सब रिश्तों से ऊपर होती है दोस्ती

दोस्तीज़िंदगी में सबसे अधिक प्रिय लोगों से ही होती है, जिनके साथ हम अपनी भावनाओं, समस्याओं, खुशियों,  गमों आदि को सांझा करते हैं। एक-दूसरे को समझने, प्यार और ईमानदारी के गुण दोस्तों से ही सीखे जाते हैं। दोस्ती दिवस मनाने के लिए एक दिन है। यह दिन कई दक्षिण अमरीकी देशों में काफी लोकप्रिय उत्सव हो गया था जब पहली बार 1958 में पराग्वे में इसे ‘अंतर्राष्ट्रीय दोस्ती दिवस’ के रूप में मनाया गया था। शुरुआत में ग्रीटिंग कार्ड उद्योग द्वारा इसे काफी प्रमोट किया गया, बाद में सोशल नेटवर्किंग साइट्स के द्वारा और इंटरनेट के प्रसार के साथ साथ इसका प्रचलन, विशेष रूप से भारत, बांग्लादेश और मलेशिया में फैल गया। इंटरनेट और सेल फोन जैसे डिजिटल संचार के साधनों ने इस परंपरा को लोकप्रिय बनाने में बेहद मदद की। दोस्ती दिवस मनाने का विचार पहली बार 20 जुलाई 1958 को डा. रामन आर्टिमियो ब्रैको द्वारा प्रस्तावित किया गया था। दोस्तों की इस बैठक में से, वर्ल्ड मैत्री क्रूसेड का जन्म हुआ था। द वर्ल्ड मैत्री क्रूसेड एक ऐसी नींव है जो जाति, रंग या धर्म के बावजूद सभी मनुष्यों के बीच दोस्ती और फैलोशिप को बढ़ावा देती है। आजकल वाट्सएप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया की वजह से ये और प्रसिद्ध हो रहा है। दोस्ती की मिसालें हमारे इतिहास में भरी पड़ी हैं। कृष्ण जी का अपने मित्रों के संग माखन चुराना, महाभारत में भगवान श्री कृष्ण जी की दोस्ती के अनेकों किस्से, भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की लोग आज भी कसमें खाते हैं। दोस्ती का फलसफा भी ऐसा है जिससे मन जुड़ गया, उसी के साथ हर जज़्बात बांटना अच्छा लगता है। हम दोस्तों से बहुत कुछ सीखते हैं, उनकी आदतों से प्रभावित होते हैं और उनकी मंज़िल पा लेने की ललक से खुद में भी वही जोश भरते हैं। वास्तव में दोस्ती लेने का नहीं बल्कि प्यार और सम्मान बांटने का अवसर देती है। दोस्ती के स्वरूप ने हर वर्ग को ही नहीं बल्कि हमारे समाज को भी एक नया चेहरा दिया है। इसे सच्चे दिल से निभाने वाले पीढ़ियों तक इस भावना को तरोताज़ा रखते हैं। मौजूदा समय में जहां दोस्ती ने कई अहम मुकाम हासिल किए हैं, वहीं इसे दर्शाने के लिए ढेरों तरीके मौजूद हैं। दोस्तों को इस दिन उपहार स्वरूप चॉकलेट, कार्ड, टैडी और दोस्ती पर आधारित वॉल पेंटिंग्स ने जहां इसका इज़हार बेहद सरल बना दिया है, वहीं दूसरी ओर अपने दोस्त को महंगे से महंगा उपहार देने की परम्परा ने इसके सही मायनों को खासा धक्का भी लगाया है। यह एक प्यारी-सी अनमोल भावना है, इसे पैसे से तोल कर नहीं बल्कि दो शब्द बोल कर ही व्यक्त कर देने भर से आप उम्र भर की अनमोल दोस्ती पा सकते हैं। आज के दौर में जहां लड़के-लड़की की दोस्ती को समाज ने बहुत हद तक अपना लिया है, वहीं कुछ गलत सोच के युवाओं ने इसे अपने मतलब के लिए इस्तेमाल कर इसकी असली नुहार को ही बदल डाला है। हर त्यौहार और खास दिन से लोगों की भावनाएं जुड़ी होती हैं। हमारी कोशिश यही होनी चाहिए कि हमारे व्यवहार से किसी को ठेस न लगे बल्कि उसे ज़िंदगी का एक नया पहलू नज़र आ सके। मौजूदा समय की फिल्मों ने भी दोस्ती का एक बेढंगा स्वरूप हमें दिखाया है।  इसी के साथ आज दोस्ती और दोस्त को युवाओं ने एक खेल समझ रखा है। पल भर में वह दोस्ती तोड़ देते हैं। जुए, नशे और अपराधों में फंसे वे इस अनमोल दोस्ती को दरकिनार कर देते हैं। यह इतना सरल और प्यारा रिश्ता है जिसे बिना शर्त के ताउम्र निभाया जा सकता है। बस ज़रूरत है ईमानदारी और निष्ठा से इसे संजोने की, क्योंकि रिश्ता कोई भी हो उसमें जब तक प्यार नहीं कुछ भी नहीं। एक विद्वान के कथन अनुसार, ‘दोस्ती सब रिश्तों से ऊपर होती है।’ तो कहिए इस बार आप अपने दोस्त को कौन-सा उपहार दे रहे हैं, अपनी सच्ची दोस्ती का या कीमती गिफ्ट में सज़ा दिखावे का शो पीस। तय आपको करना है।