रतिशत और घटना तय मानिये।
हम गाहे-बगाहे पाकिस्तान में हिन्दुओं की कम होती संख्या को बड़ा विषय बनाते हैं, मगर बांग्लादेश की बात जब आती है, तो चुप लगा जाते हैं। उसकी एक बड़ी वजह शेख हसीना से संबंधों को बनाये रखना भी रहा है। हिंदू आबादी के कारण बांग्लादेश से हमारा बेटी-रोटी का संबंध रहा है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को बांग्लादेश में लोग बड़े प्यार से ‘दादाबाबू’ बुलाते हैं। भारत-बांग्लादेश के बीच 4096.7 किलोमीटर लंबी सीमा चुनौतियों से भरी है। इसमें 1116.02 किलोमीटर सीमा नदियों से लगी है। भारत-बांग्लादेश की सीमाएं बंगाल, त्रिपुरा, असम और मेघालय को छूती हैं। 31 जुलाई 2015 को दोनों देशों के नागरिकों ने इंक्लेव (चित्तोमहल) का आदान-प्रदान किया, जिसमें भारत के 102 और बांग्लादेश के 71 इंक्लेव थे। इंक्लेव में उभयपक्षीय देशों के नागरिकों की आखिरी बसावट 30 नवंबर 2015 को संपन्न हो गई। यह मोदी सरकार पार्ट वन की बड़ी उपलब्धियों में से एक थी, जिसकी कोशिशें 1974 के बाद कई सरकारों ने की थीं। 7 मई 2015 को संविधान के 100वें संशोधन के बाद इसका मार्ग प्रशस्त हुआ। इससे यह नहीं मान लेना चाहिए कि भारत सुरक्षा चिंता से मुक्त है। सबसे बड़ी चिंता वहां से पलायन कर रही हिंदू आबादी है। आबादी के लिहाज से देखें, तो बांग्लादेश, नेपाल और भारत के बाद दुनिया का तीसरा देश है, जहां हिंदुओं की बड़ी संख्या है। बांग्लादेश ब्यूरो ऑफ  स्टैटिस्टिक (बीबीएस) के अनुसार, ‘2015 तक इस देश में एक करोड़ 70 लाख हिंदू थे।’ प्रिया साहा ने जिस विषय को प्रेसिडेंट ट्रंप के समक्ष उठाया है, उसकी गहराई से छानबीन की आवश्यकता है। अमरीका की इसमें क्या दिलचस्पी हो सकती है, उसकी तह में हमें जाना चाहिए। क्या अमरीका दक्षिण एशिया की हिंदू आबादी को भू-राजनीतिक दृष्टि से देख रहा है? इस विषय को कम से कम भारत सरकार के स्तर पर समझने की आवश्यकता है!

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