370 निरस्त करना  समय की मांग थी : वेंकैया

चंडीगढ़ 14 अगस्त, (पठानिया): उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू ने यहां पंजाब यूनिवर्सिटी में कहा धारा-370 को निरस्त करना देश के लिए जरूरी था। उन्होनें कहा कि इस बात में कोई दो राय नहीं होनी चाहिए क्यांकि यह समय की मांग थी। उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू जोकि पंजाब युनिवर्सिटी के चासंलर भी हैं आज पी.यू के लॉ ऑडिटोरिय में करवाए गए बलरामजी दास टंडन मैमोरियल लैक्चर में बतौर मुख्य मेहमान के रूप में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि धारा-370 एक अस्थाई प्रबंध था, संसद में पंडित नेहरू का जिक्र करते उन्होनें बताया कि 27 नंवबर 1963 में धारा-370 को समाप्त करने के मुद्दे पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने स्वंय कहा था कि धारा 370 के वल अस्थाई प्रबंध है। यह सविंधान का स्थाई भाग नहीं है।
उन्होंने कहा कि धारा-370 के निरस्त होने का देश भर में स्वागत हुआ है। उन्होंने कहा ये मसला देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा का है। परन्तु पश्चिमी मीडिया का एक वर्ग इस विषय में भारत विरोध भ्रामक प्रचार फैला रहा है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से कहा कि आज हम बढ़ती आकांक्षाओं और रोज बदलती संभावनाओं के युग में रह रहे हैं। जनप्रतिनिधियों से जनअपेक्षाएं भी बढ़ी है। लेकिन क्या हम उन आकांक्षाओं के साथ न्याय कर पा रहे हैं? उपराष्ट्रपति ने कहा कि जनप्रतिनिधियों का दायित्व है कि वे लोकतांत्रिक मर्यादाओं और आस्थाओं को और दृढ़ करें। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं सदैव एक तत्पर और सक्षम प्रशासन, न्यायिक सुधारों और सांसद एवं विधाई निकायों सार्थक सकारात्मक बहस का आग्रह करता रहा हूं। 
इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनोर, केंद्रीय मंत्री, सोम प्रकाश, पंजाब और हरियाणा सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों तथा पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजकुमार सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। बलराम जी दास टंडन राजनेताओं के लिए रोल मॉडल : एम. वैंकेया नायडू ने कहा कि अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में, टंडन जी ने निस्वार्थ राष्ट्र सेवा, निष्ठापूर्ण समाज सेवा के प्रमाणिक मानदंड स्थापित किये जो जनप्रतिनिधियों और सामाजिक, राजनैतिक कार्यकर्त्ताओं की वर्तमान पीढ़ी के लिये आज भी उतने ही अनुकरणीय हैं। नायडू ने कहा कि जनता हमसे अपेक्षा करती है कि हम उन मानदंडों का अनुसरण करें जो टंडन जी जैसे विभूतियों ने सार्वजनिक जीवन में स्थापित किये।