सुर्खियों का रुख मोड़ देने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र सिंह धोनी

इसी महीने सम्पन्न आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड  कप में जब महेंद्र सिंह धोनी ने अफगानिस्तान के खिलाफ 52 गेंदों में 28 रन बनाये थे, तो क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी खफा हो गये थे, जो आमतौर पर कभी किसी खिलाड़ी के प्रदर्शन पर टिप्पणी नहीं करते, लेकिन धोनी के प्रदर्शन पर उन्होंने नाराजगी के स्वर में कहा था कि मैं उम्मीद करता हूं कि धोनी विश्व कप क्रिकेट के आगामी मैचों में ज्यादा सकारात्मक बैटिंग करेंगे। लेकिन अफगानिस्तान के बाद धोनी ने इंग्लैंड के विरूद्ध भी अपनी धीमी बल्लेबाजी के चलते नकारात्मक सुर्खियां बटोरी। वर्ल्ड कप के 38वें मैच में 1 जुलाई 2019 को धोनी ने हालांकि इस बार 31 गेंदों पर 42 रन बनाये लेकिन जिस तरह से आखिरी ओवर्स में धोनी और केदार जाधव बेहद धीमा खेले, उससे इन दोनों की धीमी बैटिंग की खूब आलोचना हुई। लेकिन इसे दुखद संयोग कहिये या कुछ और कि आईसीसी वर्ल्ड कप-2019 के जिस मैच से भारत प्रतियोगिता से बाहर हुआ, सेमी फाइनल के उस मैच में भी धोनी ने न्यूजीलैंड के खिलाफ  बहुत धीमी बल्लेबाजी की। इस मैच में धोनी 72 गेंदों पर सिर्फ  50 रन बना पाये और आखिरी ओवर में रन आउट हो गये। धोनी के क्रिकेट विश्व कप 2019 में बैटिंग परफार्मेंस से संबंधित इन तथ्यों को यहां रखने का उद्देश्य यह साबित करना नहीं है कि धोनी की बैटिंग में अब जंग लग गई है या कि उनसे अब उस अंदाज की बैटिंग नहीं होती, जैसी बैटिंग के लिए वह जाने जाते हैं। न ही इन तथ्यों के जरिये यह साबित करना है कि अब वह दुनिया के नंबर वन फिनिशर नहीं रहे। हर खिलाड़ी के साथ अपने उतार के दिनों में इस किस्म के दौर आते हैं। जब वह अपने प्रशंसकों की उम्मीद पर खरा नहीं उतरता। लेकिन अगर तुलनात्मक ढंग से देखें तो अभी अभी गुजरे क्रिकेट विश्व कप में धोनी का प्रदर्शन कोई बहुत बुरा नहीं था। माही ने इस वर्ल्ड कप के नौ मैचों में 45-50 की औसत से 297 रन बनाये। यही नहीं, उन्होंने विकेट कीपिंग में भी ठीक ही प्रदर्शन करते हुए 7 कैच लिये और 3 स्टंप किये। बावजूद इसके सच्चाई यही है कि वर्ल्ड कप से जैसे ही भारत का पत्ता कटा, बहुत लोगों की नजर में इसकी एक बड़ी वजह महेंद्र सिंह धोनी थे। यह संयोग नहीं है कि वर्ल्ड कप से बाहर होते ही भारतीय टीम के जिन संभावित खिलाड़ियों को वेस्टइंडीज दौरे के लिए चुना जाना था, उनको लेकर लगातार यह बात आ रही थी कि धोनी उनमें शामिल नहीं हैं। वैसे न तो बीसीसीआई ने ऐसा कोई बयान दिया था और न ही सेलेक्टर कमेटी की तरफ  से ऐसा कोई इशारा आया था। इस सबके बाद भी यह माने जाने के पूरे कारण थे कि ऐसा हो सकता है क्योंकि धोनी के खिलाफ  ऐसा माहौल था। क्रिकेट का करीब-करीब हर स्वयंभू विद्वान दावे से यही कह रहा था कि वेस्टइंडीज जाने वाली टीम में धोनी नहीं होंगे। धोनी पिछले दिनों शायद अपने कॅरियर में पहली बार इस तरह की नकारात्मक सुर्खियों में