प्रधानमंत्री के भाषण का महत्व

लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भाषण महत्वपूर्ण था। यह मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल है। इसलिए उन्होंने इस भाषण में एक ढंग से अपनी पूर्व सरकार की उपलब्धियों का भी उल्लेख किया है। उन्होंने देश में गत समय के दौरान बनाए अधिक से अधिक शौचालयों की बात की, घर-घर में बिजली पहुंचाने की बात की, आम और गरीब वर्गों के खोले गए बैंक खातों की बात की, इसके साथ-साथ उन्होंने देश को दरपेश अनेक समस्याओं पर भी बात की। इसमें जी.एस.टी. जैसे आर्थिक मुद्दे भी शामिल थे, महंगाई और विकास दर की बात भी थी। उन्होंने स्वच्छता की बात भी की, प्लास्टिक के थैलों के स्थान पर कपड़े के थैले इस्तेमाल करने और मोबाइल फोन की बात भी की। इसके साथ-साथ रासायनिक खादों को कम इस्तेमाल करने, स्वास्थ्य केन्द्रों और छोड़े गए चन्द्रयान की बात करते हुए अंत में उन्होंने यह कहा कि हमारे लक्ष्य हिमालय जितने ऊंचे हैं और हमारे सपने असंख्य सितारों से भी ज्यादा है। उनके भाषण में देश को दरपेश छोटे से छोटे मामलों से लेकर बड़े से बड़े मामलों का उल्लेख था। इस सब कुछ के साथ-साथ हम उनके द्वारा उठाये गये तीन अहम मामलों की बात पर प्राथमिकता के आधार पर चर्चा करना चाहेंगे। अपने पिछले समूचे कार्यकाल में श्री मोदी ने किसानों की आमदनी को दुगुना करने की बात की। नि:संदेह गत दिनों कुछ आवश्यक खाद्य वस्तुओं के खरीद मूल्य बढ़ाये गये परन्तु इस क्षेत्र पर समूची दृष्टि डालने के बाद यह एहसास अवश्य होता है कि अभी इस संबंध में बहुत कुछ किया जाना शेष है। अभी भी देश का बड़ी संख्या में किसान बेचैन नज़र आता है, उसकी खिसकती अर्थव्यवस्था को आश्रय नहीं मिल रहा। उसकी समस्याएं बड़ी और अनेक दिखाई देती हैं। हम प्रधानमंत्री की नीयत पर संदेह नहीं करते परन्तु समूचे रूप में कृषि के क्षेत्र को उत्साहित करने के लिए बड़े और असंख्य कार्य किए जाने की आवश्यकता है। कृषि की उपज से लेकर इसके मंडीकरण, इसके रख-रखाव, इसका सही अर्थों में प्रयोग और इस उपज से आधुनिक तकनीक द्वारा अधिक लाभ लेने के लिए समूचे ढांचे में क्रांतिकारी बदलावों की आवश्यकता होगी। आगामी समय में तत्कालीन सरकार ऐसा कर सकने में सक्षम हो सकेगी। इसका हाल के समय अनुमान लगाया जाना मुश्किल है। इसलिए इसका समय-समय पर निरीक्षण किया जाना आवश्यक होगा। दूसरी महत्वपूर्ण बात उनकी पानी के प्रति चिंता की है। नई सरकार द्वारा इसके लिए अलग जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है, जिसको पानी की सांभ-संभाल और इसके बेहतर प्रयोग का कार्य सौंपा गया है, क्योंकि देश भर में आज भूमि निचला जल नीचे चले जाने ने बड़ी चिन्ता पैदा की है। इस संबंध में जो विचार उन्होंने व्यक्त किए हैं, वह महत्वपूर्ण हैं परन्तु उनको व्यवहारिक रूप में सामने लाना जहां कड़ी मेहनत की मांग करता है, वहीं इस संबंध में योजनाओं की हर कदम पर निगरानी होनी भी ज़रूरी है। श्री मोदी ने वर्षा के जल को पूरी तरह संभालने की बात की है। दूषित हो रहे जल को पुन: प्रयोग में लाने की बात की है। खेतों में बूंद सिंचाई प्रणाली को लागू करने की बात की है। इसके प्रति देश के नागरिकों को भी पूरी तरह सचेत होने के लिए कहा है। आज जबकि भारत बड़ी जनसंख्या वाला देश बन चुका है। इसकी ज़रूरतें बढ़ चुकी हैं और जल के सभी साधन सीमित होते जा रहे हैं। उस समय इसकी बेहतर योजनाबंदी करना बेहद आवश्यक हो चुका है। इसके साथ उन्होंने बढ़ती हुई जनसंख्या के बारे में भी बात की है और इस संबंध में चिंता प्रकट की है। आज नि:संदेह जिस तरह देश की जनसंख्या बढ़ रही है, उसके प्रति उतनी ही चिन्ता की जानी चाहिए, जितनी परमाणु बम के गिरने के खतरे संबंधी। यदि जनसंख्या इस तरह ही बढ़ती जायेगी और साधन सीमित होते जायेंगे तो देश को गम्भीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। हमें इस बात का अफसोस है कि आज़ाद भारत की तत्कालीन सरकारों ने इस पक्ष में लापरवाही अपनाई है। चाहे इसको हम उनकी प्रतिबद्धता की कमी या वोटों की राजनीति कह सकते हैं, परन्तु ऐसी लापरवाही बेहद क्रूरता पूर्ण कही जा सकती है। श्री नरेन्द्र मोदी पूर्व सरकार के समय इस अति संवेदनशील और अहम मुद्दे को गम्भीरता से नहीं लिया गया था और न ही इस संबंध में कोई योजनाबंदी की गई थी। परन्तु अब प्रधानमंत्री ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरूआत में ही इस संबंध में बेहद महत्वपूर्ण बयान दिया है। हमारा विचार है कि यदि सरकार अपने बड़े संसाधन जुटाकर और इस समस्या के सभी पहलुओं के बारे में जानकर जनसंख्या कम करने के लिए लगातार आवश्यक और प्रशासनिक कदम उठाये तो पैदा हो रही इस अति गम्भीर स्थिति को रोका जा सकता है। अपनी दूसरी पारी में यदि मोदी सरकार इन तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपना ठोस योगदान डालने में सफल हुई, तो इससे सरकार की बड़ी उपलब्धि माना जायेगा और यह कदम देश के विकास को तेज़ करने में बड़े स्तर पर सहायक होंगे।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द