कैसे बनता है ज्वालामुखी

क्याकभी किसी ने ज्वालामुखी को बनते हुए देखा है?’
‘हां।’
‘कब और कहां?’
‘फरवरी 1943 में मैक्सिको के एक मक्का के खेत में लोगों ने एक अद्भुत नजारा देखा। उन्होंने एक ज्वालामुखी को पैदा होते हुए देखा।’
‘किस तरह से?’
‘अचानक ज़मीन ऊपर को उठने लगी और तीन माह के भीतर लगभग 300 मीटर ऊंचा कोन बन गया। दो शहर नष्ट हो गए और राख व लावे से बहुत बड़ा क्षेत्र बर्बाद हो गया।’
‘यह ज्वालामुखी किस तरह बना?’
‘एक बार मैंने तुम्हें बताया था कि जैसे-जैसे हम पृथ्वी के नीचे जाते हैं तापमान बढ़ता जाता है। लगभग 20 मील की गहराई पर जाने के बाद गर्मी इतनी अधिक हो जाती है कि अधिकतर रॉक्स भी पिघल जाते हैं। जब रॉक्स पिघलते हैं तो वह फैलते हैं और उन्हें अधिक जगह की जरूरत होती है।’
‘तो फिर यह रॉक्स पिघलकर कहां जाते हैं?’
‘संसार के कुछ क्षेत्रों में पहाड़ ऊपर को उठने लगते हैं। यह रॉक्स के पिघलने की वजह से होता है। इन ऊपर उठती पर्वत शृंखलाओं के नीचे दबाव कम हो जाता है और पिघले हुए रॉक्स इनके नीचे जमा हो जाते हैं जिसे मैग्मा कहते हैं।’
‘फिर ज्वालामुखी कैसे फटता है?’
‘यह मैग्मा पर्वत के उठने के साथ ही ऊपर को उठने लगता है। जब मैग्मा के रिजर्वायर में रॉकी छत से अधिक दबाव होता है तो वह ज्वालामुखी के रूप में फट जाता है।’
‘ज्वालामुखी के फटने पर क्या-क्या चीज़ें बाहर आती हैं?
‘गर्म गैसें, लावा या ठोस पदार्थ बाहर निकल आते हैं। यह मैटेरियल ज्वालामुखी के मुंह पर जमा हो जाता है और कोन के आकार का एक ढेर बन जाता है। कोन के ऊपर जो गड्ढा होता है उसे क्रेटर कहते हैं और इसकी ओपनिंग नीचे तक जाती है। कोन ज्वालामुखी की वजह से बनता है। ज्वालामुखी से जो पदार्थ बाहर आता है वह मुख्यत: गैसें होती हैं लेकिन बड़ी मात्रा में लावा और कुछ ठोस पदार्थ भी निकलते हैं जो पटाखों और राख की तरह दिखाई देते हैं।’ ‘लावा क्या होता है?’
‘लावा वास्तव में मैग्मा होता है जिसे ज्वालामुखी बाहर फेंकता है। जब मैग्मा सतह के करीब आता है तो तापमान और दबाव कम हो जाता है। इसलिए भौतिक व रसायनिक परिवर्तन आते हैं और मैग्मा लावा में बदल जाता है।’

(इमेज रिफ्लैक्शन सैंटर)