थे। लेकिन कोई खिलाड़ी किस कदर अपने से संबंधित सुर्खियों का रुख मोड़ सकता है, इसकी जीती जागती मिसाल हैं महेंद्र सिंह धोनी। भारत के लिए 90 टेस्ट मैच और 350 वन डे खेलने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने अपने विरूद्ध बनती इन सुर्खियों का रुख एक ही झटके में यह कहकर मोड़ दिया कि वह आगामी वेस्टंडीज दौरे के लिए उपलब्ध नहीं हैं; क्योंकि इस बीच वह सेना में अपनी सेवाएं देंगे। गौरतलब है कि धोनी को साल 2011 में टेरीटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक दी गई थी। लेकिन वे सिर्फ  मानद आर्मी मैन नहीं हैं। साल 2015 में महेंद्र सिंह धोनी क्वालीफाइड पैराट्रूपर बन गये। वह पैराशूट रेजिमेंट की 106 पैरा टेरीटोरियल आर्मी बटालियन का हिस्सा हैं। 31 जुलाई से लेकर 15 अगस्त 2019 तक महेंद्र सिंह धोनी अपनी इसी बटालियन के साथ कश्मीर में ट्रेनिंग करेंगे। गौरतलब है कि यह यूनिट विक्टर फोर्स का हिस्सा है। धोनी यहां पैट्रोलिंग, गार्ड और पोस्ट की ड्यूटी संभालेंगे। 
कहना न होगा कि धोनी के इस कदर आर्मी में ड्यूटी ज्वाइन करते ही मीडिया की खासकर अखबारों की रातों रात सुर्खियां बदल गईं। इन दिनों वह हर दिन न केवल अखबारों के स्पोर्ट्स पेज में बल्कि पहले और बाकी तमाम दूसरे पेजों में भी अकसर ही दिखते हैं। क्योंकि उन्होंने अपने परफार्मेंस पर उंगली उठाने वाली सुर्खियों को आर्मी ज्वाइन करके अपनी वाहवाही में बदल दिया है। आज शायद ही कोई ऐसा क्रिकेटर हो, किसी भी खेल का खिलाड़ी हो या सेलिब्रिटी जो बार-बार धोनी के इस जज्बे को सैल्यूट न कर रहा हो। जिस धोनी को लेकर लगातार इस तरह की सुर्खियां आ रही थीं कि उन्हें ड्रोप कर दिया जायेगा या वे सन्यांस ले लेंगे वगैरह वगैरह। आज कहीं वैसी सुर्खियां नहीं हैं। आज वर्तमान से लेकर हर पुराना खिलाड़ी सिर्फ  उनकी तारीफ  कर रहा है। वेस्टइंडीज की बजाय सेना में जाना चुनकर धोनी ने अपने कद को कहीं बड़ा कर लिया है। महेंद्र सिंह धोनी जिन्होंने 2007 से लेकर 2016 तक सीमित ओवर के प्रारूप में भारतीय टीम की कप्तानी की थी और 2008 से लेकर 2014 तक टेस्ट क्रिकेट टीम के भी कप्तान थे। उनके हिस्से में इतनी कामयाबियां हैं कि हमेशा उनकी तारीफ  के लिए कुछ न कुछ मैटीरियल निकलता ही रहेगा। लेकिन जिस तरीके से अपने वेस्टइंडीज दौरे को लेकर आ रही नकारात्मक सुर्खियों को उन्होंने सेना की ट्रेनिंग में शामिल होकर एक झटके में पलटा, वह भी उनका एक ऐसा स्मार्ट मूव है, जिसका मुकाबला कोई आम खिलाड़ी नहीं कर सकता। वह इसीलिए इतने चतुर और इतनी तेजी से सोचने वाले कप्तान के रूप में विख्यात हैं क्योंकि वह कभी किसी को अपने संबंध में सटीक अनुमान लगाने की छूट नहीं देते। आर्मी का हिस्सा बनना भी उनका ऐसा ही धीरे से दिया गया जोरदार झटका है। धोनी के सेना में ट्रेनिंग के लिए शामिल होते ही और सेना की वर्दी में तस्वीरें बाहर आते ही वह फिर से सुर्खियों के शहंशाह बन गये हैं। हर जगह उनके जज्बे की तारीफ  हो रही है और उनके देश प्रेम को अनुकरणीय माना जा रहा है।