खजाने में पैसे न होने के कारण उद्योगपतियों का 750 करोड़ से ज्यादा का वैट रिफंड अटका

लुधियाना, 9 अगस्त (पुनीत बावा): पंजाब सरकार के खजाने में पैसे न होने के कारण पंजाब के उद्योगपतियों का 750 करोड़ रुपए से अधिक का वैट रिफंड अधर में है। ओर तो ओर पंजाब सरकार के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री द्वारा 31 जुलाई 2019  तक उद्योगपतियों एवं व्यवसायियों का वैट रिफंड जारी करने का वायदा भी वफा नहीं हुआ। अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के समय का पंजाब के उद्योगपतियों एवं व्यवसायियों का 1 हज़ार करोड़ रुपए के करीब का वैट रिफंड सरकार की ओर बकाया पड़ा था जिसमें से उद्योगपतियों एवं व्यवसायियों को 200 करोड़ रुपए से अधिक का वैट रिफंड मिल गया जबकि शेष वैट रिफंड मिलने के स्थान पर उनको अढ़ाई वर्षों में कोरे आश्वासन ही मिल रहे हैं। जानकारी अनुसार 750 करोड़ रुपए में से अकेले लुधियाना के उद्योगपतियों एवं व्यवसायियों का ही 450 करोड़ रुपए का वैट रिफंड बकाया पड़ा है जबकि शेष 300 करोड़ रुपए से अधिक पूरे पंजाब के उद्योगपतियों एवं व्यवसायियों का वैट रिफंड है। लुधियाना के उद्योगपतियों एवं व्यवसायियों की वैट से संबंधित 156 करोड़ रुपए की फाइलों में से 90 करोड़ रुपए के चालान बनाकर खजाने को भेज दिए गए हैं जबकि शेष 66 करोड़ रुपए के अभी तक चालान नहीं बन सके। इसके अतिरिक्त शेष वैट रिफंड देने के स्थान पर वैट रिफंड देने वाले केसों में कमियां निकाली जा रही हैं और जांच के नाम पर उद्योगपतियों एवं व्यवसायियों को उलझाया जा रहा है। इसी तरीके से पंजाब के अन्य शहरों के उद्योगपतियों एवं व्यवसासियों ने भी करोड़ों रुपए के वैट रिफंड की राशि जारी करने हेतु पैसे खजानों को जारी नहीं किए जा रहे जिस कारण वैट रिफंड के चालान खजाना कार्यालयों में पड़े धूल फांक रहे हैं। फैडरेशन ऑफ पंजाब स्माल इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन (फोसपीया) के प्रधान बरीश जिंदल, फास्टनर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रधान नरिन्द्र भंबरा, पंजाब फास्टर एसोसिएशन के प्रधान राजकुमार सिंगला एवं सिलाई मशीन डिवैल्पमैंट क्लब के प्रधान जगबीर सिंह सोखी ने आज डी.ई.टी.सी. पवन गर्ग के साथ बैठक करके वैट रिफंड का मुद्दा उठाया जिनको भी डी.ई.टी.सी. ने वित्त विभाग द्वारा खजाना कार्यालयों को पैसे न आने की बात कही।