हरियाणा में कांग्रेस का ऊंट किस करवट बैठेगा ?

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 18 अगस्त को रोहतक में महारैली करने की घोषणा की है। इस रैली को सफल बनाने के लिए पहले जहां हुड्डा ने अपने समर्थकों की एक बैठक की, वहीं अब वह हर जिले में जाकर अपने समर्थकों की बैठकें आयोजित कर उन्हें रैली में शामिल होने का न्यौता दे रहे हैं। वह दावा कर रहे हैं कि रैली भीड़ व हाजिरी के लिहाज से अभूतपूर्व होगी और सफलता का एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगी। हुड्डा का यह भी दावा है कि इस महारैली के माध्यम से प्रदेश की भाजपा सरकार को उखाड़ने के लिए लोगों के सामने एक मजबूत विकल्प पेश किया जाएगा और इस महारैली के बाद भाजपा सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी। भूपेंद्र हुड्डा के अगले कदम को लेकर अभी से अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
 कुछ लोगों का मानना है कि भूपेंद्र हुड्डा 17 अगस्त तक कांग्रेस आलाकमान के फैसले का इंतजार करेंगे और अगर हरियाणा के मामले में कांग्रेस आलाकमान ने तब तक भी कोई फैसला न किया तो वह अपने समर्थकों सहित कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। भूपेंद्र हुड्डा के समर्थक पिछले 5 सालों से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर और कांग्रेस विधायक दल की नेता श्रीमति किरण चौधरी को बदलने की मांग करते आ रहे हैं। अब तक वे इस मामले में सफल नहीं हो पाए थे। अब कांग्रेस आलाकमान में बदलाव और राहुल गांधी के स्थान पर सोनिया गांधी को कांग्रेस की कमान मिलने के बाद उन्हें थोड़ी उम्मीद लगने लगी है कि शायद विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस आलाकमान कोई बड़ा कदम उठाते हुए अशोक तंवर की जगह हरियाणा में कांग्रेस की कमान हुड्डा या उनके किसी विश्वासपात्र के हवाले कर दे। हरियाणा में विधानसभा चुनावों की घोषणा किसी भी वक्त हो सकती है। ऐसे में हुड्डा गुट और ज्यादा इंतजार करने की स्थिति में भी नहीं है। कुछेक लोगों का यह भी मानना है कि हुड्डा समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता कांग्रेस की बजाय एनसीपी का दामन थाम कर अगला विधानसभा चुनाव एनसीपी के चुनाव चिन्ह पर लड़ने जैसा फैसला भी ले सकते हैं। अब हुड्डा गुट क्या कदम उठाता है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन एक बात साफ है कि प्रदेश की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति की नजर अब 18 अगस्त को भूपेंद्र हुड्डा व उनके समर्थकों द्वारा उठाए जाने वाले अगले कदम पर लगी हुई है। 
भाजपा द्वारा सिखों पर डोरे
श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर हरियाणा सरकार की ओर से राज्य स्तर पर सिरसा में भव्य आयोजन किया गया। इस आयोजन को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश के मुख्य सचिव तक बेहद सक्रिय रहे। समारोह के बारे में जिस व्यापक स्तर पर तैयारियां की गई थीं, उसी स्तर पर कार्यक्रम बेहद सफल भी रहा और कार्यक्रम में सभी धार्मिक मर्यादाओं, परम्पराओं व पवित्रता का भी विशेष ख्याल रखा गया। 
इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश सरकार राज्य भर के अलग-अलग कोनों में बसे हुए सिख समाज के लोगों को पूरी श्रद्धा के साथ इस आयोजन स्थल तक लाने और आयोजन को सफल बनाने में कामयाब रही। आयोजन की सफलता का मुख्य श्रेय हरियाणा पर्यटन निगम के चेयरमैन जगदीश चोपड़ा जो इस आयोजन के संयोजक भी थे, के साथ-साथ हरियाणा लोक संपर्क विभाग के महानिदेशक समीर पाल सरो को विशेष रूप से जाता है। उन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए न सिर्फ दिन-रात एक किया बल्कि सभी जिलों व छोटे-बड़े  कस्बों में जाकर अधिकारियों के साथ-साथ सिख समाज के प्रतिष्ठित लोगों को समारोह के साथ जोड़ने और इस समारोह का महत्व उन्हें समझाने का काम किया। वैसे जब इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई थी तो इसकी सफलता को लेकर कई तरह के संदेह व्यक्त किए जा रहे थे। सरकार के मंत्रियों व भाजपा के विधायकों और सांसदों से लेकर विभिन्न बोर्ड निगमों के चेयरमैनों ने ग्राउंड स्तर पर बहुत मेहनत से काम किया, जिससे समारोह सफल हो पाया। 
हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार ने इस कार्यक्रम के माध्यम से सिख समाज को अपने करीब लाने के लिए काफी मेहनत की। इस मेहनत का भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में कितना फायदा मिलेगा यह तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल इतना साफ है कि श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर हरियाणा सरकार का आयोजन हर लिहाज से बेहद सफल रहा। 
जेजेपी-बसपा में गठबंधन
हरियाणा में जेजेपी और बसपा के बीच गठबंधन हो गया है। जेजेपी 50 सीटों पर और बसपा 40 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस गठबंधन को जातीय व सामाजिक समीकरणों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पिछले साल जब इनेलो और बसपा में गठबंधन हुआ था तो गठबंधन होते ही प्रदेश में यह हवा चल पड़ी थी कि अब इनेलो-बसपा गठबंधन की सरकार बनने के आसार हो रहे हैं। जींद उपचुनाव के बाद इनेलो प्रत्याशी की करारी हार के बाद यह गठबंधन टूट गया। उसके बाद बसपा ने पूर्व सांसद राज कुमार सैनी की पार्टी एलएसपी से गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़ा। लेकिन यह गठबंधन भी सफल नहीं हो पाया और लोकसभा चुनाव के बाद बीएसपी ने गठबंधन तोड़ दिया। अब जेजेपी और बसपा के बीच गठबंधन हुआ है। 1998 में इनेलो व बसपा ने मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था। उस समय इनेलो-बसपा गठबंधन को 5 सीटें मिली थीं। जबकि बाकी की 5 सीटें कांग्रेस, भाजपा व हविपा में बंट गई थीं। उस समय गठबंधन ज्यादा देर तक चल नहीं पाया था। जींद उपचुनाव में इनेलो से अलग होकर चुनाव लड़ने जेजेपी को अच्छे-खासे वोट मिले थे और पार्टी भाजपा के मुकाबले दूसरे स्थान पर रही थी। उस चुनाव में कांग्रेस तीसरे, एलएसपी चौथे और इनेलो पांचवें स्थान पर रही थी। अब विधानसभा चुनाव से पहले हुआ यह गठबंधन कितना कारगर साबित होता है, यह तो वक्त बताएगा लेकिन यह गठबंधन कांग्रेस का समीकरण जरूर बिगाड़ सकता है।
चौटाला की पत्नी का निधन
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला की पत्नी स्नेहलता चौटाला का रविवार देर रात निधन हो गया। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रही थीं। 81 वर्षीय श्रीमति स्नेहलता के निधन से चौटाला परिवार को एक और गहरा सदमा लगा है।
 पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला व उनके बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला जेबीटी भर्ती मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में 10-10 साल की सजा काट रहे हैं। सोमवार को श्रीमति स्नेहलता चौटाला की चिता को मुखाग्नि देने के लिए जहां उनके ज्येष्ठ पुत्र अजय चौटाला दो हफ्ते की पैरोल पर जेल से आए, वहीं पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला भी अपनी पत्नी के निधन पर अपने गांव पहुंचे। अंतिम संस्कार के मौके स्नेहलता के दोनों बेटों अजय चौटाला व अभय चौटाला ने सभी विधि व रीति निभाईं और अपनी माता की अर्थी को कंधा दिया। कंधा देने वालों में अजय चौटाला व अभय चौटाला के अलावा उनके बेटे दुष्यंत चौटाला, दिग्विजय और करण-अर्जुन चौटाला व पूर्व सीएम के भतीजे रवि चौटाला सहित परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे। 
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